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चित्रकथा - 22: उत्तर प्रदेश के 12 लोकप्रिय लोक-गीतों पर आधारित 12 फ़िल्मी गाने (भाग - 1)

अंक - 22 उत्तर प्रदेश के 12 लोकप्रिय लोक-गीतों पर आधारित 12 फ़िल्मी गाने "नदी नारे ना जाओ श्याम पैयाँ पड़ूँ..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  विश्व के हर में लोक-संगीत का अलग ही मुकाम है। संगीत की यह वह धारा है जिसे गाने के लिए किसी कौशल और शिक्षा की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह तो लोक संगीत है जिसे हर कोई गा सकता है अपने तरीके से। भारत में लोक-सं

गीत अतीत 16 || हर गीत की एक कहानी होती है || रेज़ा रेज़ा | सलाम मुंबई || दिलशाद शब्बीर शैख़

Geet Ateet 16 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Reza Reza Salaam Mumbai (Arijit Singh,  Hamidreza Monfared, Ritu Shri ) Dilshaad Shabbir Shaikh- Composer " इस गीत में मैंने पहली बार एक इरानियन स्वर और संगीत शैली को भारतीय श्रोताओं के समक्ष रखा है  ..." - दिलशाद शब्बीर शैख़  जानिये फिल्म सलाम मुंबई के गीत "रेज़ा रेज़ा" के बनने की कहानी संगीतकार दिलशाद शब्बीर शैख़ से, शब्द लिखे रितु श्री ने और आवाजें हैं अरिजीत सिंह और हमिदरेज़ा मोंफरद की... प्ले पर क्लिक करे और सुनें .... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी (जीना इसी का नाम है)  बेखुद (गैर फ़िल्मी सिंगल) इतना तुम्हें (मशीन)  आ गया हीरो (आ गया हीरो) ये मैकदा (गैर फ़िल्मी ग़ज़ल) पूरी कायनात (पूर्णा) दम दम (फिल्लौरी) धीमी (ट्रै

रबीन्द्र नाथ ठाकुर की कहानी भिखारिन

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने  अर्चना चावजी  की आवाज़ में हिंदी साहित्यकार प्रेमचंद की कहानी " बड़े भाई साहब " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रबीन्द्र नाथ ठाकुर की एक कहानी " भिखारिन ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 16 मिनट 12 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।  पक्षी समझते हैं कि मछलियों को पानी से ऊपर उठाकर वे उनपर उपकार करते हैं।  ~ रबीन्द्र नाथ ठाकुर (1861-1941)  हर सप्ताह यहाँ सुनें एक नयी कहानी  उसके पास काफ़ी रुपये हो गये थे।  ( रबीन्द्र नाथ ठाकुर की "भिखारिन" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें। (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले