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तलत में आवाज़ में महसूस हुई एक हारे हुए प्रेमी की तड़प

खरा सोना गीत # आँसू समझ के  प्रस्तोता : लिंटा मनोज  स्क्रिप्ट : सुजॉय चट्टर्जी प्रस्तुति : संज्ञा टंडन 

शंकर पुणतांबेकर का व्यंग्य आम आदमी

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको हिन्दी में मौलिक और अनूदित, नई और पुरानी, प्रसिद्ध कहानियाँ और छिपी हुई रोचक खोजें सुनवाते रहे हैं। पिछली बार आपने माधवी चारुदत्ता के स्वर में मुंशी प्रेमचंद की कथा " स्त्री और पुरुष " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. शंकर पुणतांबेकर की व्यंग्यात्मक लघुकथा आम आदमी जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "आम आदमी" का गद्य हिन्दी समय ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 40 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हिन्दी और मराठी के साहित्यकार डॉ. शंकर पुणतांबेकर का जन्म 1923 में हुआ था। वे अपने मारक व्यंग्य रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं और 'व्यंग्यश्री', 'चकल्लस' व

भीगी भीगी फ़ज़ाओं में लहराएँ आशा ताई के संग

खरा सोना गीत # भीगी भीगी फिज़ा  प्रस्तोता : अंतरा चक्रवर्ती स्क्रिप्ट : सुजॉय चटर्जी प्रस्तुति : संज्ञा टंडन 

राग काफी गाने-बजाने का परिवेश

    ‘ स्वरगोष्ठी – 156 में आज फाल्गुन के रंग राग काफी के संग ‘कैसी करी बरजोरी श्याम, देखो बहियाँ मोरी मरोरी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, पिछली तीन कड़ियों से हम आपसे बसन्त ऋतु के संगीत पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार बसन्त ऋतु की आहट माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही मिल जाती है। इसके उपरान्त रंग-रँगीले फाल्गुन मास का आगमन होता है। इस परिवेश का एक प्रमुख राग काफी होता है। स्वरों के माध्यम से फाल्गुनी परिवेश, विशेष रूप से हो के रस-रंग को अभिव्यक्त करने के लिए राग काफी सबसे उपयुक्त राग है। आज के अंक में हम पहले इस राग में एक ठुमरी प्रस्तुत करेंगे, जिसे परवीन सुल्ताना ने स्वर दिया है। इसके साथ ही डॉ. कमला शंकर का गिटार पर बजाया राग काफी की ठुमरी भी सुनेगे। आज की तीसरी प्रस्तुति डॉ. सोमा घोष की आवाज़ में राग काफी का एक टप्पा है।     रा ग काफी, काफी थाट का आश्रय राग है और इसकी जाति है सम्पूर्ण-सम्पूर्ण, अर्थात इस राग के

और आज बारी है 'सिने पहेली' के महामुक़ाबले की....

सिने पहेली : महा-मुक़ाबला 'सिने पहेली' के सभी चाहने वालों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, आज वह दिन आ गया है जिसका शायद आप सभी को बेसब्री से इन्तज़ार था। जी हाँ, आज बारी है 'सिने पहेली' प्रतियोगिता की अन्तिम भिड़न्त, यानी महामुकाबले की। जैसा कि पिछले हफ़्ते हमें पाँच प्रतियोगी मिल गये हैं इस महामुकाबले के लिए, आप पाँचों के बीच होगा यह आख़िरी जंग और इसी जंग के परिणाम से घोषित होगा 'सिने पहेली' का महाविजेता। आगे बढ़ने से पहले आइए एक बार फिर जान लें कि कौन पाँच खिलाड़ियों ने क्वालिफ़ाई किया है इस महासंग्राम में। आप पाँचों को ढेरों शुभकामनाएँ और आप में से कोई भी जीत सकता है 'महाविजेता' का ख़िताब। अपने आप को ज़रा सा भी कम न समझें और जी-जान लगा दीजिये महाविजेता बनने के लिए। आपकी मेहनत ज़रूर रंग लायेगी। अब ज़्यादा समय न गँवाते हुए सीधे चलते हैं महामुक़ाबले के सवालों पर। तो ये रहे 10 सवाल जिन्हें आपको हल करने हैं- महा-मुक़ाबले के सवाल सिने पहेली के इस निर्णायक महामुक़ाबले के

आईये घूम आयें बचपन की गलियों में इन ताज़ा गीतों के संग

ताज़ा सुर ताल - 2014 -07 - बचपन विशेष  जेब (बाएं) और हनिया  ताज़ा सुर ताल की एक और कड़ी में आपका स्वागत है, आज जो दो नए गीत हम चुनकर लाये हैं वो यक़ीनन आपको आपके बचपन में लौटा ले जायेगें. हाईवे  के संगीत की चर्चा हमने पिछले अंक में भी की थी, आज भी पहला गीत इसी फिल्म से. दोस्तों बचपन की सबसे खूबसूरत यादों में से एक होती है माँ की मीठी मीठी लोरियाँ जिसे सुनते हुए कब बरबस ही नींद आँखों में समा जाती थी पता भी नहीं चलता था. इन दिनों फिल्मों में लोरियाँ लौट सी आई है, तभी तो राऊडी राठोड  जैसी जबरदस्त व्यवसायिक फिल्मों में भी लोरियाँ सुनने को मिल जाती हैं. पर यकीन मानिये हाईवे की ये लोरी अब तक की सुनी हुई सब लोरियों से अल्हदा है, इस गीत में गीतकार इरशाद की मेहनत खास तौर पे कबीले तारीफ है. सुहा यानी लाल, और साहा यानी खरगोश, माँ अपने लाडले को लाल खरगोश कह कर संबोधित कर रही है, शब्दों का सुन्दर मेल इरशाद ने किया है उसका आनंद लेने के लिए आपको गीत बेहद ध्यान से सुनना पड़ेगा. रहमान की धुन ऐसी कि सुन कर उनके कट्टर आलोचक भी भी उनकी तारीफ किये बिना नहीं रह पायेगें. आखिर यूहीं तो नहीं उन्हें

याद करें मन्ना दा को इस शानदार गीत के साथ

खरा सोना गीत : आयो कहाँ से घनश्याम प्रस्तोता : अर्शना सिंह स्क्रिप्ट : संज्ञा टंडन प्रस्तुति : संज्ञा टंडन