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"मैंने जीवन के ३५-४० वर्ष लगातार १८-१८ घंटे काम किया है" -अमित खन्ना (पार्ट २) : एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है (20) Amit Khanna  दोस्तों "एक मुलाकात ज़रूरी है" के पिछले एपिसोड से हमारे साथ हैं बहुमुखी प्रतिभा के धनी और हमारे फिल्म और संगीत जगत के दिग्गज अमित खन्ना जी. और हम सुन रहे हैं खुद अमित के लिखे १० चुनिदा गीतों की लड़ी, जिसमें से ५ गीत हम पिछले अंक में सुन चुके हैं, लीजिये आज सुनिए ५ ओर बेमिसाल गीत, साथ ही जानिए कि कैसे रचनात्मकता और व्यवसायिकता के दोनों छोरों को बखूबी संभाल पाते हैं अमित जी, और सुनिए उन्हीं की जुबानी उनकी एक खूबसूरत कविता भी.... एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें 

राग अल्हैया बिलावल : SWARGOSHTHI – 279 : RAG ALHAIYA BILAWAL

स्वरगोष्ठी – 279 में आज मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन – 12 : समापन कड़ी में खुशहाली का माहौल “भोर आई गया अँधियारा सारे जग में हुआ उजियारा...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच जारी हमारी श्रृंखला – ‘मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन’ की यह समापन कड़ी है। श्रृंखला की बारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपने साथी सुजॉय चटर्जी के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह श्रृंखला आप तक पहुँचाने के लिए हमने फिल्म संगीत के सुपरिचित इतिहासकार और ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी का सहयोग लिया है। हमारी यह श्रृंखला फिल्म जगत के चर्चित संगीतकार मदन मोहन के राग आधारित गीतों पर केन्द्रित है। श्रृंखला के प्रत्येक अंक में हमने मदन मोहन के स्वरबद्ध किसी राग आधारित गीत की चर्चा की और फिर उस राग की उदाहरण सहित जानकारी भी दी। श्रृंखला की बारहवीं कड़ी में आज हम आपको राग अल्हैया बिलावल के स्वरों में पिरोये गए 1972 में प्रदर्शित फिल्म ‘बावर्ची’ से एक सुमधुर, उल्लास से परिपूर्ण गीत का रसास्वादन करा

"तू जहाँ जहाँ चलेगा मेरा साया साथ होगा" इसी गीत की वजह से फ़िल्म का नाम ’साया’ से ’मेरा साया’ कर दिया गया

एक गीत सौ कहानियाँ - 86   ' तू जहाँ जहाँ चलेगा मेरा साया साथ होगा ... '   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 86-वीं कड़ी में आज जानिए 1966 की फ़िल्म ’मेरा साया’ के लोकप्रिय शीर्षक गीत "तू जहाँ