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इस बार नर हो न निराश करो मन को संगीतबद्ध हुआ

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-6: नर हो न निराश करो मन को आज हम हाज़िर हैं 6वीं गीतकास्ट प्रतियोगिता के परिणामों को लेकर और साथ में है एक खुशख़बरी। हिन्द-युग्म अब तक इस प्रतियोगिता के माध्यम से जयशंकर प्रसाद , सुमित्रानंदन पंत , सूर्यकांत त्रिपाठी निराला , महादेवी वर्मा , रामधारी सिंह दिनकर और मैथिलीशरण गुप्त की एक-एक कविता संगीतबद्ध करा चुका है। इस प्रतियोगिता के आयोजित करने में हमें पूरी तरह से मदद मिली है अप्रवासी हिन्दी प्रेमियों की। खुशख़बरी यह कि ऐसे ही अप्रवासी हिन्दी प्रेमियों की मदद से हम इन 6 कविताओं की बेहतर रिकॉर्डिंगों को ऑडियो एल्बम की शक्ल दे रहे हैं और उसे लेकर आ रहे हैं 30 जनवरी 2010 से 7 फरवरी 2010 के मध्य नई दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले 19वें विश्व पुस्तक मेला में। इस माध्यम से हम इस कवियों की अमर कविताओं को कई लाख लोगों तक पहुँचा ही पायेंगे साथ ही साथ नव गायकों और संगीतकारों को भी एक वैश्विक मंच दे पायेंगे। 6वीं गीतकास्ट प्रतियोगिता में हमने मैथिली शरण गुप्त की प्रतिनिधि कविता 'नर हो न निराश करो मन को' को संगीतबद्ध करने की प्रतियोगिता रखी थी। इसमें

'नर हो न निराश करो मन को' को संगीतबद्ध कीजिए और जीतिए रु 7000 के नगद पुरस्कार

पिछले महीने हमने गीतकास्ट प्रतियोगिता में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'कलम, आज उनकी जय बोल' को संगीतबद्ध कविता करने की प्रतियोगिता आयोजित की थी। छठवीं गीतकास्ट प्रतियोगिता के आयोजन की उद्‍घोषणा करने में हमें लगभग 20 दिनों का विलम्ब हुआ क्योंकि कोई प्रायोजक नहीं मिल पाया था। परंतु जहाँ चाह है, वहाँ राह है। दुनिया में साहित्य और भाषा प्रेमियों की कमी नहीं है। जब हमने छठवीं गीतकास्ट प्रतियोगिता का प्रायोजक बनने का प्रस्ताव उत्तरी आयरलैण्ड के क्वीन'स विश्वविद्यालय के शोधार्थी दीपक मशाल के समक्ष रखा तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इन्होंने यह ज़रूर कहा कि रु 7000 की धनराशि एक विद्यार्थी के लिए जुटाना थोड़ा मुश्किल है, तो ये अपने दो अन्य शोधार्थी मित्रों को इस आयोजन के प्रायोजकों में जोड़ना चाहेंगे। हमने इन तीन शोधार्थी मित्रों के साथ मिलकर छठवीं गीतकास्ट प्रतियोगिता में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता ' नर हो न निराश करो मन को ' का निश्चय किया है। दीपक मशाल एक कवि भी हैं और सितम्बर 2009 के यूनिकवि घोषित किये गये हैं। दीपक के अनुसार इनके दादाजी राम बि

कलम, आज उनकी जय बोल कविता की संगीतमयी प्रस्तुति

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-5: कलम, आज उनकी जय बोल मई 2009 में जब गीतकास्ट प्रतियोगिता की शुरूआत हुई थी, तब हमने आदित्य प्रकाश के साथ मिलकर इतना ही तय किया था कि हम छायावादी युगीन कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध करने की प्रतियोगिता रखेंगे। आरम्भ की दो कड़ियों की सफलता के बाद हमने यह तय किया कि गीतकास्ट प्रतियोगिता में प्रमुख राष्ट्रकवियों की कविताओं को भी शामिल किया जाय। कमल किशोर सिंह जैसे सहयोगियों की मदद से हमने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'कलम, आज उनकी जय बोल' से गीतकास्ट प्रतियोगिता की 'राष्ट्रकवि शृंखला' की शुरूआत भी कर दी। आज हम पाँचवीं गीतकास्ट प्रतियोगिता के परिणाम लेकर उपस्थित हैं। पिछले महीने राष्ट्रकवि दिनकर की जयंती थी, इसलिए हमने उनके सम्मान में उनकी कविता को स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता में कुल सात प्रतिभागियों ने भाग लिया। संख्या के हिसाब से यह प्रतिभागिता तो कम है, लेकिन गुणवत्ता के हिसाब से यह बहुत बढ़िया है। सजीव सारथी, अनुराग पाण्डेय, शैलेश भारतवासी और आदित्य प्रकाश ने निर्णायक की भूमिका निभाई और तीसरी बार श्रीनिवा

