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साहिब मेरा एक है.. अपने गुरू, अपने साई, अपने साहिब को याद कर रही है कबीर, आबिदा परवीन और गुलज़ार की तिकड़ी

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११२ न शे इकहरे ही अच्छे होते हैं। सब कहते हैं दोहरे नशे अच्छे नहीं। एक नशे पर दूसरा नशा न चढाओ, पर क्या है कि एक कबीर उस पर आबिदा परवीन। सुर सरूर हो जाते हैं और सरूर देह की मिट्टी पार करके रूह मे समा जाता है। सोइ मेरा एक तो, और न दूजा कोये । जो साहिब दूजा कहे, दूजा कुल का होये ॥ कबीर तो दो कहने पे नाराज़ हो गये, वो दूजा कुल का होये ! गुलज़ार साहब के लिए यह नशा दोहरा होगा, लेकिन हम जानते हैं कि यह नशा उससे भी बढकर है, यह तिहरा से किसी भी मायने में कम नहीं। आबिदा कबीर को गा रही हैं तो उनकी आवाज़ के सहारे कबीर की जीती-जागती मूरत हमारे सामने उभर आती है, इस कमाल के लिए आबिदा की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। लेकिन आबिदा गाना शुरू करें उससे पहले सबा के झोंके की तरह गुलज़ार की महकती आवाज़ माहौल को ताज़ातरीन कर जाती है, इधर-उधर की सारी बातें फौरन हीं उड़न-छू हो जाती है और सुनने वाला कान को आले से उतारकर दिल के कागज़ पर पिन कर लेता है और सुनता रहता है दिल से.. फिर किसे खबर कि वह कहाँ है, फिर किसे परवाह कि जग कहाँ है! ऐसा नशा है इस तिकड़ी में कि रूह पूरी की पूरी डूब जाए, मदमाती रहे औ

मिलने के दिन आ गए....सुर्रैया और सहगल की युगल आवाजों में एक यादगार गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 583/2010/283 फ़ि ल्म जगत की सुप्रसिद्ध गायिका-अभिनेत्री सुरैया पर केन्द्रित लघु शृंखला 'तेरा ख़याल दिल से भुलाया ना जाएगा' की तीसरी कड़ी लेकर हम हाज़िर हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के महफ़िल की शमा जलाने के लिए। ३० और ४० के दशकों में कुंदन लाल सहगल का कुछ इस क़दर असर था कि उस ज़माने के सभी कलाकार उनके साथ काम करने के लिए एक पाँव पर खड़े रहते थे। और अगर किसी नए कलाकार को यह सौभाग्य प्राप्त हो जाए तो उसके लिए यह बहुत बड़ी बात होती थी। ऐसा ही मौका सुरैया जी को भी मिला जब १९४५ में फ़िल्म 'तदबीर' में उन्हें सहगल साहब के साथ न केवल अभिनय करने का मौका मिला, बल्कि उनके साथ युगल गीत गाने का भी मौका मिला। और क्योंकि सुरैया जी ख़ुद यह मानती थी कि यह उनके लिए एक बहुत बड़ी बात थी, इसलिए हमने सोचा कि सुरैया और सहगल साहब का गाया उसी फ़िल्म का एक युगल गीत इस शृंखला में बजाया जाए। गीत के बोल हैं "मिलने के दिन आ गये"। इस फ़िल्म में संगीत था कमचर्चित संगीतकार लाल मोहम्मद का। उनके बारे में अभी आपको बताएँगे, लेकिन उससे पहले सुनिए सुरैया के शब्दों में सहगल स