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लक्ष्य छोटे हों या बड़े, पूरे होने चाहिए- शैलेश भारतवासी

डैलास, अमेरिका के एफ॰एम॰ रेडियो चैनल 'रेडियो सलाम नमस्ते' को दिये गये अपने साक्षात्कार में हिन्द-युग्म के संस्थापक-नियंत्रक शैलेश भारतवासी ने कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह चाहे छोटे लक्ष्य बनायें या बड़े लक्ष्य बनाये, उसे पूरा करे। शैलेश रेडियो सलाम नमस्ते के हिन्दी कविता को समर्पित साप्ताहिक कार्यक्रम 'कवितांजलि' के २१ दिसम्बर के कार्यक्रम में टेलीफोनिक इंटरव्यू दे रहे थे। हमें वह रिकॉर्डिंग प्राप्त हो गई है। आप भी सुनें, शैलेश की बातें और उसके बाद रेडियो सलाम नमस्ते के श्रोताओं की बातें। आदित्य प्रकाश यह कार्यक्रम डैलास, अमेरिका में ही वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हिन्दी सेवी आदित्य प्रकाश सिंह द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। आदित्य प्रकाश की आवाज़ सुनकर हर एक हिन्दी प्रेमी को हिन्दी के लिए कुछ कर गुजरने की ऊर्जा मिलती है। आदित्य प्रकाश सिंह अपने खर्चे से दुनिया भर के हिन्दी कर्मियों को अपने कवितांजलि कार्यक्रम से जोड़ते हैं। यहाँ तक कि स्टूडियो तक आने-जाने का खर्च भी ये ही उठाते हैं। मूल रूप से भारत में बिहार के रहनेवाले आदित्य प्रकाश कवि

वो जिसने हिन्दी फ़िल्म संगीत की तस्वीर ही बदल दी...- ए आर रहमान.

बात १९९१ की है। तमिल फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन निर्देशक मणिरत्नम और बेहतरीन संगीतकार इल्लैया राजा की वर्षों पुरानी जोड़ी टूट चुकी थी। मणिरत्नम एक नए और फ्रेश संगीतकार की खोज में थे। हर साल की तरह उस साल भी मणिरत्नम का एक जानेमाने अवार्ड फंक्शन में जाना हुआ। समारोह शुरू होने से पहले वहाँ कुछ ऎड जिंगल्स (ad jingles) प्ले हो रहे थे। मणिरत्नम धुनों से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने उस संगीतकार के कुछ और गानों की फरमाईश की। धुनों का असर बढता गया। समारोह के बाद मणिरत्नम उस संगीतकार के म्युजिक रिकार्डिंग स्टुडियो भी गए। उस गुमनाम संगीतकार ने अपना एक पुराना गीत मणिरत्नम को सुनाया, जिसे उसने बरसों पहले "कावेरी विवाद" के सिलसिले में तैयार किया था। मणिरत्नम ने तनिक भी देर न करते हुए, अपनी नई फिल्म के लिए इस गीत की माँग कर दी और साथ हीं साथ इस नए-से संगीतकार को साईन भी कर लिया। वह मकबूल फिल्म थी "बालचंदर्स कवितालय" की "रोज़ा", वह गाना था " तमिज़ा तमिज़ा ", जो हिंदी में अनुवादित होकर हुआ "भारत हमको जान से प्यारा है" और वह अनजाना सा संगीत-दिग्दर्शक था

"हौले हौले" से "जय हो"...- सुखविंदर सिंह का जलवा

सुनिए गोल्डन ग्लोब के लिए नामांकित फ़िल्म स्लमडोग मिलनिअर का जबरदस्त गीत "जय हो..." आवाज़ के टीम और श्रोताओं ने मिल कर जिस गीत को साल २००८ का सरताज गीत चुना वो है फ़िल्म "रब ने बना दी जोड़ी" का "हौले हौले..." . हौले हौले से जादू बिखेरने वाले इस गीत को गाया है "छैयां छैयां" से रातों रातों सुपर सिंगर बने सुखविंदर सिंह ने. तब से अब तक हर साल सुखविंदर अपने किसी न किसी गीत के माध्यम से टॉप सूची में रहते ही हैं. जहाँ इसी साल फ़िल्म टशन में उनका गाया "दिल हारा रे..." भी हमारी सूची में अपनी जगह बनने में कामियाब रहा वही बीते सालों पर नज़र डालें तो "दर्द-ऐ-डिस्को", "चक दे इंडिया" और ओमकारा के शीर्षक गीत के अलावा इसी फ़िल्म का "बीडी जलाई ले" खासा लोकप्रिय हुआ था. पर कई मायनों में अगर हम देखें तो "हौले हौले" उनकी परिचित शैली से बिल्कुल अलग तरह का गीत है और पहली बार सुनने पर यकीं ही नही होता कि ये वाकई सुखविंदर का गीत है. और अब हॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फ़िल्म के लिए भी वो गा रहे हैं. ख

सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'नेकी'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'नेकी' 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना ' 'मन्त्र' ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी "नेकी" , जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 20 मिनट और 13 सेकंड। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८३१-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी तखत सिंह ने हीरामणि की तरफ गौर से देखकर जवाब दिया, "मेरे सामने बीस जमींदार आये और चले गये। मगर कभी किसी ने इस तर

कितना है दम नवम्बर के नम्बरदार गीतों में

अक्तूबर के अजयवीरों ने पहले चरण की समीक्षा का समर पार किया अब बारी है नवम्बर के नम्बरदार गीतों की. यहाँ हम आपके लिए, पहले और दूसरे समीक्षक, दोनों के फैसलों को एक साथ प्रस्तुत कर रहे हैं, तो जल्दी से जान लेते हैं कि नवम्बर के इन नम्बरदारों ने समीक्षकों को क्या कहने पर मजबूर किया है. उडता परिन्दा पहले समीक्षक - सुदीप यशराज के ऒल इन वन प्रस्तुति का संगीत पक्ष बेहद श्रवणीय है. संगीत के अरेंजमेंट को भी कम वाद्यों की मदत से मनचाहा इफ़ेक्ट पैदा कर रहा है. प्रख्यात प्रयोगधर्मी संगीतकार एस एम करीम इसी तरह के स्वरों का केलिडियोस्कोप बनाया करते है. लोरी से लगने वाले इस गाने के कोमल बोलों का लेखन भी उतना ही अच्छा हो नहीं पाया है, क्योंकि कई अलग अलग ख्यालात एक ही गीत में डाल दिये गये है. मगर यही तो एक फ़ेंटासी और मायावी स्वप्न नगरी का सपना देख रही नई पीढी़ का यथार्थ है. यही बात गायक सुदीप के पक्ष में जाती है. थोडा कमज़ोर गायन ज़रूर है, जो बेहतर हो सकता था, क्योंकि गायक की रचनाधर्मिता तो बेहद मौलिक और वाद से परे है. गीत - ४, धुन व् संगीत संयोजन - ३.५, आवाज़ व गायकी - ३.५, ओवारोल प्रस्तुति - ३.५.

सरताज गीत 2008 - आवाज़ की वार्षिक गीतमाला में

वर्ष 2008 के श्रेष्ट 50 फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या 10 से 01 तक पिछले अंक में हम आपको 20वें पायदान से 11वें पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। 10वें पायदान - है गुजारिश - फ़िल्म गजिनी अगर इस गीत को आप ध्यान से सुनें तो तो शुरू में और बीच बीच में एक गुनगुनाहट (हम्मिंग) सुनाई देती है, जो सोनू निगम की याद दिलाते हैं, जी हाँ ये हिस्सा सोनू ने ही गाया है, दरअसल इस धुन पर रहमान ने एक गीत बनाया था जिसे सोनू की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया था, पर अफ़सोस वो फ़िल्म नही बन पायी, जब फ़िल्म गजिनी के लिए इसी धुन पर जब प्रसून ने नए शब्द बिठाये, तब सोनू को फ़िर तलब किया गया, पर निगम उन दिनों विदेश में होने के कारण रिकॉर्डिंग के लिए उपलब्ध नही हो पाये तो रहमान ने जावेद अली से गीत को मुक्कमल करवाया पर हम्मिंग सोनू वाली (जो मूल गाने में थी) ही उन्होंने रहने दी. यकीं न हो गीत दुबारा सुनें. 9वें पायदान - इन लम्हों के दामन में - फ़िल्म -जोधा अकबर एक बार रहमान का जादू है यहाँ, कितना खूबसूरत है ये गाना ये आप सुनकर

स्वागत नव वर्ष 2009

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं मित्रों, नव-वर्ष के शुभ अवसर पर आवाज़ और हिंद-युग्म की ओर से आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन! ईश्वर आपके इस नए वर्ष में आपको सुख-समृद्धि, आनंद, और सफलता दे. हम सब इस संसार को एक बेहतर स्थान बना सकें. आईये सुनते हैं नव-वर्ष के इस अवसर पर आवाज़ की ओर से एक छोटी सी पेशकश. यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis स्वागत नव वर्ष [श्रीमती लावण्या शाह] स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष! बीते दुख भरी निशा, प्रात: हो प्रतीत, जन जन के भग्न ह्र्दय, होँ पुनः पुनीत स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष! भेद कर तिमिराँचल फैले आलोकवरण, भावी का स्वप्न जिये, हो धरा सुरभित स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष! कोटी जन मनोकामना, हो पुनः विस्तिर्ण, निर्मल मन शीतल हो, प्रेमानँद प्रमुदित स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष! ज्योति कण फहरा दो, सुख स्वर्णिम बिखरा दो, है भावना पुनीत, सदा कृपा करेँ ई