रामधारी सिंह दिनकर की कविता गाइए और संगीतबद्ध कीजिए और जीतिए रु 7000 के नग़द इनाम

गीतकास्ट प्रतियोगिता की 'राष्ट्रकवि-शृंखला' सर्वप्रथम सभी पाठकों/श्रोताओं को हिन्दी-दिवस की बधाइयाँ। आज इस विशेष मौके पर हम गीतकास्ट प्रतियोगिता में एक नई शृंखला की शरूआत कर रहे हैं। हिन्द-युग्म ने पिछले चार महीनों में छायावादी युगीन 4 कवियों की एक-एक कविताओं को संगीतबद्ध करवाया। कल ही हमने महादेवी वर्मा की कविता 'तुम जो आ जाते एक बार' का संगीतबद्ध रूप ज़ारी किया था। दूसरी शृंखला में हमने राष्ट्रकवियों की एक-एक कविता को संगीतबद्ध/स्वरबद्ध करवाने का निश्चय किया है। सितम्बर महीने में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मानई जाती है, तो हमने सोचा कि क्यों न उन्हीं से शुरूआत की जाय। हमारे एक प्रतिभागी रफ़ीक़ शेख़ की शिकायत थी कि हम इनाम स्वरूप बहुत कम धनराशि देते हैं। इसलिए इस बार से हम उसे भी बढ़ा रहे हैं। आज हिन्दी दिवस पर यह बताते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है कि इनाम की राशि इस माह से रु 7000 होगी , पहले यह राशि रु 4000 हुआ करती थी। इस कड़ी के प्रायोजक हैं कमल किशोर सिंह जो कि रिवरहेड, न्यूयार्क में रहते हैं। पेशे से डॉक्टर हैं। हिन्दी तथा भोजपुरी में कविताएँ लिखते

महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' का संगीतबद्ध रूप

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-4: जो तुम आ जाते एक बार हर वर्ष 14 सितम्बर का दिन हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हिन्दी सेवी संस्थाएँ तरह-तरह के सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन करती हैं। सरकारी उपक्रम तो हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाड़ा व हिन्दी मास अभियान चलाने जैसी बातें करते हैं। लेकिन हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। बल्कि इससे एक दिन पहले महीयसी महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' का संगीतबद्ध संस्करण जारी कर रहे हैं। हिन्द-युग्म डॉट कॉम अपने आवाज़ मंच पर गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी के स्तम्भ कवियों की एक-एक कविताओं को संगीतबद्ध/स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता आयोजित करता है। इसमें हमने शुरूआती शृंखला के तौर पर छायवादी युगीन कवियों की कविताओं को स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता रखी। जिसके अंतर्गत अब तक जयशंकर प्रसाद की कविता ' अरुण यह मधुमय देश हमारा' , सुमित्रानंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता 'स्नेह निर्झर बह गया है' को संगीतबद्ध किया जा चुका है। आज हम छायावादी युग की अंतिम कड़ी यानी महादेवी वर

महादेवी वर्मा की विरह-कविता गायें और स्वरबद्ध करें

हिन्द-युग्म ने मई 2009 से गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से महाकवियों की कविताओं को संगीतबद्ध करने की परम्परा शुरू की है। इस क्रम में सबसे पहले हमने हिन्दी कविता के स्वर्णिम काल छायावादी युग के चार स्तम्भ कवियों की एक-एक कविता को संगीतबद्ध करवाने का संकल्प लिया है। उल्लेखनीय है कि हमने चार में से तीन कवियों ( जयशंकर प्रसाद , सुमित्रा नंदन पंत , सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ) की एक-एक कविता को संगीतबद्ध करने की प्रतियोगिता का सफल आयोजन कर भी लिया है। आज हम महीयसी महादेवी वर्मा की कविता के लिए संगीतबद्ध प्रविष्टियाँ भेजने की उद्‍घोषणा लेकर उपस्थित हैं। महादेवी वर्मा को विरह की कवयित्री भी कहा जाता है। हमने इनकी एक विरह और मिलन की कल्पना से उपजने वाले भावों से पिरोई कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' को संगीतबद्ध करवाने का निर्णय लिया है। इस कड़ी के प्रायोजक है डैलास, अमेरिका के अशोक कुमार हैं जो पिछले 30 सालों से अमेरिका में हैं, आई आई टी, दिल्ली के प्रोडक्ट हैं। डैलास, अमेरिका में भौतिकी के प्रोफेसर हैं, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति के आजीवन सदस्य हैं। और हिन्दी-सेवा के लिए डैलास में

