Skip to main content

Posts

जिंदगी है खेल कोई पास कोई फेल....भई कोई जीतेगा तो किसी की हार भी निश्चित है, जीवन दर्शन ही तो है ये खेल भी

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 602/2010/302 क्रि केट-फ़ीवर से आक्रांत सभी दोस्तों को हमारा नमस्कार, और बहुत स्वागत है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल में। २०११ विश्वकप क्रिकेट जारी है इन दिनों और हम भी इस महफ़िल में बातें कर रहे हैं क्रिकेट विश्वकप की लघु शृंखला 'खेल खेल में' के माध्यम से। आइए आज विश्वकप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य आपको बताएँ। • १९९९ विश्वकप में बंगलादेश ने एक मैच में पाकिस्तान को हराकर पूरे विश्व को चकित कर दिया था। ५ मार्च को नॊर्थम्प्टन में यह मैच खेला गया था। इसके अगले संस्करण में बांग्लादेश के भारत को पछाड कर हमारे कप के अभियान को मिट्टी में मिला दिया था, विश्व कप में अक्सर छोटी टीमें इस तरह के चमत्कार कर रोमाच बनाये रखती है, और यहीं से ये छोटी टीमें ताकतवर टीमों में तब्दील होती रहीं है, गौरतलब है कि १९८३ में भारत की गिनती भी एक कमजोर टीम में होती थी, मगर भारत का करिश्मा एक मैच तक नहीं वरन विश्व कप जीतने तक जारी रहा. • विश्वकप में अब तक सर्वश्रेष्ठ बोलिंग रेकॊर्ड रहा है वेस्ट-ईंडीज़ के विन्स्टन डेविस का, जिन्होंने १९८३ के विश्वकप में ऒस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ५१ रन दे

हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें....विश्व कप के लिए लड़ रहे सभी प्रतिभागियों के नाम आवाज़ का पैगाम

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 601/2010/301 न मस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों, पिछले बृहस्पतिवार १७ फ़रवरी को २०११ विश्वकप क्रिकेट का ढाका में भव्य शुभारंभ हुआ और इन दिनों 'क्रिकेट फ़ीवर' से केवल हमारा देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ग्रस्त है। दक्षिण एशिया और तमाम कॊमन-वेल्थ देशों में क्रिकेट सब से लोकप्रिय खेल है और हमारे देश में तो साहब आलम कुछ ऐसा है कि फ़िल्मी नायक नायिकाओं से भी ज़्यादा लोकप्रिय हैं क्रिकेट के खिलाड़ी। ऐसे मे ज़ाहिर सी बात है कि क्रिकेट विश्वकप को लेकर किस तरह का रोमांच हावी रहता होगा हम सब पर। और जब यह विश्वकप हमारे देश में ही आयोजित हो रही हो, ऐसे में तो बात कुछ और ही ख़ास हो जाती है। इण्डियन पब्लिक की इसी दीवानगी के मद्दे नज़र हाल ही में 'पटियाला हाउस' फ़िल्म रिलीज़ हुई है जिसकी कहानी भी एक क्रिकेटर के इर्द गिर्द है। ऐसे में इस क्रिकेट-बुख़ार की गरमाहट 'ओल्ड इज़ गोल्ड' को ना लगे, ऐसा कैसे हो सकता है! विश्वकप क्रिकेट २०११ में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों को शुभकामना हेतु आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड'

सुर संगम में आज - परवीन सुल्ताना की आवाज़ का महकता जादू

सुर संगम - 09 - बेगम परवीन सुल्ताना अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि जितना महत्वपूर्ण एक अच्छा गुरू मिलना होता है, उतना ही महत्वपूर्ण होता है गुरू के बताए मार्ग पर चलना। संभवतः इसी कारण वे कठिन से कठिन रागों को सहजता से गा लेती हैं, उनका एक धीमे आलाप से तीव्र तानों और बोल तानों पर जाना, उनके असीम आत्मविश्वास को झलकाता है, जिससे उस राग का अर्क, उसका भाव उभर कर आता है। चाहे ख़याल हो, ठुमरी हो या कोई भजन, वे उसे उसके शुद्ध रूप में प्रस्तुत कर सबका मन मोह लेती हैं। सु र-संगम की इस लुभावनी सुबह में मैं सुमित चक्रवर्ती आप सभी संगीत प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। हिंद-युग्म् के इस मंच से जुड़ कर मैं अत्यंत भाग्यशाली बोध कर रहा हूँ। अब आप सब सोच रहे होंगे कि आज 'सुर-संगम' सुजॉय जी प्रस्तुत क्यों नही कर रहे। दर-असल अपने व्यस्त जीवन में समय के अभाव के कारण वे अब से सुर-संगम प्रस्तुत नहीं कर पाएँगे। परन्तु निराश न हों, वे 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के ज़रिये इस मंच से जुड़े रहेंगे। ऐसे में उन्होंने और सजीव जी ने 'सुर-संगम' का उत्तरदायित्व मेरे कन्धों पर सौंपा है।

ओल्ड इस गोल्ड - शनिवार विशेष - पियानो स्पर्श से महके फ़िल्मी गीतों सुनने के बाद आज मिलिए उभरते हुए पियानो वादक मास्टर बिक्रम मित्र से

नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शनिवार की विशेष प्रस्तुति के साथ हम फिर हाज़िर हैं। पिछले दिनों आपने इस स्तंभ में पियानो पर केन्द्रित लघु शृंखला 'पियानो साज़ पर फ़िल्मी परवाज़' का आनंद लिया, जिसमें हमनें आपको न केवल पियानों साज़ के प्रयोग वाले १० लाजवाब गीत सुनवाये, बल्कि इस साज़ से जुड़ी बहुत सारी बातें भी बताई। और साथ ही कुछ पियानो वादकों का भी ज़िक्र किया। युवा पियानो वादकों की अगर हम बात करें तो कोलकाता निवासी, १७ वर्षीय मास्टर बिक्रम मित्र का नाम इस साज़ में रुचि रखने वाले बहुत से लोगों ने सुना होगा। स्वयं पंडित हरिप्रसाद चौरसिआ और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जैसे महारथियों से प्रोत्साहन पाने वाले बिक्रम मित्र नें अपना संगीत सफ़र ७ वर्ष की आयु में शुरु किया, और एक सीन्थेसाइज़र के ज़रिए सीखना शुरु किया प्रसिद्ध वेस्टर्ण क्लासिकल टीचर श्री दीपांकर मिश्र से। उन्हीं की निगरानी में बिक्रम ने प्राचीन कला केन्द्र चण्डीगढ़ से संगीत में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। अब बिक्रम 'इंद्रधनु स्कूल ऒफ़ म्युज़िक' के छात्र हैं जहाँ पर उनके गुरु हैं प्रसिद्ध हारमोनियम एक्स्पर्ट पंडित

सुनो कहानी: नीरज बसलियाल की फेरी वाला

नीरज बसलियाल की कहानी फेरी वाला 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में जयशंकर प्रसाद की कहानी ' विजया ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं नीरज बसलियाल की कहानी " फेरी वाला ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 7 मिनट 6 सेकंड। इस कथा का टेक्स्ट काँव काँव पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। पौड़ी की सर्दियाँ बहुत खूबसूरत होती हैं, और उससे भी ज्यादा खूबसूरत उस पहाड़ी कसबे की ओंस से भीगी सड़कें। ~ नीरज बसलियाल हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी पता नहीं कितने सालों से, शायद जब से पैदा हुआ यही काम किया, ख्वाब बेचा। ( नीरज बसलियाल की "फेरी वाला" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार

धडकन जरा रुक गयी है....सुरेश वाडकर के गाये एल पी के इस गीत को सुनकर एक पल को धडकन थम ही जाती है

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 600/2010/300 न मस्कार! पिछली नौ कड़ियों से आप इस महफ़िल में सुनते आ रहे हैं फ़िल्म जगत के सुनहरे दौर के कुछ ऐसे नग़में जिनमें पियानो मुख्य साज़ के रूप में प्रयोग हुआ है। 'पियानो साज़ पर फ़िल्मी परवाज़' शृंखला की आज दसवीं और अंतिम कड़ी में आज हम चर्चा करेंगे कुछ भारतीय पियानिस्ट्स की। पहला नाम हम लेना चाहेंगे स्टीफ़ेन देवासी का। कल ही इनका जन्मदिन था। २३ फ़रवरी १९८१ को प्लक्कड, केरल में जन्में स्टीफ़ेन ने १० वर्ष की आयु से पियानो सीखना शुरु किया लेज़ली पीटर से। उसके बाद त्रिसूर में चेतना म्युज़िक अकादमी में फ़्र. थॊमस ने उनका पियानो से परिचय करवाया, जहाँ पर उन्होंने त्रिनिती कॊलेज ऒफ़ म्युज़िक लंदन द्वारा आयोजित आठवी ग्रेड की परीक्षा उत्तीर्ण की। १८ वर्ष की आयु में उन्होंने जॊनी सागरिका की ऐल्बम 'इश्टमन्नु' में कुल ६ गीतों का ऒर्केस्ट्रेशन किया। उसके बाद वो गायक हरिहरण के साथ यूरोप की टूर पर गये। वायलिन मेस्ट्रो एल. सुब्रह्मण्यम के साथ उन्होंने लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्युज़िक फ़ेस्टिवल में पर्फ़ॊर्म किया। १९ वर्ष की उम्र में स्टीफ़ेन ने एक म्युज़िक

जिंदगी हर कदम एक नयी जंग है....जबरदस्त सकारात्मक ऊर्जा है इस गीत में

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 599/2010/299 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार, और फिर एक बार स्वागत है इस महफ़िल में जिसमें हम इन दिनों पियानो की बातें कर रहे हैं। आइए आज पियानो का वैज्ञानिक पक्ष आज़माया जाए। सीधे सरल शब्दों में जब भी किसी 'की' पर वार होता है, एक चेन रीऐक्शन होता है जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है। पहले 'की' 'विपेन' को उपर उठाता है, जो 'जैक' को 'हैमर रोलर' पर वार करवाता है। उसके बाद हैमर रोलर लीवर को उपर उठाता है। 'की' 'डैम्पर' को भी उपर की तरफ़ उठाता है, और जैसे ही 'हैमर' 'वायर' को स्ट्राइक करके ही वापस अपनी जगह चला जाता है और वायर में वाइब्रेशन होने लगती है, रेज़ोनेट होने लगता है। जब 'की' को छोड़ दिया जाता है, तो डैम्पर वापस स्ट्रिंग्स पर आ जाता है जिससे कि वायर का वाइब्रेशन बंद हो जाता है। वाइब्रेटिंग पियानो स्ट्रिंग्स से उत्पन्न ध्वनियाँ इतनी ज़ोरदार नहीं होती कि सुनाई दे, इसलिए इस वाइब्रेशन को एक बड़े साउण्ड-बोर्ड में पहुँचा दिया जाता है जो हवा को हिलाती है, और इस तरह से उर्जा ध्वनि त