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दिन के चौथे प्रहर के कुछ आकर्षक राग

स्वरगोष्ठी – 106 में आज राग और प्रहर – 4 गोधूली बेला के श्रम-परिहार करते राग ‘स्वरगोष्ठी’ के 106ठें अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इन दिनों आपके प्रिय स्तम्भ पर लघु श्रृंखला ‘राग और प्रहर’ जारी है। पिछले अंक में हमने दिन के तीसरे प्रहर के रागों की चर्चा की थी। आज बारी है, चौथे प्रहर के रागों की। इस प्रहर में सूर्य अस्ताचलगामी होता है। इस प्रहर के उत्तरार्द्ध काल को गोधूली बेला भी कहा जाता है। चूँकि इस समय गायों का झुण्ड चारागाहों से वापस लौटता है और उनके चलने से धूल का एक गुबार उठता है, इसीलिए इसे गोधूली बेला कहा जाता है। इस प्रहर के रागों में ऐसी स्वर-संगतियाँ होती हैं, जिनसे दिन भर के श्रम से तन और मन को शान्ति मिलती है। आज के अंक में हम इस प्रहर के हेमन्त, पटदीप, मारवा और गौड़ सारंग रागों की चर्चा करेंगे ।  दि न का चौथा प्रहर, अपराह्न तीन बजे से लेकर सूर्यास्त होने के बीच की अवधि को माना जाता है। यह वह समय होता है, जब जन-जीवन अपने दैनिक शारीरिक और मानसिक क्रियाओं से थका-हारा होता है तथा उसे थोड़ी

'सिने पहेली' में आज गणतंत्र दिवस विशेष

26 जनवरी, 2013 सिने-पहेली - 56  में आज   सुलझाइये देशभक्ति गीतों की पहेलियाँ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, जनवरी महीने का आख़िरी सप्ताह हम सभी भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण बन जाता है। 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जनमदिवस, 26 जनवरी को प्रजातंत्र दिवस, और 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का स्मृति दिवस जो शहीद दिवस के रूप में पालित होता है। रेडियो प्लेबैक इंडिया पर भी इसलिए यह सप्ताह देशभक्ति के रंग से सराबोर है। और आज की 'सिने पहेली' में भी हमने चढ़ाया है देशभक्ति का रंग। कितनी जानकारी रखते हैं आप फ़िल्मी देशभक्ति गीतों की, इसी की आज परीक्षा है आपकी। देखते हैं आप सुलझा पाते हैं या नहीं इन देशभक्ति गीतों की पहेलियों को! आज की पहेली :  वतन के तराने आ ज 26 जनवरी 2013 है, आज समूचा राष्ट्र मना रहा है अपना 64-वाँ गणतंत्र दिवस है। गर्व और उल्लास भरे आपके इस दिन को और भी ख़ास बनाने के लिए हम लेकर आए हैं कुछ ऐसी पहेलियाँ जिनमें छुपी हुई हैं फ़िल्मी देशभक्ति गीत। नीच

गणतन्त्र दिवस पर विशेष : ‘बॉम्बे टॉकीज़’, ‘क़िस्मत’ और अनिल विश्वास

भारतीय सिनेमा के सौ साल – 33   स्मृतियों का झरोखा  : गणतन्त्र दिवस पर विशेष ‘दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है...’ भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों का झरोखा’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का चौथा गुरुवार है और आज से प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे गुरुवार को हम ‘स्मृतियों का झरोखा’ के अन्तर्गत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल के सदस्य सुजॉय चटर्जी की प्रकाशित पुस्तक ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ से किसी रोचक प्रसंग का उल्लेख किया करेंगे। आज के अंक में हम ‘बॉम्बे टॉकीज़’ की फ़िल्म ‘क़िस्मत’ की निर्माण-प्रक्रिया और उसकी सफलता के बारे में कुछ विस्मृत यादों को ताजा कर रहे हैं। ‘ बॉ म्बे टॉकीज़’ की दूसरी फ़िल्म ‘क़िस्मत’ तो एक ब्लॉकबस्टर सिद्ध हुई। अशोक कुमार और मुमताज़ शान्ति अभिनीत इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस के पहले के सारे रेकॉर्ड्स तोड़ दिए। पूरे देश में कई जगहों पर जुबिलियाँ मनाने के अलावा कलकत्ते के ‘चित्र प्लाज़ा’ थिएटर में यह फ़िल्म लगातार 196 हफ़्त