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रोक्किंग जनता का आक्रोश और प्यार समेटे है सत्याग्रह का संगीत

लं बे समय तक समानांतर सिनेमा में सक्रिय रहे प्रकाश झा ने कुछ सालों पहले महसूस किया कि वास्तविकता और व्यावसायिकता के बीच का भी एक रास्ता है जिसके माध्यम से वो अपने सशक्त सन्देश मनोरंजकता में घोलकर दर्शकों के एक बहुत बड़े वर्ग तक आसानी से पहुँच सकते हैं. मृत्यदंड, गंगाजल   आरक्षण   और राजनीति  जैसी सफल और सशक्त फिल्मों के बाद अब प्रकाश झा लाये हैं एक और सोच को प्रभावित करने वाली फिल्म सत्याग्रह . आज चर्चा करगें इसी फिल्म के संगीत की, हम ताज़ा सुर ताल के नए अंक में. एल्बम में संगीत है सलीम सुलेमान, मीत ब्रोस अनजान, आदेश श्रीवास्तव और इंडियन ओशन का, गीत लिखे हैं प्रसून जोशी ने.  पहला गीत सत्याग्रह  बापू के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम  का आधुनिक संस्करण है. गीत के अधिकतर अंश भजन स्वरुप ही हैं पर बीच बीच में कुछ सुलगते सवाल हैं... घायल है भोला इंसान .... के बाद गीत की करवट बदलती है. इस दबे इन्कलाब को आवाज़ दी है राजीव सुंदरेशन, शिवम पाठक और श्वेता पंडित ने. सलीम सुलेमान का संगीत संयोजन कबीले तारीफ है. श्रोताओं को एक नई ऊर्जा से भरने में सक्षम है ये गी...

इक अनजाने की तस्वीर आँखों में लिए फिरता हुस्न

खुद ढूँढ रही है शम्मा जिसे क्या बात है उस परवाने की...दिलकश नशीली आवाज़ आशा जिसे निखारा ओ पी नैयर की तर्ज ने तो दिशा दी मजरूह के शब्दों में...आज खरा सोना गीत (ओल्ड इस गोल्ड रिवाइवल) में आज प्रस्तुत है इस गीत की कहानी, प्रस्तुतकर्ता मीनू सिंह के साथ, सुजॉय चटर्जी  की कलम और संज्ञा टंडन के निर्देशन में आनंद लें इस प्रस्तुति का 

फि‍ल्‍मों में राखी गीत

प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट भाई बहन का प्‍यार ,  राखी का त्‍योहार आइये मनायें राखी गीतों के साथ...... .

खत जो लिखा नहीं गया - शिशिर कृष्ण शर्मा

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में उन्हीं का लिखा लघु संस्मरण " पाकिस्तान में एक ब्राह्मण की आत्मा " सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध फिल्म इतिहासकार, पत्रकार और लेखक शिशिर कृष्ण शर्मा द्वारा कश्मीर के मार्मिक हालात पर लिखित हृदयस्पर्शी कहानी खत जो लिखा नहीं गया जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा ने। जनसत्ता सबरंग के दिसम्बर 1998 अंक में प्रकाशित प्रस्तुत कथा का गद्य " व्यंग्योपासना ब्लॉग " पर उपलब्ध है। " खत जो लिखा नहीं गया " का कुल प्रसारण समय 13 मिनट 11 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। सालभर में कई कई रंग बदलते हैं ये पहाड़। इन दिनों जब वृक्षों पर नए पत्ते...

