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अब्बास टायरवाला और रहमान आये साथ एक बार फिर और कहा जवां दिलों से - "कॉल मी दिल..."

ताज़ा सुर ताल ३७/२०१० सुजॊय - दोस्तों, नमस्कार, और एक बार फिर स्वागत है 'ताज़ा सुर ताल' में। जैसा कि पिछले हफ़्ते विश्व दीपक जी ने थोड़ा सा हिण्ट दिया आज के फ़िल्म के बारे में, कि उनके मनपसंद संगीतकार का संगीत होगा आज की फ़िल्म में, तो चलिए अब वह वक़्त आ गया है कि आपको आज की फ़िल्म का नाम बता दिया जाए। आज हम लेकर आये हैं आने वाली फ़िल्म 'झूठा ही सही' के गानें। विश्व दीपक - ए. आर. रहमान मेरे मनचाहे संगीतकार हैं, और सिर्फ़ मेरे ही नहीं, आज वो सिर्फ़ इस देश के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपने संगीत के जल्वे बिखेर रहे हैं। वो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संगीतकार बन चुके हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं। तभी तो राष्ट्रमण्डल खेल के शीर्षक गीत के संगीत के लिए उन्ही को चुना गया है। सुजॊय - 'झूठा ही सही' अब्बास टायरवाला की फ़िल्म है जिसका निर्माण आइ.बी.सी मोशन पिक्चर्स के बैनर तले हो रही है, जिसके मुख्य कलाकार हैं जॊन एब्राहम और पाखी, जो अब्बास साहब की धर्मपत्नी हैं। सोहेल ख़ान, अरबाज़ ख़ान और नसीरुद्दिन शाह ने भी फ़िल्म में अभिनय किया

अजीब दास्ताँ है ये.....अद्भुत रस में छुपी जीवन की गुथ्थियां जिन्हें सुलझाने में बीत जाती है उम्र सारी

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 492/2010/192 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' में कल से हमने शुरु की है लघु शृंखला 'रस माधुरी' जिसके अंतर्गत हम चर्चा कर रहे हैं नौ रसों की। कुल नौ कड़ियों की इस शृंखला की हर कड़ी में एक रस की चर्चा होगी और साथ ही उस रस पर आधारित कोई मशहूर फ़िल्मी गीत आपको सुनवाया जाएगा। कल की कड़ी मे शृंगार रस का एक बड़ा ही प्यारा सा मीठा सा गीत आपने सुना था लता जी की आवाज़ में। जैसा कि हमने कल बताया था कि इस शृंखला की पहली तीन कड़ियों में आप लता जी के ही गाए गीत सुनेंगे। तो आज उनका गाया जो गीत हमने चुना है उसमें है अद्भुत रस की झलक। गीत पर हम बाद में आते हैं, पहले आइए चर्चा करें अद्भुत रस की। अद्भुत रस का अर्थ है वह भाव जिसमें समाया हुआ है आश्चर्य, कौतुहल, राज़। सभ्यता जब से शुरु हुई है, तभी से मानव जाति नए नए चीज़ों के बारे में जानने की कोशिश करती आई है और आज भी यह परम्परा जारी है। जब हम यह समझते हैं कि दुनिया में ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जिनके बारे में हमें नहीं मालूम, यही भाव हमारे जीवन को और भी ज़्यादा सुंदर और आकर्षक और रोमांचकर बनाता है। और हमारी यही खोज, अज्ञान को ज्ञान

मैं तो प्यार से तेरे पिया मांग सजाऊँगी....नौशाद का रचा ये शृंगार रस से भरपूर गीत है सभी भारतीय नारियों के लिए खास

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 491/2010/191 भा व या जज़्बात वह महत्वपूर्ण विशेषता है जो जीव जंतुओं को उद्‍भीद जगत से अलग करती है। संस्कृत में 'रस' शब्द का अर्थ भले ही स्वाद, जल, सुगंध या फलों के रस के इर्द-गिर्द घूमता हो, लेकिन 'रस' शब्द को जीव जगत के नौ भावों या जज़्बात के लिए भी प्रयोग किया जाता है। ये वो नौ रस हैं जो हमारे मन का हाल बयान करते हैं। अगर हम इन नौ रसों के महत्व को अच्छी तरह समझ लें और किस रस को किस तरह से अपने में नियंत्रित रखना है, उस पर सिद्धहस्थ हो जाएँ, तो जीवन में सच्चे सुख की अनुभूति कर सकते हैं और हमारा जीवन सही मार्ग पर चल सकता है। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार और बहुत बहुत स्वागत आप सब का फिर एक बार इस महफ़िल में। आप सोच रहे होंगे कि मैं फ़िल्मी गीतों को छोड़ कर अचानक रस की बातें क्यों करने लगा। दरअसल, हमारे जो फ़िल्मी गीत हैं, वो ज़्यादातर कहानी के सिचुएशन के हिसाब से बनते हैं। और अगर कहानी है तो उसमें किरदार भी हैं, घटनाएँ भी हैं ज़िंदगी से जुड़े हुए, और तभी तो हर फ़िल्मी गीत में भी किसी ना किसी भाव का, किसी ना किसी जज़्बात का, किसी ना