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'कबीरा' की राह रोकती पुकार कहीं तो 'जिंदा' दिली से जीने की तरकीब कहीं

पायदान # ०७ - रे कबीरा मान जा...   पायदान # ०६ - जिंदा है तो... 

हिट परेड को मिला एक नया 'शुभारंभ' कहता हुआ 'चाहूँ मैं या न'

पायदान # ०९ - शुभारंभ पायदान # ०८ - चाहूँ मैं या न 

मीरा का एक और पद : विविध धुनों में

स्वरगोष्ठी – 147 में आज रागों में भक्तिरस – 15 ‘श्याम मने चाकर राखो जी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की पन्द्रहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीतानुरागियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस भक्ति रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की पिछली कड़ी में हमने सोलहवीं शताब्दी की भक्त कवयित्री के एक पद- ‘एरी मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय...’ पर आपके साथ चर्चा की थी। आज की कड़ी में हम मीराबाई के साहित्य और संगीत पर चर्चा जारी रखते हुए एक और बेहद चर्चित पद- ‘श्याम मने चाकर राखो जी...’ सुनवाएँगे। इस भजन को विख्यात गायिका एम.एस. शुभलक्ष्मी, वाणी जयराम, लता मंगेशकर और चौथे दशक की एक विस्मृत गायिका सती देवी ने गाया है। इन चारो गायिकाओं ने मीरा का एक ही पद अलग-अलग धुनों में गाया है। आप इस भक्तिगीत के चारो स