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भूतों की पार्टी से गर्माया चुनावी मैदान तो उठी भीतर से ये पुकार

ताज़ा सुर ताल २०१४ -१४ दो स्तों लोक सभा के चुनाव शुरू हो चुके हैं, और कुछ ही दिनों में देश को उसका नया प्रधानमन्त्री मिल जाएगा. मगर ये तभी संभव होगा जब हम लोग जाती धर्म उंच नीच के दायरों से उठकर अपने अपने मतों का प्रयोग करें, साफ़ और सवच्छ छवि वाले, देश के हिट की सोचने वाले प्रतिनिधियों को चुनकर संसद में भेजें. ताकि देश तरक्की और अमन परस्ती की राह पर आगे बढ़ सके. चुनावी माहौल में हमें अपने मत का महत्त्व समझाती फिल्म है नितीश तिवारी   निर्देशित भूतनाथ रिटर्न्स  जो कुछ सालों पहले आई भूतनाथ का दृतीय संस्करण है. अमिताभ अभिनीत भूतनाथ  को बच्चों और बड़ों दोनों का भरपूर प्यार मिला था, आज भी जब ये फिल्म छोटे परदे पर आती है तो हर कोई इसे देखने के लिए मचल उठता है, ऐसे में इस दृतीय संस्करण से भी ढेरों उम्मीदें हैं. हालाँकि पहले संस्करण में संगीत पर अधिक जोर नहीं दिया गया था, पर इस बार इस कमी को भी पूरा कर दिया गया है. फिल्म के गीत पार्टी तो बनती है  और हर हर गंगे  खूब सुना जा रहा है. पर आज हम आपके लिए लाये हैं फिल्म का एक अन्य गीत.  राम संपत का स्वरबद्ध और ऋतुराज के गाये इस गीत में एक प्

बोलती कहानियाँ' - बदचलन (हरिशंकर परसाई)

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में पुरुषोत्तम पाण्डेय की कहानी " सड़क जाम " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य " बदचलन ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "बदचलन" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 55 सेकंड है। कहानी का गद्य विकिसोर्स पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें । मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। । ~ हरिशंकर परसाई (1922-1995) "बोलती कहानियाँ" में हर सप्ताह सुनें एक नयी कहानी यह बहुत बदचलन, चरित्रहीन आदमी है। जह

मुखड़े पे बिखरे गेसुओं की दास्ताँ

खरा सोना गीत - मुखड़े पे गेसू आ गए  प्रस्तोता - रचिता टंडन  स्क्रिप्ट - सुजोय  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन                    या फिर यहाँ से डाऊनलोड कर सुने