स्नेह निर्झर बह गया है कुछ यूँ संगीतबद्ध हुआ

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-3: स्नेह-निर्झर बह गया है देखते-देखते आज वह समय भी आ गया, जब हम गीतकास्ट प्रतियोगिता के तीसरे अंक के परिणाम प्रकाशीत व प्रसारित कर रहे हैं। मई महीने में शुरू हुई इस प्रतियोगिता का एक मात्र उद्देश्य यही था कि हिन्दी कविता के प्रतिमानों या यूँ कह लें आधार-स्तम्भों को संगीत से जोड़ा जाये ताकि नई पीड़ी भी उन्हें गुनगुना सके और अपने मन के आँगन में एक स्थान दे सके। इस प्रतियोगिता की शुरूआती दो कड़ियाँ 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' और 'प्रथम रश्मि ' बहुत सफल रहीं। श्रोताओं ने बहुत पसंद किया। प्रतिभागिता बढ़ी। उसी का फल है कि तीसरे अंक में जब हमने निराला की एक मुश्किल कविता ' स्नेह-निर्झर बह गया है' चुना तो भी इसमें 18 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। हमने तीसरे अंक के लिए प्रविष्टि जमा करने की आखिरी तिथि रखी थी 31 जुलाई 2009। 30 जुलाई तक हमें मात्र 1 प्रविष्टि मिली थी, लेकिन 31 तारीख को यह बढ़कर 18 हो गईं। कविता मुश्किल तो थी ही, लेकिन हम पिछले 3 अंकों से एक और परेशानी का सामना कर रहे हैं, वह यह कि अलग-अलग प्रकाशन की पुस्तक में कविता की पंक्तियों

इस बार स्वरबद्ध कीजिए निराला की एक कविता को

गीतकास्ट प्रतियोगिता के दो अंकों का सफल आयोजन हो चुका है। जहाँ जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को 12 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, वहीं सुमित्रानंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' के लिए 19 स्वरबद्ध/सुरबद्ध प्रविष्टियाँ मिलीं। आलम यह रहा कि 'प्रथम रश्मि'' की 8 संगीतमय प्रस्तुतियाँ प्रसारित करनी पड़ीं। जब पहली बार इस प्रतियोगिता के आयोजन की उद‍्‍घोषणा हुई थी, तब तय किया गया था कि कुल रु 2000 का नग़द पुरस्कार दिया जायेगा, लेकिन इसे पहली बार ही बढ़ाकर रु 2500 करना पड़ा। 'प्रथम रश्मि' को संगीतबद्ध करने की उद्‍घोषणा के समय यह राशी बढ़ाकर रु 3000 की गई, लेकिन परिणाम प्रकाशित करते वक़्त प्रायोजक इतने खुश थे कि राशि बढ़कर रु 4000 हो गई। अब से यह राशि हमेशा के लिए रु 4000 की जा रही है। आज छायावादी कविताओं को स्वरबद्ध/सुरबद्ध की कड़ी में बारी है महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता की। निराला की कौन सी कविता स्वरबद्ध करायी जाये , इस संदर्भ में हमने अपने श्रोताओं से भी राय ली थी। 'राम की शक्तिपूजा' को स्वरबद्ध करने का सुझाव अधिकाधि

8 तरह से सुनें सुमित्रा नंदन पंत की 'प्रथम रश्मि'

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-2: प्रथम रश्मि सुमित्रा नंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' को गीतकास्त प्रतियोगिता की दूसरी कड़ी के लिए जब हमने चुना तो यह डर मन में ज़रूर था कि इस कविता के संस्कृतनिष्ठ-शब्द गायन में कहीं बहुत मुश्किल न खड़ी करें। लेकिन अंतिम तिथि यानी 30 जून 2009 तक जब हमें 19 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं तो हमें यह अहसास हुआ कि कविताओं के प्रति कविता प्रेमियों, गायकों और संगीतकारों का अतिरिक्त प्रेम के सामने यह बाधा क्षणिक ही है, जो दृढ़ इच्छाशक्ति से पार की जा सकती है। 19 में से 11 प्रविष्टियाँ तो संगीत के साथ सजी-धजी हुई थीं। इनमें से दो प्रविष्टियों में फिल्म सरस्वती चंद के मशहूर गीत 'फूल तुम्हें भेजा है खत में॰॰॰" की धुन थी, जिसपर बहुत ही मनोरंजक तरीके से पिता-पुत्र (अम्बरीष श्रीवास्तव व नील श्रीवास्तव) ने 'प्रथम रश्मि' के शब्दों को बिठाया था। इनमें से कक्षा 8 के छात्र नील श्रीवास्तव का हम विशेष उल्लेख करना चाहेंगे जिन्होंने फिल्मी धुन पर ही सही, यह प्रयास किया। शेष प्रविष्टियों के मध्य बहुत काँटे की टक्कर थी। हमने विविध भारती के प्रसिद्ध रेडियो

