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बोलती कहानियाँ: जयशंकर प्रसाद की कला

जयशंकर प्रसाद की कहानी कला 'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट काजल कुमार की लघुकथा ' लोकतंतर ' का पॉडकास्ट सुना था। आज हम लेकर आये हैं महान साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की कहानी " कला ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 11 मिनट 15 सेकंड। इसी कहानी का एक अन्य ऑडियो संस्करण बोलती कहानियाँ के लिए अनुराग शर्मा के स्वर में भी उपलब्ध है । यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। झुक जाती है मन की डाली, अपनी फलभरता के डर में। ~ जयशंकर प्रसाद (30-1-1889 - 14-1-1937) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी अब मैं घर जाऊंगी, अब मेरी शिक्षा समाप्त हो चुकी। ( जयशंकर प्रसाद की "कला" से

‘प्रेम जोगन बन के...’ : SWARGOSHTHI – 195 : RAG SOHANI

स्वरगोष्ठी – 195 में आज शास्त्रीय संगीतज्ञों के फिल्मी गीत – 4 : राग सोहनी एक बड़े मानदेय के एवज में उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ ने रचे मुगल-ए-आजम के मनोहारी गीत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी है, हमारी लघु श्रृंखला, ‘शास्त्रीय संगीतज्ञों के फिल्मी गीत’। फिल्म संगीत के क्षेत्र में चौथे से लेकर आठवें दशक के बीच शास्त्रीय संगीत के कई विद्वानों और विदुषियों ने अपना योगदान किया है। इस श्रृंखला में हमने कुछ ऐसे ही फिल्मी गीतों का चुनाव किया है, जिन्हें रागदारी संगीत के प्रयोक्ताओं और विशेषज्ञों ने रचा है। इन रचनाओं में राग के स्पष्ट स्वरूप की उपस्थिति मिलती है। श्रृंखला के चौथे अंक में आज हम आपसे 1956 में प्रदर्शित, भारतीय फिल्म जगत की उल्लेखनीय फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ के एक गीत- ‘प्रेम जोगन बन के...’ पर चर्चा करेंगे। फिल्म के इस गीत में राग सोहनी के स्वरों का भावपूर्ण उपयोग किया गया है। भारतीय संगीत के शीर्षस्थ साधक उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ ने इस गीत को स्वर दिया था। खाँ साहब ने अपने पूरे सांगीतिक जीवनकाल में एकमात्र फिल्म

बातों बातों में - INTERVIEW OF MUSIC DIRECTOR & VIOLINIST JUGAL KISHORE

 बातों बातों में - 02 फिल्म संगीतकार व वायलिनिस्ट जुगल किशोर से सुजॉय चटर्जी की बातचीत "जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा..."  नमस्कार दोस्तों। हम रोज़ फ़िल्म के परदे पर नायक-नायिकाओं को देखते हैं, रेडियो-टेलीविज़न पर गीतकारों के लिखे गीत गायक-गायिकाओं की आवाज़ों में सुनते हैं, संगीतकारों की रचनाओं का आनन्द उठाते हैं। इनमें से कुछ कलाकारों के हम फ़ैन बन जाते हैं और मन में इच्छा जागृत होती है कि काश इन चहेते कलाकारों को थोड़ा क़रीब से जान पाते। काश, इनकी ज़िन्दगी के बारे में कुछ मालूमात हो जाती। काश, इनके फ़िल्मी सफ़र की दास्ताँ के हम भी हमसफ़र हो जाते। ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' ने बीड़ा उठाया है फ़िल्मी कलाकारों से साक्षात्कार करने का। फ़िल्मी अभिनेताओं, गीतकारों, संगीतकारों और गायकों के साक्षात्कारों पर आधारित यह श्रॄंखला है 'बातों बातों में', जो प्रस्तुत होता है हर महीने के चौथे शनिवार के दिन। आज नवम्बर, माह के चौथे शनिवार के दिन प्रस्तुत है संगीतकार जुगल किशोर से सुजॉय चटर्जी के लम्बी बातचीत के सम्पादि