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गिरिजेश राव की कहानी एक सुख ऐसा भी

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको हिन्दी में मौलिक व अनुवादित नई पुरानी, रोचक कहानियाँ सुनवा रहे हैं। पिछली बार आपने प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार श्यामचंद्र कपूर की कथा " बहू लक्ष्मी " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी के चिर-परिचित स्वर में सुना था। आज हम लेकर आये हैं भावों से परिपूर्ण लेखक गिरिजेश राव की मर्मस्पर्शी कथा " ...एक सुख ऐसा भी ", वाचन अनुराग शर्मा द्वारा। आदि से अंत तक बांधकर रखने वाली कहानी "...  एक सुख ऐसा भी " का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का आलेख/टेक्स्ट एक आलसी का चिट्ठा  ब्लॉग पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो देर न करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें। काशी की उत्पत्ति 'काश' से है जिसका अर्थ होता है प्रकाश। यह सनातन नगरी प्रकाश नगरी है। धान या वृहि अन्न की उपज से जुड़

‘रस के भरे तोरे नैन...’ : SWARGOSHTHI – 191 : THUMARI BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 191 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 10 : ठुमरी भैरवी ‘आ जा साँवरिया तोहें गरवा लगा लूँ, रस के भरे तोरे नैन...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर पिछले दस सप्ताह से जारी 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ श्रृंखला के इस समापन अंक में आज आप सब संगीत-प्रेमियों का एक बार पुनः कृष्णमोहन मिश्र और संज्ञा टण्डन की ओर से हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हमने आपको कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन कराया जिन्हें फिल्मों में भी शामिल किया जा चुका है। पिछले अंक में हमने आपसे एक ऐसी ठुमरी पर चर्चा की थी, जिसमें नायिका की आँखों के सौन्दर्य का बखान किया गया है। परन्तु आज की ठुमरी में नायक की आँखों के आकर्षण का रसपूर्ण चित्रण किया गया है। आज हम जिस ठुमरी पर चर्चा करेंगे, वह है- ‘आ जा साँवरिया तोहे गरवा लगा लूँ, रस के भरे तोरे नैन...’। प्रत्यक्ष रूप से तो यह ठुमरी श्रृंगार रस प्रधान है किन्तु कुछ समर्थ गायक-गायिकाओं ने इसे कृष्णभक्ति से तो कुछ ने नायिका

बातों बातों में : Interview with Pranay Dixit, Actor of Film 'Roar - Tigers of the Sundarbans'

बातों बातों में फिल्म 'रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरवन' से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरु करने वाले टीवी अभिनेता प्रणय दीक्षित से सुजॉय चटर्जी की बातचीत सपनों को अगर जीना है तो पागलपन का होना ज़रूरी है...  आगामी शुक्रवार, 31 अकतूबर, 2014 को प्रदर्शित होने जा रही है इस साल की सबसे अनोखी फ़िल्म - 'रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरवन'। अबीस रिज़वी निर्मित व कमल सदाना निर्देशित इस ऐक्शन थ्रिलर में अभिनय करने वाले कलाकारों में एक नाम लखनऊ के प्रणय दीक्षित का भी है। टेलीविज़न जगत में 'मिस्टर जुगाड़ूलाल', 'लापतागंज', 'एफ.आई.आर.', 'चिड़ियाघर', 'हम आपके हैं इन-लॉज़', 'बच्चन पाण्डे की टोली', 'गिलि गिलि गप्पा' जैसे धारावाहिकों में अपने हास्य अभिनय से हम सब का मनोरंजन करने वाले प्रणय दीक्षित इस फ़िल्म के माध्यम से अब बड़े परदे पर क़दम रख रहे हैं। आज प्रणय जी 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के मंच पर मौजूद हैं इसी फ़िल्म से सम्बन्धित कुछ दिलचस्प बातें बताने के लिए। साथ ही अपने करीयर का शुरू से लेकर अब तके के सफ़र की