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गोपालदास नीरज का एक संगीतबद्ध गीत

समय-समय पर आवाज़ नई प्रतिभाओं से आपको रूबरू कराता रहता है। आज हम आपको एक बहुत ही प्रतिभावान कवि, संगीतकार और गायक से मिलाने जा रहे हैं। जी हाँ, ये हैं अब्बास रज़ा अल्वी । अब्बास हिन्दी और उर्दू कविता से तबसे जुड़े हैं जबसे इन्होंने ऑस्ट्रेलिया में कवि सम्मेलन और मुशायरों में पाठ किया। सिडनी में इनके पास अपना रिकॉर्डिंग स्टूडियो है। हिन्दी-उर्दू की गंगा-जमुनी संस्कृति में पले-बढ़े तथा भारतीय तथा पाश्चात्य संगीत का अनुभव रखने वाले अल्वी ने कविताएँ लिखीं, उन्हें संगीतबद्ध किया और गाया तथा उस एल्बम का नाम दिया 'बैलेंस इन लाइफ'। अल्वी ने ऑस्ट्रेलिया की ढेरों सांस्कृतिक तथा सामुदायिक संस्थानों के साथ काम किया। इसके साथ ही साथ इन्होंने साहित्य, रंगमंच, रेडियो व टीवी कार्यक्रमों के लिए भी काम किया। लेकिन ये दिल से कवि थे, कविताएँ इनके अंतर्मन के तार छेड़ती थी, इसलिए लिखने का काम सर्वोपरि रहा। ऑस्ट्रेलिया में इनका पहला ऑडियो एल्बम रीलिज हुआ 'कर्बला को सलाम' जो इनके स्वर्गीय पिता जनाब मुनव्वर अब्बास अल्वी को समर्पित थी। इसके बाद 'मुनव्वर प्रोडक्शन' के बैनर तले इन्होंने प्

"आज बिरज में होरी रे रसिया...."- लीपिका भट्टाचार्य की आवाज़ में सुनिए "होरी" गीत

सभी पाठकों और श्रोताओं को होली की शुभकामनायें. आज होली के अवसर पर आवाज़ पर भी कुछ बहुत ख़ास है आपके लिए. इस शुभ दिन को हमने चुना है आपको एक उभरती हुई गायिका से मिलवाने के लिए जो आपको अपनी मधुर आवाज़ में "होरी" के रंगों से सराबोर करने वाली हैं. गायिका और संगीत निर्देशिका लीपिका भट्टाचार्य लगभग तभी से युग्म के साथ जुडी हैं जब से हमने अपने पहले संगीतबद्ध गीत के साथ युग्म पर संगीत रचना की शुरुआत की थी. उन दिनों वो एक जिंगल का काम कर चुकी थी. पर चूँकि हमारा काम इन्टरनेट आधारित रहा तो इसमें अलग अलग दिशाओं में बैठे कलाकारों के दरमियाँ मेल बिठाने के मामले में अक्सर परेशानियाँ सामने आती रही. लीपिका भी इसी परेशानी में उलझी रही, इस बीच उन्होंने अपनी दो कृष्ण भजन की एल्बम का काम मुक्कमल कर दिया जिनके नाम थे -"चोरी चोरी माखन" और "हरे कृष्ण". इन सब व्यस्तताओं के बीच भी उनका आवाज़ से सम्पर्क निरंतर बना रहा. बीच में उनके आग्रह पर हमने शोभा महेन्द्रू जी का लिखा एक शिव भजन उन्हें भेजा था स्वरबद्ध करने के लिए पर बात बन नहीं पायी. अब ऐसी प्रतिभा की धनी गायिका को आपसे मिलवाने का

