Skip to main content

Posts

२५ जनवरी- आज का गाना

गाना:  बालम आए बसो मोरे मन में चित्रपट: देवदास संगीतकार: तिमिर बरन गीतकार:  केदार शर्मा गायक: के. एल.सहगल बालम आए बसो मोरे मन में बालम आए बसो मोरे मन में बालम आए बसो मोरे मन में बालम सावन आया तुम न आए बालम आए बसो मोरे मन में बालम आए बसो मोरे मन में सावन आया तुम न आए सावन आया तुम न आए तुम बिन रसिया कुछ न भाये तुम बिन रसिया कुछ न भाये मन में मोरे हूक उठत जब मन में मोरे हूक उठत जब कोयल कूकती बन में बालम आए बसो हाँ तो तुम आ गईं पूजा के लिए मंदिर में जा रही थी तो फिर यहाँ क्यूँ आयीं मुझे मेरे देवता ने बुलाया इसलिए मैं आ गयी ..... ...... ..... सूरतिया जा की मतवारी सूरतिया जा की मतवारी पतली कमरिया उमरिया बारी सूरतिया जा की मतवारी पतली कमरिया उमरिया बारी एक नया संसार बसा है एक नया संसार बसा है जिनके दो नैनन में बालम आए बसो मोरे मन में बालम आए बसो मोरे मन में

ब्लोग्गर्स चोईस विद रश्मि प्रभा - मेहमान है सलिल वर्मा

रश्मि प्रभा  बड़ा जोर है सात सुरों में बहते आंसू जाते हैं थम. संगीत तो वाकई जादू है. दुःख हो सुख हो डूबती कश्ती हो ख्यालों के गीत सुकून देते हैं, राह देते हैं...मैं रश्मि प्रभा अब तक ब्लौगरों की कलम से आपको मिलवाती रही हूँ, इस मंच पर मैं उनकी पसंद के कम से कम 5 गाने आपको सुनाऊंगी, आप भी तो जानिए इनकी पसंद क्या है ! आँखें बन्द कर उनकी पसंद की लहरों में खुद को बहने दीजिये, और बताइए कैसा लगा...क्रम से लोग आ रहे हैं गीतों की खुशबू लिए - ये पहला नाम है सलिल वर्मा जी का,.... रुकिए रुकिए ब्लॉग प्रसिद्द 'चला बिहारी ब्लॉगर बनने' से आप ज्यादा परिचित हैं . थी तो मैं भी , पर ध्यान गया जब मैं बुलेटिन टीम में आई तो इनकी बगिया में भी सैर कर आई. घूमकर आई तो देखा बिहारी भाई बिहारी बहन के बगीचे में घूम रहे हैं .... मैंने पूछा - कौन ? , रश्मि दी .... इस संबोधन के बाद कुछ अनजाना नहीं रहता. लिखते तो सलिल जी बहुत ही बढ़िया हैं, आप मिले होंगे इनसे http://chalaabihari.blogspot.com/ पर . सोच पैनी, कलम ज़बरदस्त... और गानों की पसंद भी ज़बरदस्त.... तो अब देर किस बात की . ये रहे गाने और उनके लिए एक ख

२४ जनवरी- आज का गाना

गाना:  चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चित्रपट: बंधन संगीतकार: सरस्वती देवी गीतकार:  कवि प्रदीप गायक: अरुण कुमार चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम मेरे चने हैं चटपट भैया और बड़े लासानी और कैसे चाव से खाते देखो राम और रमजानी और चुन्नू मुन्नू की जबान भी हो गई पानी पानी और कहें कबीर सुनो भाई साधो सुनो गुरु की बानी चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम अरे मदरसे का जीवन तो चाँद दिनों का ठाठ और पढ़ लिख कर सब चल दोगे अपनी अपनी बाट फिर कोई तुममे होगा अफसर कोई गवर्नर लाट तब मैं आऊंगा दफ्तर तुमरे लिए चने की चाट चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम चने जोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार चने जोर गरम

सिने-पहेली # 4

सिने-पहेली # 4 (23 जनवरी 2012) रेडियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! दोस्तों, 'सिने-पहेली' की चौथी कड़ी लेकर मैं हाज़िर हूँ। दोस्तों, एक और नई सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है और आज से हम और आप, सभी, फिर एक बार ज़िन्दगी की भागदौड़ में मसरूफ़ हो जायेंगे। किसी को पढ़ाई-लिखाई, तो किसी को दफ़्तर, और किसी-किसी को व्यापार-वाणिज्य आदि की फ़िक्र होती होगी। लेकिन हम सब में एक बात जो समान है, वह यह कि हम सभी को फ़ुरसत के कुछ पलों में मनोरंजन की चाहत होती है। और यह ज़रूरी भी तो है! इसीलिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' पूरे सप्ताह भर में आपके मनोरंजन के लिए लेकर आता है कई स्तंभ, जो केवल मनोरंजक ही नहीं, बल्कि ज्ञानवर्धक भी होते हैं। ऐसी ही एक ज्ञानचर्धक स्तंभ है 'सिने पहेली' जो आज़माता है आपके फ़िल्मी ज्ञान को। आप सभी से यह अनुरोध है कि इस प्रतियोगिता में पूरे उत्साह से भाग लें और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, सह-कर्मचारियों को भी इसमे भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। चलिए, बातें तो बहुत हो गईं, अब शुरू किया जाये आज की 'सिने-पहेली'।

