सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं.. मेहदी साहब के सुपुत्र ने कुछ इस तरह उभारा फ़राज़ की ख्वाहिशों को
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८४ पा किस्तान से खबर है कि अस्वस्थ होने के बावजूद मेहदी हसन एक बार फिर अपनी जन्मभूमि पर आना चाहते हैं। राजस्थान के शेखावटी अंचल में झुंझुनूं जिले के लूणा गांव की हवा में आज भी मेहदी हसन की खुशबू तैरती है। देश विभाजन के बाद लगभग २० वर्ष की उम्र में वे लूणा गांव से उखड़ कर पाकिस्तान चले गये थे, लेकिन इस गांव की यादें आज तक उनका पीछा करती हैं। वक्त के साथ उनके ज्यादातर संगी-साथी भी अब इस दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन गांव के दरख्तों, कुओं की मुंडेरों और खेतों में उनकी महक आज भी महसूस की जा सकती है। छूटी हुई जन्मस्थली की मिट्टी से किसी इंसान को कितना प्यार हो सकता है, इसे १९७७ के उन दिनों में झांक कर देखा जा सकता है, जब मेहदी हसन पाकिस्तान जाने के बाद पहली बार लूणा आये और यहां की मिट्टी में लोट-पोट हो कर रोने लगे। उस समय जयपुर में गजलों के एक कार्यक्रम के लिए वे सरकारी मेहमान बन कर जयपुर आये थे और उनकी इच्छा पर उन्हें लूणा गांव ले जाया गया था। कारों का काफिला जब गांव की ओर बढ़ रहा था, तो रास्ते में उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवा दी। काफिला थम गया। सड़क किनारे एक टीले पर छो