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यादें : भारतीय सिनेमा के सौ साल : फिरोज दस्तूर

स्वरगोष्ठी – ७४ में आज फिल्म संगीत के शुरुआती दौर के नगीने : फिरोज दस्तूर भारतीय फिल्मों के मूक से वाचाल होते ही उसका संगीत से ऐसा गहरा नाता जुड़ा कि आज आठ दशकों बाद तक कायम है। गीत-संगीत के बिना आज भी भारतीय सिनेमा के सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फिल्मों से पहले हमारे नाटकों में संगीत एक प्रमुख तत्व के रूप में उपस्थित रहा करता था। आरम्भिक फिल्मों में कई ऐसे संगीतकारों का योगदान रहा है, जिन्हें हम विस्मृत कर चुके हैं। पण्डित फिरोज दस्तूर एक ऐसे ही संगीतज्ञ थे। शा स्त्रीय, उपशास्त्रीय, फिल्म और लोक-संगीत पर केन्द्रित साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक में सभी संगीत-प्रेमियों का, मैं कृष्णमोहन मिश्र, हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस तथ्य से हम सब परिचित हैं कि भारत की पहली सवाक फिल्म ‘आलमआरा’ थी। इस पहली बोलती फिल्म में भी गीत-संगीत की प्रधानता थी, यद्यपि इस ऐतिहासिक फिल्म का संगीत दुर्भाग्य से आज उपलब्ध नहीं है। आरम्भिक दौर के फिल्म-संगीत की छानबीन के दौरान एक उल्लेखनीय और दुर्लभ कृति नज़र आई, जिसे आज के अंक में हम आपके साथ बाँट रहे हैं। फिल्म लाल-ए-यमन में फिर

प्लेबैक इंडिया वाणी (2) -राउडी राठौर,पुस्तक चर्चा-समकालीन हिन्दी कविता और आपकी बात

संगीत समीक्षा  अल्बम - राउडी राठौर  संगीत - साजिद-वाजिद पुस्तक चर्चा  पुस्तक - समकालीन हिन्दी कविता संपादन- परमानंद श्रीवास्तव आपकी बात  - अमित तिवारी के साथ

बोलती कहानियाँ: चप्पल (कमलेश्वर)

"चप्पल" - कमलेश्वर की कहानी, अनुराग का स्वर 'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में श्री बालकवि बैरागी की कहानी " बाइज्जत बरी " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार कमलेश्वर की मार्मिक कहानी " चप्पल ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "चप्पल" का कुल प्रसारण समय 17 मिनट 13 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट गद्यकोश पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। यह सत्य भी है कि चप्पल की 'रेड' से सरकार तक चौंक जाती है। ~ कमलेश्वर (1932-2007) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी सदियों पुरानी सभ्यता मनुष्य के क्षुद्र विकारों का शमन करती रहती है