आप निराला की कौन सी कविता संगीतबद्ध करवाना चाहेंगे

श्रोताओं के प्यार, प्रोत्साहन और समर्थन की बदौलत हम मई माह से प्रत्येक माह महान कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करने की गीतकास्ट प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं। इस आयोजन की शुरूआती कड़ियों में हम छायावादी युग के स्तम्भ कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले महीने हमने जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को संगीतबद्ध करवाया, जिसे आप लोगों ने बहुत सराहा भी। इस माह की गीतकास्ट प्रतियोगिता में हम सुमित्रा नंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं। 30 जून 2009 तक प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई हैं। लेकिन आज हम आपके सुझाव और आपकी फरमाइश लेने के लिए यह पोस्ट लिख रहे हैं। हम जुलाई महीने की गीतकास्ट प्रतियोगिता में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता संगीतबद्ध करवाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि कृपया आप बतायें कि हम कौन सी कविता को कम्पोज करवायें। नीचे दिये गये फॉर्म में निराला की अपनी पसंद की अधिकतम चार कविताएँ बतायें (केवल शीर्षक या पहली पंक्ति) और सुझाव फील्ड में इन कविताओं के संगीतबद्ध करव

छायावादी कविता-गायन में इस बार गायें पंत की कविता 'प्रथम रश्मि'

गीतकास्ट प्रतियोगिता की शुरूआत बहुत ही धमाकेदार रही। आवाज़ को उम्मीद से अधिक प्रतिभागी मिले और आदित्य प्रकाश को उनकी पसंद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को उम्मीद से बेहतर गायकी और संगीत-संयोजन। हम जब गीतकास्ट प्रतियोगिता की शुरूआत करने जा रहे थे तभी तय कर लिया था कि हिन्दी के सभी महत्वपूर्ण कवियों की कम से कम एक कविता को स्वरबद्ध/सुरबद्ध ज़रूर करवायेंगे। और यह कहना अनुचित नहीं होगा कि स्वप्न मंजूषा 'शैल' और कृष्ण राज कुमार के प्रयास ने हमें हौसला दिया और प्रायोजकों को विश्वास की इस तरह का प्रयास भी सराहा जा सकता है। पिछले रविवार डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते पर जब स्वप्न मंजूषा और कृष्ण राज कुमार की आवाज़ उभरी तो उसे दुनिया ने सुना और सर-आँखों पर बिठा लिया। जैसाकि हमने अपनी पहली प्रतियोगिता के परिणाम को प्रकाशित करते समय इस बात का ज़िक्र किया था कि हम शुरूआत में छायावाद के चारों प्रमुख कवियों की कविताओं के साथ यह अभिनव प्रयोग करेंगे, आज इस कड़ी में हम सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध कविता 'प्रथम रश्मि' को आपके समक्ष रख रहे हैं। इस बार आ

जयशंकर प्रसाद की कविता का सुरबद्ध और संगीतबद्ध रूप (परिणाम)

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-1: अरुण यह मधुमय देश हमारा पिछले महीने जब महान कवियों की कविताओं को सुरबद्ध और संगीतबद्ध करने का विचार बना था, तो हमारे मन एक डर था कि बहुत सम्भव है कि इसमें प्रतिभागिता बहुत कम हो। क्योंकि यह प्रतियोगिता कविता प्रतियोगिता जितनी सरल नहीं है। इसमें एक ही कविता को कई बार गाकर, रिकॉर्ड करके साधना होता है। लेकिन आपको भी यह जानकर आश्चर्य होगा कि गीतकास्ट प्रतियोगिता के पहले ही अंक में 12 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को 12 अलग धुनों में पिरोया गया। इतना ही नहीं, हमने बहुत से प्रतिभागियों से जब यह कहा कि रिकॉर्डिंग और उच्चारण में कुछ कमी रह गई है, तो उन्होंने दुबारा, तिबारा रिकॉर्ड करके भेजा। गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से हमारी कोशिश है कि पॉडकास्टिंग की रचनात्मक परम्परा हिन्दी में जुड़े। इस शृंखला में हम पहला प्रयोग या प्रयास छायावाद के चार स्तम्भ कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करके करना चाहते हैं। पाठकों, श्रोताओं, गायकों और संगीतकारों की पूर्ण सहभागिता के बिना यह सफल नहीं हो पायेगा। छा