भैरवी के कोमल स्वरों से आराधना

    स्वरगोष्ठी – 133 में आज रागों में भक्तिरस – 1 'भवानी दयानी महावाक्वानी सुर नर मुनि जन मानी...' भारतीय संगीत की परम्परा के सूत्र वेदों से जुड़े हैं। इस संगीत का उद्गम यज्ञादि के समय गेय मंत्रों के रूप में हुआ। आरम्भ से ही आध्यात्म और धर्म से जुड़े होने के कारण हजारों वर्षों तक भारतीय संगीत का स्वरूप भक्तिरस प्रधान रहा। मध्यकाल तक संगीत का विकास मन्दिरों में ही हुआ था, परिणामस्वरूप हमारे परम्परागत संगीत में भक्तिरस की आज भी प्रधानता है। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से हम एक नई श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं, जिसका शीर्षक है- ‘रागों में भक्तिरस’। इस श्रृंखला की प्रथम कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस नई श्रृंखला में हम आपको विभिन्न रागों में निबद्ध भक्ति संगीत की कुछ उत्कृष्ट रचनाओं का रसास्वादन कराएँगे। साथ ही उन्हीं रागों पर आधारित फिल्मी गीतों को भी हमने श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में सम्मिलित किया है। आज श्रृंखला की पहली कड़ी में हमने आपके लिए राग भैरवी चुना है। इस ...

सिने पहेली – 76 - मुखड़े गानों के!

सिने पहेली – 76 मुखड़े गानों के!     सिने पहेली के 76   वें अंक में  मैं अमित तिवारी आप सभी का  स्वागत करता हूँ.  पिछले सप्ताह तकनीकी कारणों से सिने पहेली प्रकाशित नहीं हो पायी उसके लिए मैं आप सभी से माफी चाहता हूँ.  आज सिने पहेली के आठवें सेगमेंट को आगे बढ़ाते हुए 76 वां अंक लेकर हम हाज़िर हैं. पिछले अंक में तो धमाल ही हो गया. हमारे 6 प्रतिभागियों ने सारे सवालों के सही उत्तर देकर पूर्ण अंक प्राप्त किये. आप सभी को बधाई.  सरताज प्रतियोगी का ख़िताब मिला है बीकानेर के विजय कुमार व्यास जी को.  इन्दू जी आप थोड़ा चूक गयीं. कृपया सवाल पूरा पढ़िए इससे आप निश्चित रूप से अंक नहीं गवाएंगी. वर्जीनिया से शशि जी और मुम्बई से जावेद जी  ने इस सेगमेंट में पहली बार भाग लिया. स्वागत है आपका. इस बार की पहेली में हम आपको कुछ गानों के शुरुआती हिस्से को सुनवाएँगे और आपको उसे सुनकर उस गाने से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने है. हाँ आप सबकी सुविधा के लिए हिंट भी दिए गए हैं. ये गाने आप सबने कई बार सुने होंगे.  इस बार के सवालो...

आम फ़िल्मी संगीत के बेहद अलग है मद्रास कैफे का संगीत

फि ल्म का नाम मद्रास कैफे  क्यों रखा गया है, जब ये सवाल फिल्म के निर्देशक सुजीत सिरकर से पुछा गया तो उनका कहना था कि फिल्म  में इस कैफे को भी एक किरदार की तरह इस्तेमाल किया गया है, हालाँकि ये कैफे कहाँ पर है ये फिल्म में साफ़ नहीं है पर मद्रास कैफे  एक ऐसा कोमन एड्रेस है जो देश के या कहें लगभग पूरे विश्व के सभी बड़े शहरों में आपको मौजूद मिलेगा. विक्की डोनर  की सफलता के बाद सुजीत उस मुद्दे को अपनी फिल्म में लेकर आये हैं जिस पर वो विक्की डोनर से पहले काम करना चाह रहे थे, वो जॉन को फिल्म में चाहते थे और उन्हें ही लेकर फिल्म बनाने का उनका सपना आखिर पूरा हो ही गया. फिल्म की संगीत एल्बम को सजाया है शांतनु मोइत्रा ने. बेहद 'लो प्रोफाइल' रखने वाले शांतनु कम मगर उत्कृष्ट काम करने के लिए जाने जाते हैं, गीतकार हैं अली हया..आईये एक नज़र डालें मद्रास कैफे   के संगीत पर. युवा गायकों की एक पूरी फ़ौज इन दिनों उफान पर है. इनमें से पोपोन एक ऐसे गायक बनकर उभरे हैं जिनकी आवाज़ और अंदाज़ सबसे मुक्तलिफ़ है. बर्फी  में उनका गाया क्यों न हम तुम  भला कौन भूल सकता है....