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ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 45 "मेरे पास मेरा प्रेम है"

पंडित नरेन्द्र शर्मा की सुपुत्री लावण्या शाह से लम्बी बातचीत भाग-१ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार, और स्वागत है आप सभी का 'शनिवार विशेषांक' में। शनिवार की इस साप्ताहिक प्रस्तुति होती है ख़ास, आम प्रस्तुतियों से ज़रा हट के, जिसमे हम कभी साक्षात्कार, कभी विशेषालेख, और कभी आप ही के भेजे ई-मेल शामिल करते हैं। आज इस इस स्तंभ में हम शुरु कर रहे हैं फ़िल्म जगत के सुप्रसिद्ध गीतकार, उत्तम साहित्यकार, कवि, दार्शनिक, आयुर्वेद के ज्ञाता और विविध भाषाओं के महारथी, स्व: पंडित नरेन्द्र शर्मा की सुपुत्री लावण्या शाह से की हुई लम्बी बातचीत पर आधारित लघु शृंखला 'मेरे पास मेरा प्रेम है'। आज प्रस्तुत है इस शृंखला की पहली कड़ी। लावण्या जी से ईमेल के माध्यम से लम्बी बातचीत की है आपके इस दोस्त सुजॉय नें। सुजॉय - लावण्या जी, आपका बहुत बहुत स्वागत है 'आवाज़' पर, नमस्कार! लावण्या जी - नमस्ते, सुजॉय भाई, आपका व 'हिंद-युग्म' का आभार जो आपने आज मुझे याद किया। सुजॉय - यह हमारा सौभाग्य है आपको पाना, और आप से आपके पापाजी, यानी पंडित जी के बारे में जानना। युं तो आप नें उन

क़ैस जौनपुरी की कहानी - सफ़ीना

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं हिन्दी की नई पुरानी रोचक कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शेखर जोशी की कहानी " दाज्यू " का पॉडकास्ट प्रीति सागर की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं क़ैस जौनपुरी की कहानी " सफ़ीना ", उन्हीं के स्वर में। कहानी "सफ़ीना" का कुल प्रसारण समय 14 मिनट 28 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट रचनाकार पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। क़ैस जौनपुरी (qaisjaunpuri@gmail.com) जन्म: 5 मई 1985 को जौनपुर में फिल्म रायटर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया मुम्बई में ऐसोसिएट मेंबर संपर्क: अँधेरी (वेस्ट), मुम्बई. 9004781786, 7738250270 हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी सफ़ीना ने मेरी टांग खींची, "सर...चेक क्लियर हो जाएगा ना?" ( क़ैस जौनपुरी की कहानी &q

डेल्ही बेल्ली - एकदम फ्रेश, अनुसुना, और नए मिजाज़ का संगीत

Taaza Sur Taal (TST) - 17/2011 - DELHI BELLY फिल्म "खाकी" का वो खूबसूरत गीत आपको याद ही होगा – 'वादा रहा प्यार से प्यार का....". एक बेहद युवा संगीतकार राम संपत ने रचा था इस गीत को. "खाकी" की सफलता के बावजूद राम अभी उस कमियाबी को नहीं छू पाए थे जिसके कि वो निश्चित ही हकदार हैं. आमिर खान की "पीपली लाईव" के महंगाई डायन गीत को जमीनी गीत बनाने में भी उनका योगदान रहा था. शायद वहीँ से प्रभावित होकर आमिर ने अपनी महत्वकांक्षी फिल्म "डेल्ही बेल्ली" में उन्हें बतौर संगीतकार चुना. आईये आज बात करें "डेल्ही बेल्ली" में राम के संगीत की. कहते हैं फ़िल्में समाज का आईना होते हैं. इस नयी सदी का युवा जिन परेशानियों, कुंठाओं और भावनाओं से उलझ रहा है जाहिर है यही सब आज की फिल्मों में, गीतों में दिखाई सुनाई देगा. अब जो कहते हैं कि आज संगीत बदल गया है कोई उनसे पूछे कि आज दुनिया कितनी बदल गयी है. संगीत भी तो उसके पेरेलल ही चलेगा न. बहरहाल हम आपको बता दें कि डेल्ही बेल्ली एक पूरी तरह से "एक्सपेरिमेंटल" अल्बम है, यानी एक दम कुछ नया ताज़ा, अगर आ