खिलखिलाती याद, मुस्कुराती याद, बिगड़ी हुई सी वो चिढ़ाती याद

दूसरे सत्र के २४वें गीत का विश्वव्यापी उद्घाटन हिन्द-युग्म के १०वें गीत ' खुशमिज़ाज मिट्टी ' के बोलों ने आवाज़ के श्रोताओं पर सर चढ़कर बोला। यह ज़ादू किया था गौरव सोलंकी के गीत ने। गौरव सोलंकी जो हिन्द-युग्म के दूसरे यूनिकवि और पाठकों के सबसे प्रिय कवि भी हैं। आज हम जो २४वाँ गीत 'चाँद का आँगन' लेकर आये हैं, उसके बोल भी गौरव ने लिखे हैं। गीत को स्वरबद्ध किया है ग्वालियर निवासी कुमार आदित्य विक्रम ने। कुमार आदित्य विक्रम की आवाज़ में हमने इन्हीं के कवि पिता डॉ॰ महेन्द्र भटनागर की कविता का पॉडकास्ट प्रसारित किया था, तब ही आवाज़ की टीम ने यह जान लिया था कि इस संगीतकार-गायक के पास कविताओं को कम्पोज़ करने का हुनर है। इसलिए हमने सबसे पहले हमने इन्हें गौरव सोलंकी की कविता 'चाँद कला आँगन' कम्पोज करने के लिए दी। आइए सुनते हैं यह गीत- कुमार आदित्य गौरव सोलंकी When Hind-Yugm released its this session 10th song 'Khushmizaz Mitti' , the lyrics of this song had rocked. This magic was of Hind-Yugm's famous writer and poet Gaurav Solanki's creation. Now this

एक मुलाकात कवयित्री, गायिका और चित्रकार सुनीता यादव से

हिंद युग्म ने जिस उद्देश्य से बाल-उद्यान मंच की शुरूआत की थी, वो था बच्चों को सीधे तौर पर इस हिन्दी इंटरनेटिया आयाम से जोड़ने की। आज हम अगर इस उद्देश्य में काफी हद तक सफल हो पाये हैं तो उसका एक बड़ा श्रेय जाता है हमारे सबसे सक्रिय और समर्पित कार्यकर्ताओं में से एक सुनीता यादव को। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे द्वारा आदर्श शिक्षक पुरस्कार (२००४) और जॉर्ज फेर्नादिज़ पुरस्कार (२००६) से सम्मानित सुनीता ने और भी बहुत सी उपलब्धियाँ हासिल की है जैसे केंद्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में कविता पाठ, आकाशवाणी औरंगाबाद से भी कविताओं का प्रसारण, परिचर्चायों में भागीदारी, गायन में अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत, २००५ में कत्थक नृत्यांगना कु.पार्वती दत्ता द्वारा आयोजित विश्व नृत्य दिवस कार्यक्रम का संचालन आदि। अभी पिछले महीने की आकाशवाणी औरंगाबाद के हिन्दी कार्यक्रम में सुनीता यादव का काव्य-पाठ प्रसारित हुआ, जिसे सुनीता ने बहुत ही अलग ढंग से पेश किया। हमें इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई है, आपको भी सुनवाते हैं- उर्जा से भरपूर सुनीता यादव हैं - हमारी सप्ताह की

गीत में तुमने सजाया रूप मेरा

मिलिए संगीत का नया सितारा 'कुमार आदित्य' से हिन्द-युग्म ने 'आवाज़' का बीज इंटरनेट रूपी जमीन में पिछले वर्ष इसलिए बोया ताकि इससे उपजने वाले वटवृक्ष की छाया तले नई प्रतिभाएँ सुस्ताएँ, कुछ आराम महसूस करें, इसकी घनी छायातले सुर-साधना कर सकें। २७ अक्टूबर को आवाज़ ने अपनी पहली वर्षगाँठ भी मनाई। और पिछले एक साल में जिस तरह इस वृक्ष को खाद-पानी मिलता रहा उससे यह लगने लगा कि इसकी जड़ें बहुत गहरी जायेंगी और छाया भी घनी से अत्यधिक घनी होती जायेगी। कुमार आदित्य आज हम आपको एक और नये कलाकार से मिलवाने जा रहे हैं। इस सत्र में आप हमारे अब तक रीलिज्ज़ १७ गीतों के संगीतकारों के अतिरिक्त ग़ज़ल-नज़्म गायक-संगीतकार रफ़ीक़ शेख़ , शिशिर पारखी से मिल चुके हैं। आज सुगम संगीत गायक कुमार आदित्य से आपका परिचय करवाने जा रहे हैं। आदित्य कुमार हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि डॉ॰ महेन्द्र भटनागर के सुपुत्र हैं। संगीत एवं कला की नगरी ग्वालियर के एक सुप्रसिद्ध सुगम संगीत गायक हैं। इनकी ईश्वरीय प्रदत्त मधुर आवाज़ के कारण श्रोताओं और चाहने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अपनी मधुर आवाज़ में गज़ल गायक क

