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राग रंग तरंग, होली की उमंग

प्लेबैक इंडिया ब्रोडकास्ट  राग आधारित होली के गीत  स्वर एवं प्रस्तुति - संज्ञा टंडन  स्क्रिप्ट - कृष्णमोहन मिश्र 

युवाओं को एक नए भारत की सृष्टि के लिए आन्दोलित करता एक संगीतमय प्रयास

प्लेबैक वाणी -38 - संगीत समीक्षा - बीट ऑफ इंडियन यूथ संगीत केवल मनोरंजन की वस्तु नहीं है। इसका मूल उद्देश्य इंसान के मनोभावों को एक कैनवास, एक प्लेटफॉर्म देना है। इसकी कोशिश यह होनी चाहिए कि समय-समय पर डूबती उम्मीदों को तिनके भर का हीं सही लेकिन सहारा मिलता रहे। आज अपने देश में हालात यह हैं कि हर इंसान या तो डरा हुआ है या बुझा हुआ है। युवा पीढी रास्ते में या तो भटक रही है या रास्ते को हीं दुलाती मार रही है। इस पीढी की आँखें खोलने के लिए संगीत की कमान थामे कुछ फ़नकार आगे आए हैं। उन्हीं फनकारों की संगीतमय कोशिश का नाम है ’बीट ऑफ इंडियन यूथ’। इस एलबम में कुल ९ भाषाओँ के १३ गाने हैं, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है. एल्बम गिनिस बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने की कगार पर है. एलबम की एक और प्रमुख खासियत यह है कि इसे डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का साथ और आशिर्वाद हासिल है। पहला गाना इन्हीं ने लिखा है। कम साज़ों के साथ शुरू होता ’द वीज़न’ बच्चे की मासूमियत में घुले हुए डॉ कलाम के शब्दों के सहारे खड़ा होता है और फिर सजीव सारथी के शुद्ध हिन्दी के शब्द इसके असर क

विविध संगीत शैलियों में राग-रस-रंग से परिपूर्ण होली

स्वरगोष्ठी – 113 में आज   होली अंक ‘चोरी चोरी मारत हो कुमकुम...’ : संगीत की विविध शैलियों में होली भारतीय पर्वों में होली एक ऐसा पर्व है, जिसमें संगीत-नृत्य की प्रमुख भूमिका होती है। जनसामान्य अपने उल्लास की अभिव्यक्ति के लिए मुख्य रूप से देशज संगीत का सहारा लेता है। इस अवसर पर विविध संगीत शैलियों के माध्यम से भी होली की उमंग को प्रस्तुत करने की परम्परा है। इन सभी भारतीय संगीत शैलियों में होली की रचनाएँ प्रमुख रूप से उपलब्ध हैं। आज के अंक में हम आपके लिए कुछ संगीत शैलियों में रंगोत्सव के कुछ चुने हुए गीतों पर चर्चा करेंगे।  इ न्द्रधनुषी रंगों में भींगे तन-मन लिये ‘स्वरगोष्ठी’ के अपने समस्त पाठकों-श्रोताओं का, मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः अबीर-गुलाल के साथ स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। होली, उल्लास, उत्साह और मस्ती का प्रतीक-पर्व होता है। इस अनूठे परिवेश का चित्रण भारतीय संगीत की सभी शैलियों में मिलता है। रंगोत्सव के उल्लासपूर्ण परिवेश में आज हम आपसे ध्रुवपद संगीत शैली के अभिन्न अंग ‘धमार’ की चर्चा करेंगे। इसके साथ ही खयाल शैली के अन्तर्गत राग काफी की ठुम