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सिने पहेली – 79 - आशा भोसले पर आधारित

सिने पहेली – 79     साथियों 8  सितम्बर यानि कल गायिका आशा भोसले का जन्मदिवस है. सिने पहेली के 79   वें अंक में आज हम आपको उन्हीं के गाये कुछ युगल  गीतों  पर आधारित पहेली लेकर आये हैं। प्रथम तीन गीतांशों को सुन कर आपको उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पिछले अंक में वापस विवाद खड़ा हुआ. कुछ लोगों का मानना है कि आयोजक किसी व्यक्ति विशेष को विजेता बनवाना चाहते हैं। अगर ऐसा होता तो शायद अभी तक कोई एक प्रतियोगी ही सारे सेगमेंट में बढत बनाये रहता। यहाँ किसी का कोई व्यकितगत हित नहीं है। हम लोग भी आप जैसे ही हैं और आप लोगों की तरह ही ये साईट भी हमारा शौक और जूनून है। आपकी आलोचनाओं से हमें कोइ शिकायत नहीं है बल्कि ये हमारे लिये कुछ बेहतर करने की प्रेरणा है। इस सेगमेंट में मिनेसोटा से दिनेश कृष्णजोएस जी जुड़े हैं। स्वागत है आपका। आ ज की पहेली के लिए आप सबको शुभकामनाएँ। इस बार के प्रतियोगियों के अंक आप सवालों के बाद देख सकते हैं। इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ दे

सब कुछ पुराना ही है नई जंजीर में

क भी कभी समझना मुश्किल हो जाता है कि एक ऐसी फिल्म जिसे अपने मूल रूप में आज भी बड़े आनंद से देखा जा सकता है, उसका रिमेक क्यों बनाया जाता है. खैर रेमेकों की फेहरिश्त में एक नया जुड़ाव है जंजीर , वो फिल्म जिसने इंडस्ट्री को एंग्री यंग मैन के रूप अमिताभ बच्चन का तोहफा दिया था ७० के दशक में. जहाँ तक फिल्म के प्रोमोस् दिखे हैं नई जंजीर अपने पुराने संस्करण से हर मामले में अलग दिख रही है. ऐसे में इसके संगीत को भी अलग नज़रिए से सुना समझा जाना चाहिए. अल्बम में चार सगीत्कारों का योगदान है. चित्रान्तन भट्ट, आनंद राज आनंद, मीत ब्रोस अनजान और अंकित के सुरों से संवरी इस ताज़ा एल्बम में क्या कुछ है आईये एक नज़र दौडाएं. मिका  की जोशीली आवाज़ में खुलता है एल्बम का पहला गीत मुम्बई के हीरो . बीच के कुछ संवाद तो बच्चन साहब की आवाज़ में है...भाई अगर उन्हीं की आवाज़ चाहिए थी तो फिर रिमेक की क्या ज़रूरत थी ये मेरी समझ से तो बाहर है. एक बोरिंग गीत के बाद एक और जबरदस्ती का आईटम गीत सामने आ जाता है. ममता शर्मा की आवाज़ में पिंकी  अब तक सुनाई दिए आईटम गीतों से न तो कुछ अलग है न बेहतर. शब्द घिसे पिटे और धुन भी रूटीन

बर्मन दा की जादुई धुन का नशा

जब से मि‍ली तोसे अंखि‍यां- 1955 की फि‍ल्‍म अमानत का गीत....... वि‍मल रॉय, शैलेन्‍द्र और सलील चौधरी की ति‍कड़ी का जादू...... बंगाल की लोकधुन पर आधारि‍त रचना...जि‍सको सुनकर आप एक बार भूपेन हजारि‍का को जरूर याद करेंगे... स्‍वर - हेमंत कुमार, गीता दत्‍त..... परि‍कल्‍पना - सजीव सारथी आलेख - सुजॉय चटर्जी स्‍वर - रचि‍ता टंडन