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ठुमरी खमाज और पहाड़ी : SWARGOSHTHI – 337 : THUMARI KHAMAJ & PAHADI

स्वरगोष्ठी – 337 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 4 : ठुमरी खमाज और पहाड़ी “कौन गली गयो श्याम...” - श्रृंगार और भक्ति का अनूठा समागम है इस ठुमरी में डॉ. प्रभा  अत्रे परवीन सुल्ताना ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला “फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी” की इस चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछली श्रृंखला की भाँति इस श्रृंखला में भी हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। दरअसल यह श्रृंखला पूर्व में प्रकाशित / प्रसारित की गई थी। हमारे पाठकों / श्रोताओं को यह श्रृंखला सम्भवतः कुछ अधिक रुचिकर प्रतीत हुई थी। अनेक संगीत-प्रेमियों ने इसके पुनर्प्रसारण का आग्रह किया है। सभी सम्मानित पाठकों / श्रोताओं के अनुरोध का सम्मान करते हुए और पूर्वप्र

चित्रकथा - 38: रामायण पर आधारित महत्वपूर्ण हिन्दी फ़िल्में

अंक - 38 विजयदशमी विशेष रामायण पर आधारित महत्वपूर्ण हिन्दी फ़िल्में   आज विजयदशमी का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ पूरे देश भर में मनाया जा रहा है। विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस शुभवसर पर ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हम अपने सभी श्रोताओं व पाठकों को देते हैं ढेरों शुभकामनाएँ और ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि इस संसार से बुराई समाप्त हो और चारों तरफ़ केवल अच्छाई ही अच्छाई हो; लोग एक दूसरे का सम्मान करें, कोई किसी को हानी ना पहुँचाएँ, ख़ुशहाली हो, हरियाली हो, बस! आइए आज इस पवित्र पर्व पर ’चित्रकथा’ में पढ़ें उन महत्वपूर्ण फ़िल्मों के बारे में जो रामायण की कहानी पर आधारित हैं। पौ राणिक फ़िल्मों का चलन मूक फ़िल्मों के दौर से ही शुरु हो चुका था। बल्कि यह कहना उचित होगा अन्ना सालुंके कि 1920 के दशक में, जब मूक फ़िल्में बना करती थीं, उस समय पौराणिक विषय पर बनने वाली फ़िल्में बहुत लोकप्रिय हुआ करती थीं। रामायण पर आधारित मूक फ़िल्मों में सर्वाधिक लोकप्रिय फ़िल्म रही दादा साहब फाल्क

ठुमरी भैरवी : SWARGOSHTHI – 336 : THUMARI BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 336 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 3 : ठुमरी भैरवी श्रृंगार रस की ठुमरी को मन्ना डे ने हास्य रस में रूपान्तरित किया - “फूलगेंदवा न मारो...” रसूलन बाई मन्ना डे ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला “फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी” की इस तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछली श्रृंखला की भाँति इस श्रृंखला में भी हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। दरअसल यह श्रृंखला पूर्व में प्रकाशित / प्रसारित की गई थी। हमारे पाठकों / श्रोताओं को यह श्रृंखला सम्भवतः कुछ अधिक रुचिकर प्रतीत हुई थी। अनेक संगीत-प्रेमियों ने इसके पुनर्प्रसारण का आग्रह किया है। सभी सम्मानित पाठकों / श्रोताओं के अनुरोध का सम्मान करते हुए और पूर्वप्रकाशित