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बोलती कहानियाँ: चप्पल (कमलेश्वर)

"चप्पल" - कमलेश्वर की कहानी, अनुराग का स्वर 'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में श्री बालकवि बैरागी की कहानी " बाइज्जत बरी " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार कमलेश्वर की मार्मिक कहानी " चप्पल ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "चप्पल" का कुल प्रसारण समय 17 मिनट 13 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट गद्यकोश पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। यह सत्य भी है कि चप्पल की 'रेड' से सरकार तक चौंक जाती है। ~ कमलेश्वर (1932-2007) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी सदियों पुरानी सभ्यता मनुष्य के क्षुद्र विकारों का शमन करती रहती है

लघु फिल्म "इन्बोक्स" में संगीत है बालमुरली बालू का

दोस्तों कल विश्व पर्यावरण दिवस था, और हमारे प्लेबैक इंडिया संगीतकार बालमुरली बालू ने कुछ समय पहले इसी मुहीम का समर्थन करते हुए एक गीत रचा था " Go Green ", जिसे आप यहाँ सुन सकते हैं. वैसे बालमुरली प्लेबैक इंडिया के लिए इससे पहले " बुलबुला " गीत भी रच चुके हैं. आप सोच रहे होंगें कि आज हम बालमुरली का जिक्र क्यों यहाँ कर रहे हैं. दरअसल हमें खुशी और फक्र दोनों है इस बात का कि हमारे ये सभी संगीतकार आजकल कुछ नया, कुछ अलग और कुछ बड़ा कर रहे हैं जिसमें उनकी काबलियत और भी खुल के निखर रही है. अभी हाल ही में बाला ने एक लघु फिल्म के लिए पार्श्व संगीत दिया है. आज हम येही लघुफिल्म आपके साथ बांटना चाहते हैं. इस फिल्म की एक और खासियत है कि इसमें कोई संवाद नहीं है. 'Inbox' is a Fantasy / Love story made for Naalaya Iyakunar Season 3, winning the Best short film of the week and Best actor awards in the Fantasy round. Sometimes silence speaks more than words. 'Inbox' is a short film with no dialogues at all. Cast Karthik Yogi Shwetha Gupta Written and Directed by

शब्द और आवाज़ की जुगलबंदी

शब्दों की चाक पर - एपिसोड 01 दोस्तों, इंतज़ार की घड़ियाँ खत्म. ब्लोग्गर चोईस के बाद रश्मि प्रभा जी जिस नए कार्यक्रम को लेकर उपस्तिथ होने वालीं थी उसका शुभारंभ आज यानी ५ जून से आपके इस प्रिय जाल स्थल प्लेबैक इंडिया में हो रहा है. इस अनूठे कार्यक्रम का नाम है - शब्दों की चाक पर. इस कार्यक्रम के निम्न चरण होंगें, कृपया समझ लें - 1. कार्यक्रम की क्रिएटिव हेड रश्मि प्रभा के संचालन में शब्दों का एक दिलचस्प खेल खेला जायेगा. इसमें एक कवि किसी एक खास शब्द से शुरुआत करेगा और अपनी रची कविता में से कोई एक शब्द चुनौती के रूप में आगे रखेगा जिस पर उस चुनती को स्वीकार करने वाले कवि को कविता रचनी होगी...ये सिलसिला सोमवार सुबह से शुरू होगा और गुरूवार शाम तक चलेगा, जो भी कवि इसमें हिस्सा लेना चाहें वो रश्मि जी से संपर्क कर उनके फेसबुक ग्रुप में जुड सकते हैं, रश्मि जी का प्रोफाईल यहाँ है. 2. सोमवार से गुरूवार तक आई कविताओं को संकलित कर हमारे पोडकास्ट टीम के हेड पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा जी अपने साथी पोडकास्टरों के साथ इन कविताओं में अपनी आवाज़ भरेंगें. और अपने दिलचस्प अंदाज़ में इसे पेश कर

सिने-पहेली # 23 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)