सच्चे सुरों की दुनिया का बाशिंदा है कृष्णा पंडित

निरंतर नई प्रतिभाओं को जब हम इस मंच पर लाते हैं और जब उनके गीत आपके मन के गीत बन जाते हैं वो क्षण हमारे लिए सफलता के होते हैं. भोपाल, मध्य प्रदेश के एक बेहद प्रतिभाशाली गायक संगीतकार कृष्णा पंडित और उनकी पूरी टीम का तैयार किया गया गीत " सूरज चाँद और सितारे. .." पिछले सप्ताह आवाज़ पर हम लेकर आए थे जिसे हमारे श्रोताओं ने पसंद किया और सराहा. आज हम आपको मिलवा रहे हैं इसी सूफी ग्रुप के शीर्ष कृष्णा पंडित से, जो हैं हमारे इस हफ्ते के फीचर्ड आर्टिस्ट. हिंद युग्म - भोपाल जैसे शहर में कैसे बना ये संगीत ग्रुप ? कृष्णा पंडित : भोपाल शहर में बहुत से कलाकार हैं, हम सब मिलकर और व्यक्तिगत भी काम करते ही रहते थे मैं उस समय ग्रुप में नहीं था. लगभग चार साल पहले चैतन्य दादा के मन में यह विचार आया कि हम जो कुछ भी सोच रहे हैं, कर रहे हैं वह कोई आम कार्य नहीं है और दादा ने इसे अंजाम दे दिया ...... हिंद युग्म- सूफी ही चुना आप सब ने अपने संगीत का माध्यम ? कृष्णा पंडित : सूफी का मर्म रब की निष्पक्ष इबादत करना है, इसको समझना ही एक परम सुख है फिर निभाने में तो जन्नत का आनंद है, सुगम संगीत भी करते है लेक

सच बोलता है मुंह पर, चाहे लगे बुरा सा

दूसरे सत्र के तेरहवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. नए गीतों को प्रस्तुत करने के इस चलन में अब तक ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई कलाकार अपने पहले गीत के ओपन होने से पहले ही एक जाना माना नाम बन जाए कुछ इस कदर कि आवाज़ के स्थायी श्रोताओं को लगातार ये जानने की इच्छा रही कि अपने संगीत और आवाज़ से उन पर जादू करने वाले रफ़ीक शेख का गीत कब आ रहा है. तो दोस्तों आज इंतज़ार खत्म हुआ. आ गए हैं रफ़ीक शेख अपनी पहली प्रवष्टि के साथ आवाज़ के इस महा आयोजन में. साथ में लाये हैं एक नए ग़ज़लकार अजीम नवाज़ राही को, रिकॉर्डिंग आदि में मदद रहा अविनाश जी का जो रफ़ीक जी के मित्र हैं. दोस्तों हमें यकीन है रफ़ीक शेख की जादू भरी आवाज़ में इस खूबसूरत ग़ज़ल का जादू आप पर ऐसा चलेगा कि आप कई हफ्तों, महीनों तक इसे गुनगुनाने पर मजबूर हो जायेंगे. तो मुलाहजा फरमायें युग्म की नयी पेशकश,ये ताज़ा तरीन ग़ज़ल - " सच बोलता है ....." ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें - After creating a lot of buzz by his rendition of Ahmed Faraz sahab's ghazals (as a musical tribute to the legend) singer/composer Ra

जैसे ही देखा मोहिंदर कुमार जी का गीत, लगा कि धुन मिल गयी...

हिंद युग्म की नयी खोज हैं, संगीतकार और गायक कृष्ण राज कुमार , जो हैं आवाज़ पर इस हफ्ते के उभरते सितारे. २२ वर्षीय कृष्ण राज दक्षिण भारत के कोच्ची केरल से हैं, अभी अभी अपनी पढ़ाई पूरी की है इन्होने. संगीत का शौक बचपन से है और पिछले १४ सालों से कर्णाटक संगीत में दीक्षा ले रहे हैं. आवाज़ पर इनका पहला स्वरबद्ध किया और गाया हुआ गीत " राहतें सारी " इस शुक्रवार को ओपन हुआ था और बेहद सराहा भी गया, जिससे कृष्ण कुमार के हौसले यकीनन बढ़े हैं और हमारे श्रोता आने वाले दिनों में उनसे और बेहतर गीतों की उम्मीद रख सकते हैं. दरअसल हर गीत की तरह इस गीत की भी एक कहानी है. आईये जानते हैं ख़ुद कृष्ण कुमार से की कैसे बना ये सुमधुर गीत. (कृष्ण हिंद युग्म से हिन्दी टंकण अभी सीख रहे हैं, पर यहाँ प्रस्तुत उनका यह अनुभव अभी मूल रूप में ही आपके सामने है) First of all I thank God for blessing me, second I thank sajeev ji for giving me an opportunity to showcase my talent and last but not the least I thank Mohinder kumar ji for providing such a wonderful lyrics without which I wouldn’t be able to compose