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आम फ़िल्मी संगीत के बेहद अलग है मद्रास कैफे का संगीत

फि ल्म का नाम मद्रास कैफे  क्यों रखा गया है, जब ये सवाल फिल्म के निर्देशक सुजीत सिरकर से पुछा गया तो उनका कहना था कि फिल्म  में इस कैफे को भी एक किरदार की तरह इस्तेमाल किया गया है, हालाँकि ये कैफे कहाँ पर है ये फिल्म में साफ़ नहीं है पर मद्रास कैफे  एक ऐसा कोमन एड्रेस है जो देश के या कहें लगभग पूरे विश्व के सभी बड़े शहरों में आपको मौजूद मिलेगा. विक्की डोनर  की सफलता के बाद सुजीत उस मुद्दे को अपनी फिल्म में लेकर आये हैं जिस पर वो विक्की डोनर से पहले काम करना चाह रहे थे, वो जॉन को फिल्म में चाहते थे और उन्हें ही लेकर फिल्म बनाने का उनका सपना आखिर पूरा हो ही गया. फिल्म की संगीत एल्बम को सजाया है शांतनु मोइत्रा ने. बेहद 'लो प्रोफाइल' रखने वाले शांतनु कम मगर उत्कृष्ट काम करने के लिए जाने जाते हैं, गीतकार हैं अली हया..आईये एक नज़र डालें मद्रास कैफे   के संगीत पर. युवा गायकों की एक पूरी फ़ौज इन दिनों उफान पर है. इनमें से पोपोन एक ऐसे गायक बनकर उभरे हैं जिनकी आवाज़ और अंदाज़ सबसे मुक्तलिफ़ है. बर्फी  में उनका गाया क्यों न हम तुम  भला कौन भूल सकता है. पोपोन के चाहने वालों के ल

इस स्वतंत्रता दिवस आईये नज़र डालें देश के हाल पर

1962 में बनी इस फिल्म के प्रस्तुत गीत में देश के उस वक्त के हाल का बखान था, पर वास्तव में देखा जाए तो आज के हालत भी कुछ बहुत बेहतर नहीं हैं. ओल्ड इस गोल्ड सीरिस (यादों का पोडकास्ट) में आज आवाज़ है लिंटा मनोज की और हम याद कर रहे हैं कमचर्चित गायिका शान्ति माथुर के गाए इस खास गीत की.  

पाकिस्तान में एक ब्राह्मण की आत्मा - लघु संस्मरण

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में मुंशी प्रेमचन्द की मार्मिक कहानी " बालक " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा का एक लघु संस्मरण पाकिस्तान में एक ब्राह्मण की आत्मा जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत कथा का गद्य " बर्ग वार्ता ब्लॉग " पर उपलब्ध है। " पाकिस्तान में एक ब्राह्मण की आत्मा " का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 37 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। प्रश्न कठिन हो जाते हैं, हर उत्तर पे इतराते हैं मैं चिंता में घुल जाता हूँ, चलूँ तो पथ डिग जाते हैं।  ~ अनुराग शर्मा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "क्यों, आपमें क्या