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१७ अप्रेल- आज का गाना

गाना: रात भी है कुछ भीगी-भीगी चित्रपट: मुझे जीने दो संगीतकार: जयदेव गीतकार: साहिर स्वर: लता मंगेशकर रात भी है कुछ भीगी-भीगी चाँद भी है कुछ मद्धम-मद्धम तुम आओ तो आँखें खोलें सोई हुई पायल की छम छम किसको बताएं कैसे बताएं आज अजब है दिल का आलम चैन भी है कुछ हल्का हल्का दर्द भी है कुछ मद्धम मद्धम छम-छम, छम-छम, छम-छम, छम-छम तपते दिल पर यूं गिरती है तेरी नज़र से प्यार की शबनम जलते हुए जंगल पर जैसे बरखा बरसे रुक-रुक थम-थम छम-छम, छम-छम, छम-छम, छम-छम होश में थोड़ी बेहोशी है बेहोशी में होश है कम कम तुझको पाने की कोशिश में दोनों जहाँ से खो गए हम छम-छम, छम-छम, छम-छम, छम-छम रात ...

सिने-पहेली # 16 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)

सिने-पहेली # 16 (16 अप्रैल, 2012) 'सिने पहेली' की १६-वीं कड़ी में मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी का फिर एक बार स्वागत करता हूँ। दोस्तों, 'सिने पहेली' के दूसरे सेगमेण्ट के बीचों बीच हम आ पहुँचे हैं। पिछले सेगमेण्ट ही की तरह इस सेगमेण्ट में भी प्रकाश गोविंद, पंकज मुकेश, क्षिति तिवारी, रीतेश खरे और अमित चावला ने नियमित रूप से हिस्सेदारी दिखाई है, और इस प्रतियोगिता को रोचक बनाए रखा है। समय-समय पर शरद तैलंग और इंदु जी के भी जवाब आए हैं पर नियमित रूप से नहीं। आप सब के अलावा जिन जिन दोस्तों ने अब तक इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया है, उन सभी से यह गुज़ारिश है कि इस अंक से ही इसमें भाग लेना शुरु करें क्योंकि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है। महाविजेता की लड़ाई में अभी बहुत दूर तक जाना है, प्रश्नों के स्वरूप में कई महत्वपूर्ण फेर-बदल अभी होने हैं, आख़िर सवाल 5000 रुपये का जो है! हमारे नए पाठकों के लिए हम यह दोहरा दें कि 'सिने पहेली' के महाविजेता किस तरह से बन सकते हैं? हमने इस प्रतियोगिता को दस-दस कड़ियों के सेगमेण्ट्स में विभाजित किया है (वर्तमान में दूसरा सेगमेण्ट चल रहा

१६ अप्रेल- आज का गाना

गाना: मैं पिया तेरी तू माने या न माने चित्रपट: बसंत बहार संगीतकार: शंकर - जयकिशन गीतकार: हसरत स्वर: लता मंगेशकर मैं पिया तेरी तू माने या न माने दुनिया जाने तू जाने या न जाने काहेको बजाए तू मीठी मीठी तानें मैं पिया तेरी तू माने या न माने मुरली की लय ने दिल मेरा छीना तार जगाए दिलके तार जगाए राह बिखेरे जब तेरे दिल ने राग उठाए मैंने राग उठाए मिटने न दूँगी, प्यार के सगाने मैं पिया तेरी... प्रीत की डोरी तुम संग बाँधी तुम संग बाँधी सैंया तुम संग बुझने न दूँगी प्रीत का दीपक कितनी भी आये सैंया दुनिया की आँधी मैं नहीं बदली, बदले ज़माना मैं पिया तेरी ...