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बातों बातों में - 07 : INTERVIEW OF LYRICIST AMIT KHANNA

बातों बातों में - 07 गीतकार अमित खन्ना से सुजॉय चटर्जी की बातचीत "मैं अकेला अपनी धुन में मगन..."  नमस्कार दोस्तो। हम रोज़ फ़िल्म के परदे पर नायक-नायिकाओं को देखते हैं, रेडियो-टेलीविज़न पर गीतकारों के लिखे गीत गायक-गायिकाओं की आवाज़ों में सुनते हैं, संगीतकारों की रचनाओं का आनन्द उठाते हैं। इनमें से कुछ कलाकारों के हम फ़ैन बन जाते हैं और मन में इच्छा जागृत होती है कि काश, इन चहेते कलाकारों को थोड़ा क़रीब से जान पाते; काश; इनके कलात्मक जीवन के बारे में कुछ जानकारी हो जाती, काश, इनके फ़िल्मी सफ़र की दास्ताँ के हम भी हमसफ़र हो जाते। ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' ने फ़िल्मी कलाकारों से साक्षात्कार करने का बीड़ा उठाया है। । फ़िल्म जगत के अभिनेताओं, गीतकारों, संगीतकारों और गायकों के साक्षात्कारों पर आधारित यह श्रॄंखला है 'बातों बातों में', जो प्रस्तुत होता है हर महीने के चौथे शनिवार को। आज अप्रैल 2015 के चौथे शनिवार के दिन प्रस्तुत है फ़िल्म जगत के सुप्रसिद्ध गीतकार अमित खन्ना से की गई हमारी टेलीफ़ोनिक बातचीत के सम्पादित

लक्ष्य छोटे हों या बड़े, पूरे होने चाहिए- शैलेश भारतवासी

डैलास, अमेरिका के एफ॰एम॰ रेडियो चैनल 'रेडियो सलाम नमस्ते' को दिये गये अपने साक्षात्कार में हिन्द-युग्म के संस्थापक-नियंत्रक शैलेश भारतवासी ने कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह चाहे छोटे लक्ष्य बनायें या बड़े लक्ष्य बनाये, उसे पूरा करे। शैलेश रेडियो सलाम नमस्ते के हिन्दी कविता को समर्पित साप्ताहिक कार्यक्रम 'कवितांजलि' के २१ दिसम्बर के कार्यक्रम में टेलीफोनिक इंटरव्यू दे रहे थे। हमें वह रिकॉर्डिंग प्राप्त हो गई है। आप भी सुनें, शैलेश की बातें और उसके बाद रेडियो सलाम नमस्ते के श्रोताओं की बातें। आदित्य प्रकाश यह कार्यक्रम डैलास, अमेरिका में ही वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हिन्दी सेवी आदित्य प्रकाश सिंह द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। आदित्य प्रकाश की आवाज़ सुनकर हर एक हिन्दी प्रेमी को हिन्दी के लिए कुछ कर गुजरने की ऊर्जा मिलती है। आदित्य प्रकाश सिंह अपने खर्चे से दुनिया भर के हिन्दी कर्मियों को अपने कवितांजलि कार्यक्रम से जोड़ते हैं। यहाँ तक कि स्टूडियो तक आने-जाने का खर्च भी ये ही उठाते हैं। मूल रूप से भारत में बिहार के रहनेवाले आदित्य प्रकाश कवि

वह कभी पीछे मुडकर नहीं देखती, इसीलिए वह आशा है

सजय पटेल ने दो बरस पहले ख्यात गायिका आशा भोंसले से उनके जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले बात की थी.उसी गुफ़्तगू की ज़ुगाली आज आवाज़ पर.... संघर्ष हर एक के जीवन में हमेशा ही रहता है, लेकिन उन्होंने पीछे मुड़कर देखना नहीं सीखा और शायद इसीलिए वह सिर्फ़ नाम की आशा नहीं, ज़िंदगी का वो फ़लसफ़ा हैं जिसमें "निराशा' शब्द के लिए कोई जगह नहीं। वह वैसा फूल भी नहीं हैं जिसे कल मुरझाना है, वह ऐसी ख़ुशबू हैं जिसकी महक में उल्लास है, ख़ुशी है, ज़ज़्बा है।ये सारे शब्द उस आवाज़ के लिये यहाँ झरे हैं, जो साठ बरसों से मादकता, मदहोशी और मुस्कान का मीठा सिलसिला पेश करती आई हैं, आशा भोंसले। दो बरस पहले टेलीफ़ोन पर उनसे जब चर्चा हुई थी तब आशाजी ने कहा- जीवन ताल और लय में होना ज़रूरी है। सुर उतरा तो चढ़ जाएगा, लेकिन ताल बिगड़ी तो समझिए संगीत का समॉं ही बिगड़ गया। मनुष्य के लिए "चाल-ढाल और गाने वालों के लिए ताल' बहुत ज़रूरी है। मैंने न जाने कितने संगीतकारों के साथ काम किया तो उसे अपना एक विनम्र कर्तव्य माना। कभी काम करके थकान नहीं महसूस की मैंने। मानकर चली कि संगीत का काम भी एक इबादत है, उसे तो करना