Skip to main content

Posts

Showing posts with the label ustad faiyaz khan

राग देसी : SWARGOSHTHI – 483 : RAG DESI

स्वरगोष्ठी – 483 में आज   आसावरी थाट के राग – 5 : राग देसी अथवा देसी तोड़ी   उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ से राग देसी में ध्रुपद अंग का आलाप और उस्ताद अमीर खाँ व पण्डित डी.वी. पलुस्कर से फिल्मी गीत सुनिए  उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ  पं. डी.वी. पलुस्कर और उस्ताद अमीर खाँ  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किय

राग मारू बिहाग : SWARGOSHTHI – 410 : RAG MARU BIHAG

स्वरगोष्ठी – 410 में आज कल्याण थाट के राग – 8 : राग मारू बिहाग उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ से राग मारू बिहाग का खयाल और इस राग में पिरोया फिल्म सेहरा का गीत सुनिए उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी लघु श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” के आठवें अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु न

राग मारूविहाग : SWARGOSHTHI – 376 : RAG MARUVIHAG

स्वरगोष्ठी – 376 में आज राग से रोगोपचार – 5 : रात्रि के पहले प्रहर का राग मारूविहाग सामान्य चिन्ता को दूर भगाया जा सकता है, राग मारूविहाग के स्वरों से मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, इस श्रृंखला के लेखक, संगीतज्ञ और इसराज तथा मयूरवीणा के सुविख्यात वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मानव का शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। बाहरी वातावरण के प्रतिकूल प्रभाव से मानव के तन और मन में प्रायः कुछ विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के लिए हम विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की शरण में जाते हैं। पूरे विश्व में रोगोपचार की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित है। भारत में हजारों वर्षों से योग से रोगोपचार की परम्परा जारी है। प्राणायाम का तो पूरा आधार ही श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होता है। संगीत में स्वरोच्चार भी श्वसन क्रिया पर केन्द्रित होते हैं

राग देसी : SWARGOSHTHI – 292 : RAG DESI

स्वरगोष्ठी - 292 में आज नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 5 : रागदारी संगीत की सुगन्ध बिखेरता दौर “आज गावत मन मेरो झूम के, तेरी तान भगवान...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला – “नौशाद के गीतों में राग-दर्शन” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस श्रृंखला का समापन हम आगामी 25 दिसम्बर को नौशाद अली की 98वीं जयन्ती के अवसर पर करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता वाहिद अली घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यहीं निकट ही मुख्य मार्ग लाटूश रोड (वर्तमान ग

राग ललित : SWARGOSHTHI – 261 : RAG LALIT

स्वरगोष्ठी – 261 में आज दोनों मध्यम स्वर वाले राग – 9 : राग ललित उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ और मदन मोहन का राग ललित ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला – ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों की चर्चा कर रहे हैं, जिनमें दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता है। संगीत के सात स्वरों में ‘मध्यम’ एक महत्त्वपूर्ण स्वर होता है। हमारे संगीत में मध्यम स्वर के दो रूप प्रयोग किये जाते हैं। स्वर का पहला रूप शुद्ध मध्यम कहलाता है। 22 श्रुतियों में दसवाँ श्रुति स्थान शुद्ध मध्यम का होता है। मध्यम का दूसरा रूप तीव्र या विकृत मध्यम कहलाता है, जिसका स्थान बारहवीं श्रुति पर होता है। शास्त्रकारों ने रागों के समय-निर्धारण के लिए कुछ सिद्धान्त निश्चित किये हैं। इन्हीं में से एक सिद्धान्त है, “अध्वदर्शक स्वर”। इस सिद्धान्त के अनुसार राग का मध्यम स्वर महत्त्वपूर्ण हो जाता है। अध्वदर्शक स्वर

‘बनाओ बतियाँ चलो काहे को झूठी...’ : SWARGOSHTHI – 183 : DADARA BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 183 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी - 2 : भैरवी दादरा उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ का गाया दादरा जब मन्ना डे ने दुहराया- ‘बनाओ बतियाँ चलो काहे को झूठी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। यह पूर्व में प्रकाशित / प्रसारित श्रृंखला का परिमार्जित रूप है। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के कुछ स्तम्भ केवल श्रव्य माध्यम से प्रस्तुत किये जाते हैं तो कुछ स्तम्भ आलेख, चित्र दृश्य माध्यम और गीत-संगीत श्रव्य माध्यम के मिले-जुले रूप में प्रस्तुत होते हैं। इस श्रृंखला से हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। श्रृंखला के अंक हम प्रायोगिक रूप से दोनों माध्यमों में प्रस्तुत कर रहे हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की प्रमुख सहयोगी संज्ञा टण्डन की आवाज़ में पूरा आलेख और गीत-संगीत श्रव्य माध्यम से भी प्रस्तुत किया जा रहा है। हमारे इस प्रयोग पर आप अपनी प्रतिक्रिया अवश्य