स्वरगोष्ठी – 430 में आज
वर्षा ऋतु के राग – 4 : सूर मल्हार
पण्डित भीमसेन जोशी से इस राग में दो खयाल और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए
पण्डित भीमसेन जोशी |
लता मंगेशकर |
मल्हार अंग के रागों
की श्रृंखला में कुछ राग अपने युग के महान संगीतज्ञों, कवियों के नाम पर
प्रचलित है। ऐसा ही एक उल्लेखनीय राग है- सूर मल्हार। ऐसी मान्यता है कि इस
राग की रचना हिन्दी के भक्त कवि सूरदास ने की थी। इस ऋतु प्रधान राग में
निबद्ध रचनाओं में पावस के सजीव चित्रण का गुण तो होता ही है, नायिका के
विरह के भाव को सम्प्रेषित करने की क्षमता भी होती है। राग सूर मल्हार काफी
थाट का राग माना जाता है। इसकी जाति औडव-षाडव होती है, अर्थात आरोह में
पाँच और अवरोह में छः स्वरों का प्रयोग किया जाता है। इसका वादी मध्यम और
संवादी षडज होता है। यह उत्तरांग प्रधान राग है। राग सूर मल्हार में दोनों
निषाद का प्रयोग किया जाता है। आरोह में गान्धार और धैवत स्वरों का तथा
अवरोह में गान्धार स्वर का प्रयोग वर्जित होता है। फिल्मी संगीतकारों ने
वर्षा ऋतु के इस राग सूर मल्हार पर आधारित एकाध गीत ही रचे हैं, जिसमें
वर्षा ऋतु के अनुकूल भावों की अभिव्यक्ति हो। गीतकार भरत व्यास का लिखा और संगीतकार वसन्त देसाई का
संगीतबद्ध किया एक कर्णप्रिय गीत हमे अवश्य उपलब्ध हुआ। फिल्म संगीतकारों
में वसन्त देसाई एक ऐसे संगीतकार रहे हैं जिनकी रचनाओं में रागदारी संगीत
के प्रति लगाव और उनकी प्रतिबद्धता के स्पष्ट दर्शन होते हैं। मल्हार अंग
के रागों के प्रति उनका लगाव उनकी अन्तिम फिल्म ‘शक’ तक निरन्तर बना रहा।
इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी में बसन्त देसाई द्वारा राग मियाँ मल्हार में
स्वरबद्ध ‘गुड्डी’ का आकर्षक गीत आप सुन चुके हैं। आज के अंक में हम राग
सूर मल्हार के स्वरों में पिरोया उनका एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। 1967
में प्रदर्शित फिल्म ‘रामराज्य’ का यह गीत है, जिसे भरत व्यास ने लिखा,
वसन्त देसाई ने संगीतबद्ध किया और लता मंगेशकर ने स्वर दिया है।
राग सूर मल्हार : ‘डर लागे गरजे बदरवा..’ : लता मंगेशकर : फिल्म - रामराज्य
इस
राग की कुछ अन्य विशेषताओं को रेखांकित करते हुए जाने-माने इसराज और मयूर
वीणा वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र ने बताया कि सूर मल्हार का मुख्य अंग है-
सा [म]रे प म, नी(कोमल) म प, नी(कोमल)ध प, म रे सा होता है। राग के
गायन-वादन में यदि सारंग झलकने लगे तो नी(कोमल) ध s म प नी(कोमल) ध s प
स्वरों का प्रयोग करने से सारंग तिरोहित हो जाता है। श्री मिश्र के अनुसार
सारंग के भाव में मेघ मल्हारांश उद्वेग के चपल और गम्भीर ओज से युक्त भाव
में राग देस के अंश के विरह भाव के मिश्रण से कसक-युक्त उल्लास में वेदना
के मिश्रण से नये रस-भाव का सृजन होता है। अब आप पण्डित भीमसेन जोशी से
सुनिए, राग सूर मल्हार में निबद्ध दो मोहक खयाल रचनाएँ। मध्यलय की रचना
एकताल में है, जिसके बोल हैं - ‘बादरवा गरजत आए...’ और इसके बाद द्रुत तीनताल की बन्दिश के बोल हैं - ‘बादरवा बरसन लागी...’। आप इन खयाल रचनाओं को सुनिए और मुझे इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग सूर मल्हार : ‘बादरवा गरजत आए...’ और ‘बादरवा बरसन लागी...’ : पण्डित भीमसेन जोशी
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 430वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1979 में प्रदर्शित एक
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। इस अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक
अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019 के तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा।
इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में
महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस अंश में किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका की आवाज़ हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 17 अगस्त, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 432 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 428वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1951 में प्रदर्शित फिल्म
“मल्हार” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – गौड़ मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “वर्षा ऋतु के राग” की चौथी कड़ी में आज आपने मल्हार अंग के राग
“सूर मल्हार” का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए सुविख्यात संगीरज्ञ पण्डित भीमसेन जोशी के स्वरों में
प्रस्तुत दो खयाल रचनाओं का रसास्वादन किया। इससे पहले इसी राग पर आधारित
फिल्म “रामराज्य” से एक गीत पार्श्वगायिका लता मंगेशकर के स्वरों में
सुनवाया गया। संगीतकार वसन्त देसाई ने इस गीत को राग सूर मल्हार के स्वरों
में संगीतबद्ध किया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में
हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि
हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और
अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में
यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली
श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग सूर मल्हार : SWARGOSHTHI – 430 : RAG SOOR MALHAR : 11 अगस्त, 2019
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