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राग दुर्गा : SWARGOSHTHI – 356 : RAG DURGA

स्वरगोष्ठी – 356 में आज पाँच स्वर के राग – 4 : “चन्दा रे मोरी पतियाँ ले जा…” उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ से राग दुर्गा की बन्दिश तथा मुकेश और लता से श्रृंगाररस का गीत सुनिए उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ फिल्म 'बंजारिन' का पोस्टर   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पाँच स्वर के राग” की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों पर चर्चा कर रहे हैं, जिनमें केवल पाँच स्वरों का प्रयोग होता है। भारतीय संगीत में रागों के गायन अथवा वादन की प्राचीन परम्परा है। संगीत के सिद्धान्तों के अनुसार राग की रचना स्वरों पर आधारित होती है। विद्वानों ने बाईस श्रुतियों में से सात शुद्ध अथवा प्राकृत स्वर, चार कोमल स्वर और एक तीव्र स्वर; अर्थात कुल बारह स्वरो में से कुछ स्वरों को संयोजित कर रागों की रचना की है। सात शुद्ध स्वर हैं; षडज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन स्वरों में से षडज और पंचम अच...

मैजस्टिक मूँछें - सलिल वर्मा, उषा छाबड़ा, अनुराग शर्मा

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में विष्णु प्रभाकर की कहानी रोटी या पाप का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं अनुराग शर्मा की "मैजस्टिक मूँछें" , जिसको स्वर दिया है सलिल वर्मा , उषा छाबड़ा , और  अनुराग शर्मा ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 19 मिनट 45 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। अनुराग शर्मा की कहानी मैजेस्टिक मूँछें का गद्य 'बर्ग वार्ता' पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोमबत्ती। ~  अनुराग शर्मा  (पिट्सबर्ग) हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "तुम जबसे गयीं, निपट अकेला हूँ। वही शनिवार, वही तीसरा पहर, वही अड्डा, वही बेंच, वही आवाज़ें।" ( अनुराग शर्मा की " मैजस्टिक मूँछें " से...

राग मालकौंस : SWARGOSHTHI – 355 : RAG MALKAUNS

स्वरगोष्ठी – 355 में आज पाँच स्वर के राग – 3 : “मन तड़पत हरिदर्शन को आज…” राजन-साजन मिश्र से श्रृंगाररस की बन्दिश और मुहम्मद रफी से भक्तिरस का गीत सुनिए नौशाद, मुहम्मद रफी और शकील बदायूनी पण्डित राजन और साजन मिश्र "रेडियो प्लेबैक इण्डिया" के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पाँच स्वर के राग” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों पर चर्चा करेंगे जिनमें केवल पाँच स्वरों का प्रयोग होता है। भारतीय संगीत में रागों के गायन अथवा वादन की प्राचीन परम्परा है। संगीत के सिद्धान्तों के अनुसार राग की रचना स्वरों पर आधारित होती है। विद्वानों ने बाईस श्रुतियों में से सात शुद्ध अथवा प्राकृत स्वर, चार कोमल स्वर और एक तीव्र स्वर; अर्थात कुल बारह स्वरो में से कुछ स्वरों को संयोजित कर रागों की रचना की है। सात शुद्ध स्वर हैं; षडज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन स्वरों में से षडज और पंचम अचल स्वर माने ...

चित्रकथा - 54: अभिनेत्री सुप्रिया चौधरी और उनकी तीन हिन्दी फ़िल्में

अंक - 54 सुप्रिया चौधरी और उनकी तीन हिन्दी फ़िल्में "जिन रातों की भोर नहीं है..." रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 54-वीं कड़ी है। 26 जनवरी 2018 को बांग्ला सिनेमा की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुप्रिया देवी (सुप्रिया चौधरी) का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पद्मश्री, बंग-विभूषण, फ़िल्मफ़ेयर, BFJA आदि पुरस्कारों से सम्मानित सुप्रिया देवी की यादगार बांग्ला फ़िल्मों में उल्लेखनीय नाम हैं ’आम्रपाली’, ’मेघे ढाका तारा’, ’सुनो बरनारी’, ’कोमल गंधार’, ’स्वरलिपि’, ’तीन अध्याय’, ’संयासी राजा’ और ’सिस्टर’ जैसी का...

राग तिलंग : SWARGOSHTHI – 354 : RAG TILANG

स्वरगोष्ठी – 354 में आज पाँच स्वर के राग – 2 : “लगन तोसे लागी बलमा…” इन्दुबाला देवी से तिलंग की एक प्राचीन ठुमरी और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए मदन मोहन इन्दुबाला देवी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी नई श्रृंखला – “पाँच स्वर के राग” की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों पर चर्चा करेंगे जिनमें केवल पाँच स्वरों का प्रयोग होता है। भारतीय संगीत में रागों के गायन अथवा वादन की प्राचीन परम्परा है। संगीत के सिद्धान्तों के अनुसार राग की रचना स्वरों पर आधारित होती है। विद्वानों ने बाईस श्रुतियों में से सात शुद्ध अथवा प्राकृत स्वर, चार कोमल स्वर और एक तीव्र स्वर; अर्थात कुल बारह स्वरो में से कुछ स्वरों को संयोजित कर रागों की रचना की है। सात शुद्ध स्वर हैं; षडज, ऋषभ, गान्धार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इन स्वरों में से षडज और पंचम अचल स्वर माने जाते हैं। शेष में से ऋषभ, गान्धार, धैवत और निषाद स्वरों के ...

चित्रकथा - 53: पंचम के दो महारथियों का निधन

अंक - 53 पंचम के दो संगीत महारथियों का निधन पंडित उल्हास बापट और अमृतराव काटकर  रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 53-वीं कड़ी है। 4 जनवरी 2018 को सुप्रसिद्ध संतूर वादक पंडित उल्हास बापट और 15 जनवरी 2018 को फ़िल्मी गीतों में रेसो रेसो वाद्य के भीष्म पितामह व जाने-माने संगीत संयोजक व वादक श्री अमृतराव काटकर का निधन हो गया। संयोग की बात है कि इन दोनों संगीत महारथियों ने संगीतकार राहुल देव बर्मन के साथ लम्बा सफ़र तय किया, और उससे भी आश्चर्य की बात यह है कि 4 जनवरी को राहुल देव बर्मन की भी पुण्यतिथि है। इ...