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शब्दों के चाक पर - २०

" ज्योति कलश छलके " साल की सबसे अंधेरी रात में दीप इक जलता हुआ बस हाथ में लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी। दीपावली का पर्व प्रकाश का उत्सव है। ज्ञान का प्रकाश, उपहार, उल्लास, और प्रेम के इस पावन पर्व पर "शब्दों के चाक पर" की एक ज्योतिर्मयी प्रस्तुति हमारे श्रोताओं की सेवा में समर्पित है। नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल, उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले, लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी, निशा की गली में तिमिर राह भूले, खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग, ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाए जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। दोस्तों, आज की कड़ी में हमारा विषय है - " ज्योति का पर्व "। जीवन में प्रकाश और तमस की निरंतर चल रही कशमकश की कविताएं पिरोकर लाये हैं आज हमारे विशिष्ट कवि मित्र। पॉडकास्ट को स्वर दिया है अभिषेक ओझा ओर अनुराग शर्मा ने, स्क्रिप्ट रची है विश्व दीपक ने, सम्पादन व संचालन है अनुराग शर्मा का, व सहयोग है वन्दना गुप्ता का। आइये सुनिए सुनाईये ओर छा जाईये ... (नीचे दिए गए किसी भी प्लेयेर से सुनें)

स्मृतियों के झरोखे से : अमित तिवारी की देखी पहली फिल्म 'बालिका वधु'

मैंने देखी पहली फ़िल्म : अमित तिवारी भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान में प्रत्येक गुरुवार को हम आपके लिए सिनेमा के इतिहास पर विविध सामग्री प्रस्तुत कर रहे हैं। माह के दूसरे और चौथे गुरुवार को आपके संस्मरणों पर आधारित ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ स्तम्भ का प्रकाशन करते हैं। आज माह का चौथा गुरुवार है, इसलिए आज बारी है आपकी देखी पहली फिल्म के रोचक संस्मरण की। आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं, एक गैर-प्रतियोगी संस्मरण। आज का यह संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं, रेडियो प्लेबैक इण्डिया के संचालक-मण्डल के सदस्य अमित तिवारी।  सचमुच बहुत अच्छा लगता है, 'बालिका वधू' का गीत ‘बड़े अच्छे लगते हैं...’ मु झसे जब पुछा गया कि मेरी देखी पहली फिल्म कौन सी है तो मुझे दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरूरत नहीं पड़ी। मेरी याद में जो मेरी देखी पहली फिल्म है , वो थी शशि कपूर, प्राण और सुलक्षणा पण्डित के अभिनय से सजी 1978 में प्रदर्शित हुई फिल्म 'फाँसी'। उस समय मैं करीब पाँच साल का था। मुझे इस फिल्म का केवल एक दृश्य याद ह

५ थाट और राग असवारी - एक चर्चा संज्ञा टंडन के साथ

प्लेबैक इंडिया ब्रोडकास्ट २०  नमस्कार दोस्तों, आज की महफ़िल में आपकी होस्ट संज्ञा टंडन लेकर आयीं हैं एक बार फिर जानकारी थाठों की. आज जिक्र है थाट मारवा, काफी, तोड़ी, भैरवी, और असवारी की. साथ ही चर्चा है राग असवारी पर आधारित फ़िल्मी गीतों की, तो आनंद लीजिए इस अनूठे ब्रोडकास्ट का.  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन  स्क्रिप्ट - कृष्णमोहन मिश्र