Skip to main content

Posts

Showing posts with the label film guddi

मियाँ की मल्हार : SWARGOSHTHI – 225 : MIYAN KI MALHAR

स्वरगोष्ठी – 225 में आज रंग मल्हार के – 2 : राग मियाँ मल्हार ‘बिजुरी चमके बरसे मेहरवा...’ और ‘बोले रे पपीहरा...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी नई लघु श्रृंखला ‘रंग मल्हार के’, जारी है। श्रृंखला के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत करेंगे। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग के मेल से भी वर्षा ऋतु के अनुकूल परिवेश रचने में सक्षम होते हैं। इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी में हम मल्हार अंग क

SWARGOSHTHI – 176 : Raag Miyan Malhar : ‘उमड़ घुमड़ गरज गरज बरसन को आए...’

स्वरगोष्ठी – 176 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 2 : राग मियाँ मल्हार   पावस ऋतु की चरम अवस्था के सौन्दर्य की अनुभूति कराने पूर्ण समर्थ राग मियाँ की मल्हार   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की दूसरी कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग के मेल से भी वर्षा ऋतु के

‘कान्हा रे नन्दनन्दन...’ : राग केदार में एक प्रार्थना गीत

स्वरगोष्ठी – 134 में आज रागों में भक्तिरस – 2 ‘हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें...’   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी है, भारतीय संगीत के विविध रागों में भक्तिरस की उपस्थिति विषयक लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान रागों और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। दरअसल भारतीय संगीत की मूल अवधारणा ही भक्तिरस पर आधारित है। वैदिक काल के उपलब्ध प्रमाणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि तत्कालीन संगीत का स्वरूप धर्म और आध्यात्म से प्रभावित था। परन्तु वेदों से पूर्व काल के भी कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिनसे उक्त काल के संगीत में भी भक्ति संगीत की अवधारणा की पुष्टि होती है। ‘स्वरगोष्ठी’ के आज के अंक में हम आपसे इन तथ्यों पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही आप सुप्रसिद्ध गायक उस्ताद राशिद खाँ के स्वरों में राग केदार में निबद्ध कृष्ण-वन्दना से युक्त एक खयाल और 1971 में प्रदर्शित फिल्म ‘गुड्डी’ से राग केदार पर ही आधारित एक लोकप्रिय प्रार्थना गीत भी सुनेगे। व र्ष 1922 म