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ये रास्ते हैं प्यार के.....जहाँ कभी कभी "प्रेरणा" भी काम आती है

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 446/2010/146 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' स्तंभ के सभी संगीत रसिकों का एक बार फिर से स्वागत है इस सुरीली महफ़िल में जो रोशन है फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के सुनहरे सदाबहार नग़मों से। इन दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर जारी है लघु शृंखला 'गीत अपना धुन पराई', जिसके अंतर्गत हम कुछ ऐसे हिट गीत सुनवा रहे हैं जिनकी धुन किसी ना किसी विदेशी धुन से प्रेरित है। ये दस गीत दस अलग अलग संगीतकारों के संगीतबद्ध किए हुए हैं। पिछले हफ़्ते इस शृंखला के पहले हिस्से में आपने जिन पाँच संगीतकारों को सुना, वो थे स्नेहल भाटकर, अनिल बिस्वास, मुकुल रॊय, राहुल देव बर्मन और सलिल चौधरी। अब आइए अब इस शृंखला को इस मुक़ाम से आगे बढ़ाते हैं। आज की कड़ी के लिए हमने चुना है संगीतकार रवि को। रवि ने भी कई गीतों में विदेशी धुनों का सहारा लिया था जिनमें से एक महत्वपूर्ण गीत है गीता दत्त का गाया फ़िल्म 'दिल्ली का ठग' का "ओ बाबू ओ लाला, मौसम देखो चला"। यह गीत आधारित है मूल गीत "रम ऐण्ड कोकाकोला" की धुन पर। वैसे आज की कड़ी के लिए हमने रवि साहब के जिस गीत को चुना है वह ह

"खुद पे यकीं" एक मिशन है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट है और अब दरकार है बस आपके सहयोग की

अभी कुछ दिन पहले हमने एक खास गीत जारी किया था, जिसका उद्देश्य शारीरिक विकलांगता से झूझ रहे लोगों के मन में आत्मविश्वास भरना था, जी हाँ, आपने सही पहचाना, ये गीत था " खुद पे यकीं ", जिसे आप सब ने बेहद सराहा है, इस गीत के सन्देश को और अधिक लोगों तक पहुँचाने के उद्देश्य से इस गीत के गायक बिस्वजीत नंदा ने खोज निकला एक ऐसा शख्स जो इस गीत से सम्बंधित तस्वीरों और कथनों को जोड़ कर एक वीडियो बना सके, पोलैंड का ये शख्स हिंदी नहीं समझता है पर बिस्वजीत ने उनका साथ दिया और बन गया ये वीडियो. जिसको आज हम आवाज़ पर खोल रहे हैं. जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं उनके बारे में आप अधिक जानकारी अवश्य लें यहाँ अब देखिये ये वीडियो और अगर पसंद आये तो अपने मित्रों को भी अवश्य दिखाएँ, ताकि ये सन्देश अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक पहुँच सकें

सुनो कहानी: जयशंकर प्रसाद की पुरस्कार

जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी पुरस्कार 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में कृश्न चन्दर की रचना ' एक गधे की वापसी - भाग 2/3 ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं जयशंकर प्रसाद की अमर कहानी " पुरस्कार ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 7 मिनट 17 सेकंड। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। झुक जाती है मन की डाली, अपनी फलभरता के डर में। ~ जयशंकर प्रसाद (30-1-1889 - 14-1-1937) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी पेड़ के नीचे, हाथ पर सर रखकर मधुलिका सो रही थी। ( जयशंकर प्रसाद की "पुरस्कार" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)