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जुगनी उडी गुलाबी पंख लेकर इस होली पर

ताज़ा सुर ताल - 2014 - 10 दोस्तों इस रविवार को दुनिया भर में मनाया गया महिला दिवस. आज जो दो गीत हम आपके लिए चुनकर लेकर आये हैं वो भी नारी शक्ति के दो मुक्तलिफ़ रूप दर्शाने वाले हैं. पहला गीत है गुलाब गैंग  का... कलगी हरी है, चोंच गुलाबी, पूँछ है उसकी पीली हाय, रंग से हुई रंगीली रे चिड़िया, रंग से हुई रंगीली  ... नेहा सरफ के लिखे इस खूबसूरत गीत में गौर कीजिये कि उन्होंने इस चिड़िया की चोंच गुलाबी  रंगी है, यही बदलते समय में नारी की हुंकार को दर्शाता है. वो अब दबी कुचली अबला बन कर नहीं बल्कि एक सबल और निर्भय पहचान के साथ अपनी जिंदगी संवारना चाहती है. शौमिक सेन के स्वरबद्ध इस गीत को आवाज़ दी है कौशकी चक्रवर्ति ने. गुलाब गैंग  में ९० के दशक की दो सुंदरियाँ, माधुरी दीक्षित और जूही चावला पहली बार एक साथ नज़र आयेगीं. फिल्म कैसी है ये आप देखकर बताएं, फिलहाल सुनिए ये गीत जो इस साल होली को एक नए रंग में रंगने वाली है.  ) कितने काफिले समय के/  धूल फांकते गुजरे हैं/  मेरी छाती से होकर/  मटमैली चुनर सी  / बिछी रही आसमां पे मैं... कोख में ही दबा दी गयी/  कितनी किलकारियां मेरी/  नरक का द्वार,

होली की उमंग : राग काफी के संग

स्वरगोष्ठी – 158 में आज फाल्गुनी परिवेश में राग काफी के विविध रंग   ‘लला तुमसे को खेले होली, तुम तो करत बरजोरी...’ फाल्गुनी परिवेश में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, पिछली पाँच कड़ियों से हम बसन्त ऋतु के मदमाते रागों पर चर्चा कर रहे हैं और फाल्गुनी परिवेश के अनुकूल गायन-वादन का आनन्द ले रहे हैं। फाल्गुन मास में शीत ऋतु का क्रमशः अवसान और ग्रीष्म ऋतु की आगमन होता है। यह परिवेश उल्लास और श्रृंगार भाव से परिपूर्ण होता है। प्रकृति में भी परिवर्तन परिलक्षित होने लगता है। रस-रंग से परिपूर्ण फाल्गुनी परिवेश का एक प्रमुख राग काफी होता है। स्वरों के माध्यम से फाल्गुनी परिवेश, विशेष रूप से श्रृंगार रस की अभिव्यक्ति के लिए राग काफी सबसे उपयुक्त राग है। पिछले अंकों में हमने इस राग में ठुमरी, टप्पा, खयाल, तराना और भजन प्रस्तुत किया था। राग, रस और रगों का पर्व होली अब मात्र एक सप्ताह की दूरी पर है, अतः आज के अंक में हम आपसे राग काफ

'सिने पहेली' प्रतियोगिता के महाविजेता बने हैं....

और 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के महाविजेता हैं... वाह! क्या काँटे की टक्कर रही इस महामुकाबले में प्रकाश गोविन्द और विजय कुमार व्यास के बीच!  दूसरे और तीसरे स्थान पर पंकज मुकेश और चन्द्रकान्त दीक्षित रहे।  क्षिति तिवारी ने महामुकाबले में भाग नहीं लिया। आप सभी विजेताओं को हज़ारों शुभकामायें! आइये अब आपको बतायें कि महामुकाबले के सवालों के सही जवाब क्या हैं। महामुक़ाबले के सवालों का हल उत्‍तर 1. गीत - श्‍याम सुन्‍दर मदन मोहन, कुंबरी संग बात कीनो........ (फिल्‍म - ट्रैप्‍ड, 1931) *इस गीत के मुखडे में संगीतकार 'श्‍याम सुन्‍दर' तथा संगीतकार 'मदन मोहन' के नाम आते हैं अर्थात गीत के मुखडे के प्रारम्‍भ में दो संगीतकारों के नाम मौजूद हैं । उत्‍तर 2. फिल्‍म का नाम -  तमाशा (1952) उत्‍तर 3. चित्र में दिखाई गई चीजों के नाम फिल्‍म 'हम आपके हैं कौन' के गीत 'दीदी तेरा देवर दीवाना'  के अन्‍तरों में आती हैं और इस गाने की धुन नुसरत फ़तेह अली ख़ान की कव्‍वाली 'सारे नबियां दां नबी तूं इमाम सोणिया' से प्रे