Skip to main content

Posts

बोलती कहानियाँ: एक रात (रेडियो ड्रामा)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुभव प्रिय की आवाज़ में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' की कहानी "शत्रु" का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध कथाकार पंकज सुबीर की कहानी " एक रात ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।  कहानी "एक रात" का कुल प्रसारण समय 11 मिनट 6 सेकंड है। इस बार हमने इस प्रसारण  में कुछ नये प्रयोग किये हैं। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।  यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वो गंजा गंजा सा फलाना आदमी, जो अब तक खुद को जिंदा समझता था, कल रात सचमुच में मर गया।  ~ पंकज सुबीर हर शुक्रवार को यहीं पर सुनें एक नयी कहानी बरसात इतनी तेज़ रफ़्तार से हो रही है कि वाइपर की फुल स्पीड के बाद भी विंडस्क्रीन साफ़ नहीं

१७ फरवरी - आज का गाना

गाना:  ज्योति कलश छलके  चित्रपट: भाभी की चूड़ियाँ संगीतकार: सुधीर फड़के गीतकार: पंडित नरेंद्र शर्मा गायिका: लता ज्योति कलश छलके \- ४ हुए गुलाबी, लाल सुनहरे रंग दल बादल के ज्योति कलश छलके घर आंगन वन उपवन उपवन करती ज्योति अमृत के सींचन मंगल घट ढल के \- २ ज्योति कलश छलके पात पात बिरवा हरियाला धरती का मुख हुआ उजाला सच सपने कल के \- २ ज्योति कलश छलके ऊषा ने आँचल फैलाया फैली सुख की शीतल छाया नीचे आँचल के \- २ ज्योति कलश छलके ज्योति यशोदा धरती मैय्या नील गगन गोपाल कन्हैय्या श्यामल छवि झलके \- २ ज्योति कलश छलके अम्बर कुमकुम कण बरसाये फूल पँखुड़ियों पर मुस्काये बिन्दु तुहिन जल के \- २ ज्योति कलश छलके

१६ फरवरी - आज का गाना

गाना:  पांच रुपैया बारा आना चित्रपट: चलती का नाम गाड़ी संगीतकार: सचिन देव बर्मन गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी गायक: किशोर कुमार मैं सितारों का तराना, मैं बहारों का फ़साना लेके इक अंगड़ाई मुझ पे, डाल नज़र बन जा दीवाना रूप का तुम हो खज़ाना, तुम हो मेरी जाँ ये माना लेकिन पहले दे दो मेरा, पांच रुपैया बारा आना पाँच रुपैया, बारा आना\-आआ ... मारेगा भैया, ना ना ना ना\-आआ ... माल ज़र, भूलकर, दिल जिगर हमसे निशानी माँगो ना दिलरुबा, क्या कहा, दिल जिगर क्या है जवानी माँगो ना तेरे लिये मजनू बन सकता हूँ लैला लैला कर सकता हूँ चाहे नमूना देख लो \-\- हाय खून\-ए\-दिल पीने को और लक़्त\-ए\-जिगर खाने को ये गिज़ा मिलती है लैला \- (२) तेरे दीवाने को \- (२) ओ हो हो जोश\-ए\-उल्फ़त का ज़माना, लागे है कैसा सुहाना लेके इक अंगड़ाई मुझ पे, डाल नज़र बन जा दीवाना मानता हूँ है सुहाना, जोश\-ए\-उल्फ़त का ज़माना लेकिन पहले दे दो मेरा, पाँच रुपैया बारा आना ग़म भुला, साज उठा, राग मेरे रूप के तू गाये जा ऐ दिलरुबा, होय दिलरुबा, हाँ इसी अंदाज़ से फ़रमाये जा गीत सुना सकता हूँ दादरा गिनकर