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हम भूल न जाए उनको, इसलिए कही ये कहानी...

आईये नमन करें उन शहीदों को जो क्रूर आतंकवादियों का सामना करते हुए शहीद हो गए २६ नवम्बर की वह रात कितनी भयावह थी, जब चारों ओर आग बरस रही थी और सम्पूर्ण भारतीय आतंकित और भयभीत था। एक पिता के कानों में पुत्र की करूण पुकार गूँज रही थी और अपने लाल को बचाने के लिए वह दीवार पर सिर पटक रहा था, प्रशासन के सामने गिड़गिड़ा रहा था। कितनी ही माताएँ अपनी गोद उजड़ने का दृश्य अपनी आँखों से देख रही थी। देश-विदेश के अतिथि किंकर्तव्य विमूढ़ थे। । सबकी साँसें रूकी हुई थी। पल-पल की खबर सबकी धड़कनों को तीव्र कर रही थी। आतंकवादियों ने हमारे स्वाभिमान को ठेस लगाई। मानवता पर कलंक लगाया। कुछ लोगों के कुकृत्यों एवं हिंसक योजनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। वीरों की संतान कहलाने वाले हम सब कितने असहाय,कितने कमजोर और कितने असावधान थे। अपनी सुरक्षा व्यवस्था के सुराग बहुत स्पष्ट दिखाई दिए। देश के नागरिकों ने अपने दायित्वों को भी जाना । सुरक्षा बल अपनी सम्पूर्ण लगाकर भी इसे रोक पाने में असमर्थ था। ऐसे में देश के बलिदानी निकल पड़े जान हथेली पर लेकर। उनकी आँखों में बस एक ही सपना था। देश की सुरक्षा का । उन्होंने माता

तेरे बिना आग ये चांदनी तू आजा...

ग्रेट शो मैन राज कपूर की जयंती पर विशेष १४ दिसम्बर को हमने गीतकार शैलेन्द्र को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया था. गौरतलब ये है कि फ़िल्म जगत में उनके "मेंटर" कहे जाने वाले राज कपूर साहब की जयंती भी इसी दिन पड़ती है. पृथ्वी राज कपूर के एक्टर निर्माता और निर्देशक बेटे रणबीर राज कपूर को फ़िल्म जगत में "ग्रेट शो मैन" के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दी फिल्मों के लिए उनका योगदान अमूल्य है. १९४८ में बतौर अदाकार शुरुआत करने वाले राज कपूर ने मात्र २४ साल की उम्र में मशहूर आर के स्टूडियो की स्थापना की और पहली फ़िल्म बनाई "आग" जिसमें अभिनय भी किया. फ़िल्म की नायिका थी अदाकारा नर्गिस. हालाँकि ये फ़िल्म असफल रही पर नायक के तौर पर उनके काम की तारीफ हुई. नर्गिस के साथ उनकी जोड़ी को प्रसिद्दि मिली १९४९ में आई महबूब खान की फ़िल्म "अंदाज़" से. निर्माता निर्देशक और अदाकार की तिहरी भूमिका में फ़िल्म "बरसात" को मिली जबरदस्त कमियाबी के बाद राज कपूर ने फ़िल्म जगत को एक से बढ़कर एक फिल्में दी और कमियाबी की अनोखी मिसालें कायम की. आईये आज उन्हें याद करें उनकी चंद फिल

सुनिए बाल-कविता 'गिलहरी का घर'

आवाज़ पर बहुत दिनों से हम आपको कोई बाल-कविता नहीं सुनवा पाये थे, क्योंकि मीनू आंटी इन दिनों छुट्टी पर हैं। लेकिन बच्चों के लिए यह काम करने का जिम्मा नीलम मिश्रा जी ने भी स्वीकारा है। नीलम आंटी बतौर अपने पहला प्रयास डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन की कविता 'गिलहरी का घर' लेकर आई हैं। तो आप सुनिए, अपने घर के बच्चों को सुनवाइए और हमें बताइए कि कैसा लगा। value="transparent">

