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उस्ताद विलायत खाँ से सुनिए राग शंकरा

    स्वरगोष्ठी – 130 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 10 राग शंकरा पर आधारित एक अनूठा गीत ‘बेमुरव्वत बेवफा बेगाना-ए-दिल आप हैं...’ इन दिनों आप ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ का रसास्वादन कर रहे हैं। इस लघु श्रृंखला की दसवीं और समापन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की इस संगोष्ठी में उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत अब तक हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा चुके हैं, जो छः दशक से भी पूर्व की अवधि के हैं। रागों के आधार के कारण ये आज भी सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का हमारा उद्देश्य यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम उन भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपको 1966 की फिल्म ‘सुशीला’ का राग शंकरा पर आधारित एक सदाबहार गीत सुनवाएँगे और इस गीत के संगीतकार स

सिने पहेली - 71

सिने पहेली – 71 आठवें सेगमेंट की पहली पहेली     सि ने पहेली के 71वें अंक में  मैं आपका साथी अमित तिवारी आप सबका स्वागत करता हूँ.  सिने पहेली का सातवाँ सेगमेंट खत्म हुआ और हम आ पहुंचे हैं आठवें सेगमेंट पर. क्या गजब का रहा सातवाँ सेगमेंट. उतार चढ़ाव, सभी प्रतिभागी एक दूसरे को जमकर टक्कर देते हुए. कुछ नये खिलाड़ी हमसे जुड़े भी. सातवें सेगमेंट की अंतिम पहेली में सबसे पहले सभी जवाब सही देकर सरताज प्रतियोगी बने बेंगुलुरू के पंकज मुकेश जी. सातवें सेगमेंट में शुरू से अपनी बढ़त बनाये रखी लखनऊ से प्रकाश गोविन्द जी ने और सातवें सेगमेंट में निर्णायक रूप से प्रथम स्थान प्राप्त किया. दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः बीकानेर से विजय कुमार व्यास जी और लखनऊ से चंद्रकांत दीक्षित जी रहे.  पंकज मुकेश जी ने कड़ी टक्कर दी लेकिन उन्हें सिने पहेली के 62 वें और 64 वें अंक में भाग नहीं लेने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा.  बहरहाल सभी विजेताओं को बधाईयाँ और अन्य सभी को आठवें सेगमेंट के लिए शुभकामनायें. इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना

ऋतु आधारित राग हैं इस रागमाला गीत में

स्वरगोष्ठी – 117 में आज रागों के रंग रागमाला गीत के संग – 4 ‘ऋतु आए ऋतु जाए सखी री मन के मीत न आए...’ ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नये अंक के साथ मैं, कृष्णमोहन मिश्र अपने संगीत-प्रेमी पाठकों-श्रोताओं के बीच एक बार पुनः उपस्थित हूँ। आज के अंक में हम एक बार फिर लघु श्रृंखला ‘रागों के रंग रागमाला गीत के संग’ की अगली कड़ी प्रस्तुत कर रहे हैं। श्रृंखला के पिछले दो अंकों में हमने जो गीत शामिल किये थे, उनमे रागों के क्रम प्रहर के क्रमानुसार थे। परन्तु आज के रागमाला गीत में रागों का क्रम बदलते मौसम के अनुसार है। इस गीत में ग्रीष्म ऋतु का राग गौड़ सारंग, वर्षा ऋतु का राग गौड़ मल्हार, पतझड़ का राग जोगिया और बसन्त ऋतु का राग बहार क्रमशः शामिल किया गया है। रागमाला का यह गीत हमने 1953 प्रदर्शित फिल्म ‘हमदर्द’ से लिया है। फिल्म के संगीतकार हैं, अनिल विश्वास और इसे मन्ना डे और लता मंगेशकर ने गाया है।  अनिल विश्वास और लता मंगेशकर   ‘रा गमाला’ संगीत का वह प्रकार होता है, जिसमे किसी गीत में एक से अधिक रागों का प्रयोग हो और सभी राग स्वतंत्र रूप से रच