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बड़ी बड़ी अंखियों से डर गया जी....

खरा सोना गीत - जाने कहाँ मेरा जिगर गया  प्रस्तोता - श्वेता पाण्डे स्क्रिप्ट - सुजोय चट्टरजी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन

सौ रंग बिखेरती मधुर सारंगी

स्वरगोष्ठी – 170 में आज संगीत वाद्य परिचय श्रृंखला – 8 मानव-कण्ठ का अनुकरण करने में सक्षम लोक और शास्त्रीय तंत्रवाद्य सारंगी      ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी ‘संगीत वाद्य परिचय श्रृंखला’ की आठवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, अपने साथी स्तम्भकार सुमित चक्रवर्ती के साथ सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ कम प्रचलित, लुप्तप्राय अथवा अनूठे संगीत वाद्यों की चर्चा कर रहे हैं। वर्तमान में शास्त्रीय या लोकमंचों पर प्रचलित अनेक वाद्य हैं जो प्राचीन वैदिक परम्परा से जुड़े हैं और समय के साथ क्रमशः विकसित होकर हमारे सम्मुख आज भी उपस्थित हैं। कुछ ऐसे भी वाद्य हैं जिनकी उपयोगिता तो है किन्तु धीरे-धीरे अब ये लुप्तप्राय हो रहे हैं। इस श्रृंखला में हम कुछ लुप्तप्राय और कुछ प्राचीन वाद्यों के परिवर्तित व संशोधित स्वरूप में प्रचलित वाद्यों का भी उल्लेख कर रहे हैं। वाद्य परिचय श्रृंखला की आज यह समापन कड़ी है और आज की इस कड़ी में हम आपसे एक ऐसे गज-

"हरि दिन तो बीता शाम हुई..." - जानिये गायिका राजकुमारी के इस अन्तिम गीत की दास्तान

एक गीत सौ कहानियाँ - 32   ‘ हरि दिन तो बीता, शाम हुई ...’ 'रे डियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारी ज़िन्दगियों से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कम सुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह साप्ताहिक स्तंभ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 32वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'किताब' के राजकुमारी की गायी लोरी "हरि दिन तो बीता शाम हुई..." के बारे में।  1977 की यादगार फ़िल्म 'किताब' आप