सिने-पहेली # 23 (4 जून, 2012)  नमस्कार दोस्तों, मैं, सुजॉय चटर्जी, आपका ई-दोस्त, हाज़िर हूँ 'सिने पहेली' की एक और कड़ी के साथ। पिछले सप्ताह हमारी वर्ग पहेली का कॉनसेप्ट आप सभी को भाया, यह देख कर हमें भी बहुत अच्छा लगा। आप सब ने जवाबों के साथ-साथ हमारे इस प्रयास की सराहना की, इसके लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। हमारे नियमित प्रतियोगी प्रकाश गोविंद का कहना है, "आपकी पहेलियाँ इतनी भी आसान नहीं है। 'for a change' वर्ग पहेली का कॉनसेप्ट बहुत अच्छा ही है। मुझे तो बहुत ख़ुशी है कि आप पहेली प्रोग्राम में लगातार वरायटी ला रहे हैं। अगर अधिकतर लोगों के जवाब सही हैं तो वर्ग पहेली को हल्का सा कठिन बनाने के अलावा दूसरा रास्ता ही क्या है! आपको थोड़ी और मेहनत करनी होगी.... बाकी हम लोग तो हैं ही मेहनती :) पहले आपने जो पैटर्ण रखा था वो भी अच्छा था, आप उसमें भी एक सवाल बढा सकते हैं। बहरहाल मेरे लिए सब अच्छा है और मुझे आप लोगों का यह पहेली कार्यक्रम पसंद है। आप जैसा भी कॉनसेप्ट रखेंगे, मैं स्वागत करूंगा" । उधर लखनऊ के ही अवध लाल जी का कहना है - "इस बार आपका कुछ नया

जुबीन मेहता : पाश्चात्य संगीत का एक भारतीय साधक

स्वरगोष्ठी – ७३ में आज जिनके वाद्यवृन्द का सारा विश्व दीवाना हुआ भारतीय पारसी परिवार में एक समर्पित वायलिन-वादक के घर जन्में जुबीन मेहता को उनके पिता ने किशोरावस्था में जब संगीत शिक्षा के लिए पुणे भेजा तो उनका मन क्रिकेट खेलने में अधिक लगता था। अपने पुत्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए पिता ने एक और प्रयास किया। इस बार जुबीन को सेण्ट ज़ेवियर कालेज में प्रवेश दिलाया गया, ताकि बेटा चिकित्सक बन सके। परन्तु पढ़ाई अधूरी छोड़कर वे संगीत के क्षेत्र में पुनः वापस लौट आए। ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं, कृष्णमोहन मिश्र, आपकी गोष्ठी में पुनः उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के अंक में पाश्चात्य संगीत के एक ऐसे भारतीय कलासाधक की चर्चा करेंगे, जिसके संगीत कार्यक्रमों ने कई दशकों से पूरे विश्व को दीवाना बना रखा है। जुबीन मेहता का जन्म २९ अप्रैल, १९३६ को तत्कालीन बम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। जुबीन की माँ का नाम तेहमिना और पिता का नाम मेहली मेहता है। मेहली मेहता एक समर्पित संगीत-सेवी थे, जिन्होने अपने परिवार को एक चुनौती सी देते हुए वायलिन-वादक बनाना पसन्द किया। जुबीन

बिग ब्रेक गीत - द्रितीय खण्ड

बिग ब्रेक गीत श्रृंखला में हम चर्चा कर रहे हैं, आज के कुछ चर्चित गायक गायिकाओं के जीवन में आये उन महत्वपूर्ण गीतों की जिनके कारण उनका इस इंडस्ट्री में स्थान पक्का हुआ. इस श्रृंखला के दूसरे खंड में आईये जाने कि कौन कौन से हैं श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, सुखविंदर, कैलाश खेर, के के, रूप कुमार राठोड, रेखा भराद्वाज, रेमो फर्नेडिस्, कुणाल गांजावाला और राहत फ़तेह अली खान के बिग ब्रेक गीत.

बालकवि बैरागी की कहानी "बाइज्जत बरी"

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने युवा लेखक गिरिजेश राव की कहानी " "गुम्मी" " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं श्री बालकवि बैरागी की कहानी " बाइज्जत बरी ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "बाइज्जत बरी" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 7 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट एकोऽहम् पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। "जब हिन्दी के सामने ही अस्तित्व का संकट है तो बोलियों की सुरक्षा के लिये तो हमें ही आगे आना होगा।" ~ बालकवि बैरागी हर हफ्ते रेडियो प्लेबैक पर सुनें एक नयी कहानी "एक तो तस्कर और पुलिस की मिली-भगत और दूसरी - खुद को चतुर-चालाक, सक्षम और कुशल सा