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चित्रकथा - 35: शायर व गीतकार ज़फ़र गोरखपुरी का फ़िल्म संगीत में योगदान

अंक - 35 शायर व गीतकार ज़फ़र गोरखपुरी का फ़िल्म संगीत में योगदान "समझ कर चाँद जिसको आसमाँ ने दिल में रखा है..."  82 बरस की उम्र में लम्बी बीमारी के बाद शायर व गीतकार ज़फर गोरखपुरी ने 29 जुलाई 2017 की रात मुम्बई में अपने परिवार के बीच आखिरी सांस ली। गोरखपुर की सरज़मी पर पैदा ज़फर गोरखपुरी की शायरी उन्हें लम्बे समय तक लोगों के दिल-ओ-दिमाग में ज़िंदा रखेगी। ज़फ़र साहब उर्दू के उम्दा शायर तो थे ही, साथ ही कुछ हिन्दी फ़िल्मों के लिए गाने भी लिखे। आइए फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत पार आधारित स्तंभ ’चित्रकथा’ में आज ज़िक्र छेड़ें उन गीतों की जिन्हें ज़फ़र गोरखपुरी ने लिखा है। आज के ’चित्रकथा’ का यह अंक समर्पित है ज़फ़र साहब की पुण्य स्मृति को। Zafar Gorakhpuri (5 May 1935 - 29 July 2017) ज़ फर गोरखपुरी को श्रद्धांजलि देते हुए साहित्यकार दयानंद पाण्डेय अपनी वाल पर लिखते हैं कि ‘अजी बड़ा लुत्फ था जब कुंवारे थे हम तुम, या फिर धीरे धीरे कलाई लगे थामने, उन को अंगुली थमाना ग़ज़ब हो गया! जैसी क़व्वालियों की उन दिनों बड़ी धूम थी। उस किशोर उम्र में ज़फर की यह दोनो

चित्रकथा - 34: इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 5)

अंक - 34 इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 5) "तू मेरा हीरो नंबर वन.."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम

चित्रकथा - 33: ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्मों में मुकेश के गाए गीत

अंक - 33 ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्मों में मुकेश के गाए गीत "ऊपर जाकर याद आई नीचे की बातें.."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  कल 27 अगस्त फ़िल्म जगत की दो महान हस्तियों की पुण्यतिथि है। सदाबहार फ़िल्मों के सुप्रसिद्ध निर्देशक और निर्माता ॠषिकेश  मुखर्जी, तथा सुनहरे दौर के महान पार्श्वगायक मुकेश, दोनों ने इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कहा था 27 अगस्

चित्रकथा - 32: अभिनेता इन्दर कुमार को श्रद्धांजलि

अंक - 32 अभिनेता इन्दर कुमार को श्रद्धांजलि "तुमको ना भूल पायेंगे.."  इन्दर कुमार (26 अगस्त 1973 - 28 जुलाई 2017) पि छले 28 जुलाई 2017 को अभिनेता इन्द्र कुमार की मात्र 43 वर्ष की आयु में असामयिक मृत्यु बेहद अफ़सोसजनक रही। इन्द्र कुमार उन अभिनेताओं में शामिल हैं जिन्होंने ना तो बहुत ज़्यादा फ़िल्में की और ना ही ज़्यादा कामयाब रहे, लेकिन जितना भी काम किया, अच्छा किया और उनके चाहने वालों ने उन गिने-चुने फ़िल्मों की वजह से उन्हें हमेशा याद किया। चोकोलेटी हीरो से लेकर खलनायक की भूमिका निभाने वाले इन्द्र कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी वह प्यारी मुस्कान, उनका सुन्दर चेहरा और शारीरिक गठन, और उनकी सहज अदाकारी उनाकी फ़िल्मों के ज़रिए सदा हमारे साथ रहेगी। आइए आज ’चित्रकथा’ के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करें स्वर्गीय इन्द्र कुमार की पुण्य स्मृति को। आज का यह अंक उन्ही को समर्पित है। कहते हैं कि एक इंसान मर सकता है पर कला और कलाकार कभी नहीं मरते। एक कलाकार अपनी कला से अमर हो जाता है। शरीर नश्वर है, लेकिन कला और कलाकृति की आभा युगों युगों तक र

चित्रकथा - 31: इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 4)

अंक - 31 इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 4) "अपनी  प्रेम कहानी का तू हीरो है.."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की ध