मेरा ही बेटा है अजमल कसाब

एक माँ की गुजारिश कल सुबह-सुबह जब अखबार में पढ़ा कि "अजमल" के अब्बू ने जो पकिस्तान में रहते हैं, सामने आने का दुस्साहस किया है कि, वो मेरा बेटा है। अब पाकिस्तान की सरकार बाप-बेटे के रिश्ते को कैसे झूठा साबित करेगी, यही हम सब को देखना है। देखना है कि सियासत के ठेकेदार अपनी दरिंदगी के खेल के लिए कब तक नौजवानों को गुमराह करेंगे और झूठे लालच और आश्वासन देकर सिर्फ़, सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी तसल्ली के लिए खून बहायेंगे| मेरी गुजारिश है, एक माँ कि गुजारिश दुनिया के तमाम नौजवानों से वो किसी भी ऐसे जाल में अपने आप को फँसने से बचाएं, जहाँ कोई मजहब नहीं, कोई ईमान नहीं। नौजवानों हमेशा एक ही बात याद रखो कि सिर्फ़ अपनी मेहनत का भरोसा रखो, कोई चमत्कार नहीं होता कहीं, कोई अल्लादीन का चराग नहीं है किसी के पास जो हमारी दुश्वारियों का हल दे दे| मेहनत ही हमें कोई रास्ता दे सकती है, खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा बन्दे से पूछे , बता तेरी रज़ा क्या है | अपनी मेहनत, अपनी लगन से अपने मुल्क को तरक्की के राह पर ले जाओ, क्योंकि ये सियासत के ठेकेदार सिर्फ़ गुमराह करते थे, करते हैं और आगे भी करते रह

तू जिन्दा है तो जिंदगी की जीत में यकीन कर

अमर गीतकार और कवि शैलेन्द्र की ४२वीं पुण्यतिथि पर विशेष "अपने बारे में लिखना कोई सरल काम नही होता. किंतु कोई आदमी फंस जाए तो ! तो लिखना आवश्यक हो जाता है. मैं भी लिखने बैठा हूँ. बाहर बूंदा-बांदी हो रही है. मौसम बड़ा सुहाना है. कभी कभी तेज़ हवा के झोंखों से परदे फड़फड़ा उठते हैं. जैसे उड़ान भरने की कोशिश कर रहें हो ! मेरी कल्पना में अतीत के धुंधले चित्र स्पष्ट होने लगते हैं. पुरानी स्मृतियाँ उममें ऐसा रंग, जो तन मन मिट जाने पर भी ना मिटे...." (कवि और गीतकार शैलेन्द्र की आत्मकथा से) और आज से ४२ साले पहले, स्मृतियों के आकाश में विचरता वो जन साधारण के मन की बात कहने वाला कवि शरीर रूपी पिंजरा छोड़ हमेशा के लिए कहीं विलुप्त हो गया पर दे गया कुछ ऐसे गीत जो सदियों-सदियों गुनगुनाये जायेंगें, कुछ ऐसे नग्में जो हर आमो-ख़ास के दिल के जज़्बात को जुबाँ देते रहेंगे बरसों बरस. वो जिसने लिखा "दुनिया न भाये मुझे अब तो बुला ले" (बसंत बहार), उसी ने लिखा "पहले मुर्गी हुई कि अंडा" (करोड़पति), वो जिसने लिखा "डस गया पापी बिछुआ" उसी ने लिखा "क्या से क्या हो गया बेवफा

सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'पूस की रात'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लघु कहानी 'पूस की रात' 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना ' शादी की वजह ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की कहानी "पूस की रात" , जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 15 मिनट और 8 सेकंड। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी "हाथ ठिठुरे जाते थे। नगें पाँव गले जाते थे। और वह पत्तियों का पहाड़ खड़ा कर रहा था। इसी अलाव में वह ठंड को जलाकर

खिलखिलाती याद, मुस्कुराती याद, बिगड़ी हुई सी वो चिढ़ाती याद

दूसरे सत्र के २४वें गीत का विश्वव्यापी उद्घाटन हिन्द-युग्म के १०वें गीत ' खुशमिज़ाज मिट्टी ' के बोलों ने आवाज़ के श्रोताओं पर सर चढ़कर बोला। यह ज़ादू किया था गौरव सोलंकी के गीत ने। गौरव सोलंकी जो हिन्द-युग्म के दूसरे यूनिकवि और पाठकों के सबसे प्रिय कवि भी हैं। आज हम जो २४वाँ गीत 'चाँद का आँगन' लेकर आये हैं, उसके बोल भी गौरव ने लिखे हैं। गीत को स्वरबद्ध किया है ग्वालियर निवासी कुमार आदित्य विक्रम ने। कुमार आदित्य विक्रम की आवाज़ में हमने इन्हीं के कवि पिता डॉ॰ महेन्द्र भटनागर की कविता का पॉडकास्ट प्रसारित किया था, तब ही आवाज़ की टीम ने यह जान लिया था कि इस संगीतकार-गायक के पास कविताओं को कम्पोज़ करने का हुनर है। इसलिए हमने सबसे पहले हमने इन्हें गौरव सोलंकी की कविता 'चाँद कला आँगन' कम्पोज करने के लिए दी। आइए सुनते हैं यह गीत- कुमार आदित्य गौरव सोलंकी When Hind-Yugm released its this session 10th song 'Khushmizaz Mitti' , the lyrics of this song had rocked. This magic was of Hind-Yugm's famous writer and poet Gaurav Solanki's creation. Now this