ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 241 हिं दी फ़िल्म संगीत जगत में गीतकार-संगीतकार की जोडियाँ कोई नई बात नहीं है। चाहे आरज़ू लखनवी व आर. सी. बोराल की जोड़ी हो, या क़मर जलालाबादी व हुस्नलाल भगतराम की जोड़ी, शैलेन्द्र/हसरत - शंकर जयकिशन हो, या फिर शक़ील-नौशाद की जोड़ी, फ़िल्म संगीत के हर युग में, हर दौर में इस तरह की जोडियों की भरमार रही है। इन में से कुछ कलाकार ऐसे भी थे जिन्होने एक से ज़्यादा जोडियाँ बनाई। ऐसे ही एक गीतकार थे साहिर लुधियानवी और ऐसे ही एक संगीतकार थे सचिन देव बर्मन। साहिर साहब ने सचिन दा के साथ तो काम किया ही, संगीतकार रवि के साथ भी उनकी ट्युनिंग् बहुत अच्छी जमी। ठीक उसी तरह सचिन दा के साथ साहिर के अलावा गीतकार शैलेन्द्र, मजरूह, नीरज और कुछ हद तक आनंद बक्शी ने अच्छी पारी खेली। दोस्तों, कितनी अजीब बात है कि २५ अक्तुबर को साहिर साहब की पुण्य तिथि है और उसके ठीक ६ दिन बाद, ३१ अक्तुबर को है बर्मन दादा की पुण्य तिथि। इसलिए इन दो महान कलाकारों की जोड़ी को एक साथ स्मरण करने का यही उचित समय है, और उन्होनें एक साथ मिलकर जो सदाबहार नग़में हमें दिए हैं उन्हे एक बार फिर सुनने का यही एक लाजवा