२३ जनवरी- आज का गाना

गाना:  तेरी गठरी में लागा चोर चित्रपट: धूप-छाँव संगीतकार: राय चन्द्र बोराल गीतकार:  पंडित सुदर्शन गायक: के. सी. डे तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा आज ज़रा सा फ़ितना है ये तू कहता है कितना है ये आज ज़रा सा फ़ितना है ये तू कहता है कितना है ये दो दिन में ये बढ़कर होगा मुंहफट और मुंहजोर दो दिन में ये बढ़कर होगा मुंहफट और मुंहजोर मुसाफिर जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा नींद में माल गँवा बैठेगा अपना आप लुटा बैठेगा नींद में माल गँवा बैठेगा अपना आप लुटा बैठेगा फिर पीछे कुछ नहीं बनेगा फिर पीछे कुछ नहीं बनेगा लाख मचाये शोर, शोर मुसाफिर जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा तेरी गठरी में लागा चोर, चोर

‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’ : गीत के बहाने, चर्चा राग- भीमपलासी की

महात्मा गाँधी ने अपने जीवनकाल में एकमात्र फिल्म ‘रामराज्य’ देखी थी। १९४३ में प्रदर्शित इस फिल्म का निर्माण प्रकाश पिक्चर्स ने किया था। इस फिल्म के संगीत निर्देशक अपने समय के जाने-माने संगीतज्ञ पण्डित शंकरराव व्यास थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, व्यासजी की कुशलता केवल फिल्म संगीत निर्देशन के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि शास्त्रीय गायन, संगीत शिक्षण और ग्रन्थकार के रूप में भी सुरभित हुई। फिल्म ‘रामराज्य’ में पण्डित जी ने राग भीमपलासी के स्वरों में एक गीत संगीतबद्ध किया था। आज हमारी गोष्ठी में यही गीत, राग और इसके रचनाकार, चर्चा के विषय होंगे। SWARGOSHTHI – 53 – Pandit Shankar Rao Vyas ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ, मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार फिर इस सांगीतिक बैठक में उपस्थित हूँ। आज हम लगभग सात दशक पहले की एक फिल्म ‘रामराज्य’ के एक गीत- ‘वीणा मधुर मधुर कछु बोल...’ और इस गीत के संगीतकार पण्डित शंकरराव व्यास के व्यक्तित्व-कृतित्व पर चर्चा करेंगे। कल २३ जनवरी को इस महान संगीतज्ञ की ११३वीं जयन्ती है। इस अवसर के लिए हम आज उन्हें स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं। कोल्हापुर में २३ जनवरी, १८९८ में

२२ जनवरी- आज का गाना

गाना:  किसका रस्ता देखे चित्रपट: जोशीला संगीतकार: राहुल देव बर्मन गीतकार:  साहिर गायक: किशोर कुमार किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई मीलों है ख़ामोशी, बरसों है तन्हाई भूली दुनिया कभी की, तुझे भी मुझे भी फिर क्यों आँख भर आई हो, किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई कोई भी साया नहीं राहों में कोई भी आएगा ना बाहों में तेरे लिए मेरे लिए, कोई नहीं रोनेवाला ओ झूठा भी नाता नहीं चाहों में हाय, तू ही क्यों डूबा रहे आहों में कोई किसी संग मरे, ऐसा नहीं होने वाला कोई नहीं जो यूँ ही जहाँ में, बाँटे पीर पराई हो, किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई तुझे क्या बीती हुई रातों से मुझे क्या खोई हुई बातों से सेज नहीं चिता सही, जो भी मिले सोना होगा गई जो डोरी छूटी हाथों से हो, लेना क्या टूटे हुए साथों से खुशी जहाँ माँगी तूने, वहीं मुझे रोना होगा ना कोई तेरा ना कोई मेरा, फिर किसकी याद आई हो, किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई मीलों है ख़ामोशी, बरसों है तन्हाई भूली दुनिया कभी की, तुझे भी मुझे भी फिर क्यों आँख भर आई किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई