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Showing posts with the label Top 50 songs of year 2008
वर्ष २००८ के टॉप ५० हिन्दी फिल्मी गीतों की माला हिन्द-युग्म की आवाज़ टीम ने वर्ष २००८ में रीलिज हुई हिन्दी फिल्मों के श्रेष्ठ ५० गीतों की एक माला बनाई है। इस वार्षिक गीतमाला को बनाने में श्रोताओं की राय भी सम्मलित की गई हैं। गीत चुनते वक़्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गीत रखें जायें जिनकी उम्र लम्बी हो। आप भी सुनें और अपने विचार दें॰॰॰ Top 50 Bollywood Songs, Top 50 Hindi Film Songs 2008

सरताज गीत 2008 - आवाज़ की वार्षिक गीतमाला में

वर्ष 2008 के श्रेष्ट 50 फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या 10 से 01 तक पिछले अंक में हम आपको 20वें पायदान से 11वें पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। 10वें पायदान - है गुजारिश - फ़िल्म गजिनी अगर इस गीत को आप ध्यान से सुनें तो तो शुरू में और बीच बीच में एक गुनगुनाहट (हम्मिंग) सुनाई देती है, जो सोनू निगम की याद दिलाते हैं, जी हाँ ये हिस्सा सोनू ने ही गाया है, दरअसल इस धुन पर रहमान ने एक गीत बनाया था जिसे सोनू की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया था, पर अफ़सोस वो फ़िल्म नही बन पायी, जब फ़िल्म गजिनी के लिए इसी धुन पर जब प्रसून ने नए शब्द बिठाये, तब सोनू को फ़िर तलब किया गया, पर निगम उन दिनों विदेश में होने के कारण रिकॉर्डिंग के लिए उपलब्ध नही हो पाये तो रहमान ने जावेद अली से गीत को मुक्कमल करवाया पर हम्मिंग सोनू वाली (जो मूल गाने में थी) ही उन्होंने रहने दी. यकीं न हो गीत दुबारा सुनें. 9वें पायदान - इन लम्हों के दामन में - फ़िल्म -जोधा अकबर एक बार रहमान का जादू है यहाँ, कितना खूबसूरत है ये गाना ये आप सुनकर

वार्षिक गीतमाला (पायदान २० से ११ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या २० से ११ तक पिछले अंक में हम आपको ३०वीं पायदान से २१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। २० वीं पायदान - पिछले सात दिनों में(रॉक ऑन) रॉक ऑन उन चुंनिदा फिल्मों में से एक है,जिसमें धुन तैयार होने से पहले गीतकार ने अपने गीत लिखे और फिर संगीतकार ने संगीत पर माथापच्ची की है, अमूमन इसका उल्टा होता है। गीत के बोल लीक से हटकर हैं। गाने की पहली पंक्ति हीं इस बात को पुख्ता करती है(मेरी लांड्री का एक बिल)। "दिल चाहता है","लक्ष्य", "डान" जैसी फिल्में बना चुके फरहान अख्तर ने इस फिल्म के जरिये अपने एक्टिंग कैरियर की शुरूआत की है। "अर्जुन रामपाल" को छोड़कर इस फिल्म में फिल्म-जगत का कोई भी नामी कलाकार न था,फिर भी "राक आन" बाक्स-आफिस पर अपना परचम लहराने में सफल हुई। इस फिल्म के सारे गीतों में संगीत दिया है शंकर-अहसान-लाय की तिकड़ी ने तो बोल लिखे हैं फरहान के पिता और जानेमाने लेखक एवं शायर जावेद अख्तर ने।

वार्षिक गीतमाला (पायदान ३० से २१ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या ३० से २१ तक पिछले अंक में हम आपको ४०वीं पायदान से ३१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। ३० वीं पायदान - मेरी माटी (रामचंद पाकिस्तानी) पाकिस्तान के जानेमाने निर्देशक महरीन जब्बार ,जिन्होंने पहचान, कहानियाँ, पुतली घर जैसे नामचीन टीवी धारावाहिकों एवं नाटकों का निर्देशन किया है, "रामचंद पाकिस्तानी" लेकर फिल्म-इंडस्ट्री में उपस्थित हुए हैं। यह फिल्म अपने अनोखे नाम के कारण दर्शकों को आकर्षित करती है। नगरपरकर गाँव में रहने वाली "चंपा"(नंदिता दास द्वारा अभिनीत) की जिंदगी में तब उथलपुथल मच जाता है,जब उसका पति एवं उसका लड़का "रामचंद" अनजाने हीं सरहद पारकर भारत आ जाता है और भारतीय फौज उन्हें घुसपैठिया मान लेती है। यह फिल्म उसी चंपा की दास्तान है। देबज्योति मिश्रा द्वारा संगीतबद्ध एवं अनवर मक़सूद द्वारा लिखित "मेरी माटी" गायकों (शुभा मुद्गल एवं शफ़क़त अमानत अली) की अनोखी जुगलबंदी के कारण श्रोताओं पर असर करने मे

वार्षिक गीतमाला (पायदान ४० से ३१ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या ४० से ३१ तक पिछले अंक में हम आपको ५०वीं पायदान से ४१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। ४० वीं पायदान - आशियाना(फैशन) ४०वें पायदान पर फिल्म "फैशन" का गीत "आशियाना" काबिज़ है। इस गीत के बोल लिखे हैं इरफ़ान सिद्दकी ने और सुरबद्ध किया है सलीम-सुलेमान की जोड़ी ने। इस गीत को सलीम मर्चैंट(सलीम-सुलेमान की जोड़ी से एक) ने अपनी आवाज़ से जीवंत किया है। मधुर भंडारकर की यह फिल्म "फैशन" अपने विषय के साथ-साथ अपने गीतों के कारण भी चर्चा में रही है। ३९ वीं पायदान - अलविदा(दसविदानिया) कैलाश खेर यूँ तो अपनी आवाज़ और संगीत के कारण संगीत-जगत में मकबूल हैं। लेकिन जो बात बहुत कम लोग जानते हैं, वह यह है कि अमूमन अपने सभी गानों के बोल कैलाश हीं लिखते हैं।अलविदा भी उनकी त्रिमुखी प्रतिभा का साक्षात उदाहरण है। "दसविदानिया" अपनी सीधी-सपाट कहानी, हद में किए गए अभिनय और "कौमन मैन" की छवि वाले नायक के कारण फिल्मी जगत क

वार्षिक गीतमाला (पायदान ५० से ४१ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या ५० से ४१ तक ५० वीं पायदान नम्बर ५० पर है फ़िल्म "किड्नाप" का दर्द भरा गीत जिसे गाया है संदीप व्यास ने और वही इस गीत की सबसे बड़ी खासियत भी हैं. संगीत भी ख़ुद संदीप और उनके भाई संजीव का बनाया हुआ है, बोल भी ख़ुद संदीप और संजीव ने ही रचे हैं. संजय गाधवी की इस फ़िल्म को दर्शकों का प्यार नही मिला, इस साल के हॉट शॉट हीरो इमरान खान की खलनायकी भी इसे डूबने से नही बचा पायी. पर संगीत प्रेमियों के इस बेहद प्रभाशाली संगीत जोड़ी का काम अनदेखा नही होने दिया. " मिट जाए " मिट कर भी नही मिटा, तभी कोई इसे पचासवीं पायदान से नही पाया हटा. ४९ वीं पायदान ४९ वीं पायदान पर है अज़ीज़ मिर्जा के निर्देशन में बनी रोमांटिक फ़िल्म किस्मत कनेक्शन का गीत "कहीं न लागे मन", पहला नशा की तर्ज पर बने इस गीत में वही सवाल है जो हर नया नया प्रेमी ख़ुद से पूछता है यानी - क्या यही प्यार है. थीम वही पुराना है पर गीत फ़िर भी सुनने में मधुर लगता है. शब्बीर अहमद के बोलों को सुरों से सजाया है प्रीतम ने और

वार्षिक गीतमाला से पहले वो गीत वो टॉप ५० में स्थान नही पा सके.

इससे पहले कि हम अपनी वार्षिक गीतमाला का शुभारम्भ करें, कुछ बातें हम साफ़ कर देना चाहेंगें. टॉप ५० गीत को आवाज़ के एक पैनल ने बहुत सोच विचार के बाद चुना है जिसमें मुख्य रूप से चार बातों का ध्यान रखा गया है. गीत का नया पन, गीत की मौलिकता, गीत की रिपीट वैल्यू, और गीत की लोकप्रियता. गौर करें कि गीत की लोकप्रियता इन बताये गए चार घटकों में से एक ही है, अर्थात ये हो सकता है कि कोई गीत बहुत लोकप्रिय होने के बावजूद आपको टॉप ५० से नदारद मिले और कोई गीत बहुत कम सुना गया हो पर अपनी मौलिकता, नयेपन, लंबे समय तक सुने जा सकने की योग्यता के दम पर इस सूची में स्थान प्राप्त कर पाने में सफल रहा हो. गीतों की अन्तिम सारणी हमने अपने सुधी श्रोताओं के वोटिंग के आधार पर निर्धारित की है. अन्तिम दिन टॉप १० गीतों के साथ साथ हम अपने श्रोताओं को वर्ष के ५ गैर फिल्मी गीत भी सुनवायेंगे. पर इससे पहले कि हम अपने टॉप ५० की तरफ़ बढ़ें सुन लेते हैं १० ऐसे गीत जो पिछले साल बेहद मकबूल हुए पर हमारे टॉप ५० में स्थान नही बना सके. १०. टल्ली - अगली और पगली - पिछले साल ये गीत खूब बजा पर न तो गाने में कोई नयापन है न ही रिपीट वैल्यू.

अपनी पसंद के साल 2008 के टॉप 10 गीत बतायें

आपकी नज़र में ऐसे कौन से 50 गाने हैं जो हमेशा सुने जायेंगे? हिन्द-युग्म के आवाज़ मंच पर आपने पूरे वर्ष गीतों का, गीत से जुड़ी बातों का आनंद लिया। महान कलाकारों से मिले। अपने 25 गीतों को एक-एक करके हिन्द-युग्म ने भी रीलिज किया। वर्ष 2008 के खत्म होने में अब बस एक सप्ताह शेष हैं। साल के अंत में देश का हर बड़ा-छोटा मनोरंजन उद्यम वर्ष भर में रीलिज हुए फिल्मी गीतों का काउंट-डाउन ज़ारी करता है। हमने भी सोचा कि इस तरह का एक प्रयास हिन्दी वेबसाइट की ओर से भी होना चाहिए। जबकि हिन्द-युग्म साल भर गीत-संगीत की बात कर रहा है, तब तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी बन जाती है। तो हिन्द-युग्म की आवाज़ टीम ने यह निर्णय लिया कि वर्ष 2008 के अंतिम 5 दिनों में (मतलब 27, 28, 29, 30 और 31 दिसम्बर 2008 को) शीर्ष 50 गीतों का काउंटडाउन चलायेगा। आवाज़ की टीम ने शीर्ष 50 गीतों का काउँटडाउन बनाते वक़्त इस बात का ध्यान रखा कि वो गीत चुने जायें, जिन्हें हो सकता है कि रेडियो/टीवी पर कम बजाया गया हो, लेकिन उनकी उम्र लम्बी हो। जैसाकि बहुत से ब्लॉगरों ने इस बात का खुलासा किया था कि इस साल के बहुत से चर्चित गीतों की धुन विदेशी धुन