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मुस्कुराहट तेरे होंठों की मेरा सिंगार है....लता जी का हँसता हुआ चेहरा संगीत प्रेमियों के लिए ईश्वर का प्यार है

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 216 आ ज २८ सितंबर का दिन फ़िल्म संगीत के लिए एक बेहद ख़ास दिन है। क्यों शायद बताने की ज़रूरत नहीं। लता जी को ईश्वर दीर्घायु करें, उन्हे उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें, लता जी के जन्मदिन पर हम तह-ए-दिल से उन्हे मुबारक़बाद देते हैं। आज है साल २००९। आज से ८० साल पहले १९२९ को लता जी का जन्म हुआ था मध्य प्रदेश के इंदौर में। दोस्तों आज मौका है लता जी के जन्मदिन का, तो क्यों ना आज हम उन्ही से जानें उनकी जनम के बारे में। एक बार अमीन सायानी ने लता जी का एक इंटरव्यू लिया जिसमें उन्होने लता जी को कई 'कॊन्ट्रोवर्शियल' सवालों के जाल से घेर लिया था, लेकिन लता जी हर बार जाल को चीरते हुए बाहर निकल आईं थीं। उन सवालों में से एक सवाल यह भी था - "कुछ लोगों का ख़याल है कि कुछ सस्पेन्स सा आप ने क्रीएट किया हुआ है कि आप कहाँ पैदा हुईं थीं। कुछ कहते हैं गोवा में पैदा हुईं थीं, कुछ कहते हैं धुले में, कुछ इंदौर में, तो कुछ कहीं और का बताते हैं। तो आप बताइए कि आप कहाँ पैदा हुईं थीं?" लता जी का बेझिझक जवाब था - "नहीं, इसमें कोई सस्पेन्स नहीं है अमीन भाई, मेरा जनम इंदौर

जश्न है जीत का...सा रे गा मा चुनौती से नाबाद लौटे प्रोमिसिंग गायक अभिजीत घोषाल अपने "ड्रीम्स" लेकर अब पहुँच गए हैं "लन्दन"

ताजा सुर ताल (25) ताजा सुर ताल में आज सुनिए उभरते हुए गायक अभिजीत घोषाल का "लन्दन ड्रीम्स" सुजॉय - सजीव, क्या आपने एक बात पर ग़ौर किया है? सजीव - कौन सी बात? सुजॉय - यही कि आजकल जो भी फ़िल्में बन रही हैं, उनमें से ज़्यादातर के शीर्षक अंग्रेज़ी हैं। जैसे कि 'ब्लू', 'ऑल दि बेस्ट', 'वेक अप सिद', 'व्हट्स योर राशी?', 'वांटेड', 'थ्री', वगैरह वगैरह । सजीव - बात तो सही है तुम्हारी। तो क्या आज हम किसी ऐसी ही फ़िल्म का गीत सुनवाने जा रहे हैं जिसका शीर्षक अंग्रेज़ी में है? सुजॉय - बिल्कुल ठीक समझे आप। आज हम चर्चा करेंगे 'लंदन ड्रीम्स‍' की और इस फ़िल्म का एक गीत भी बजाएँगे। इस फ़िल्म के निर्माता हैं आशिन शाह, निर्देशक हैं विपुल शाह, संगीत शंकर अहसान लोय का, गीतकार प्रसून जोशी, और इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं सलमान ख़ान, अजय देवगन, आसिन थोट्टुम्कल, रणविजय सिंह, बृंदा पारेस्ख, ओम पुरी, ख़ालिद आज़्मी और आदित्य रोय कपूर। सजीव - यानी कि मल्टि-स्टारर फ़िल्म है यह। और ये जो रणविजय है, ये वही है ना MTV Roadies वाले? सुजॉय - हाँ बिल्कुल

मैं हूँ कली तेरी तू है भँवर मेरा, मैं हूँ नज़र तेरी तू है जिगर मेरा...लता का एक दुर्लभ गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 215 ल ता मंगेशकर के गाए कुछ भूले बिसरे और दुर्लभ गीतों पर आधारित हमारी विशेष शृंखला आप इन दिनों सुन रहे हैं 'मेरी आवाज़ ही पहचान है'। अब तक आप ने कुल ४ गानें सुने हैं जो ४० के दशक की फ़िल्मों से थे। आइए आगे बढ़ते हुए प्रवेश करते हैं ५० के दशक में। सन् १९५१ में एक फ़िल्म आयी थी 'सौदागर'। 'वेस्ट हिंद पिक्चर्स' के बैनर तले बनी इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे नासिर ख़ान और रेहाना। पी. एल. संतोषी के गीत थे और सी. रामचन्द्र का संगीत। दोस्तों, इससे पहले हम ने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर पी. एल. संतोषी और सी. रामचन्द्र के जोड़ी की बातें भी कर चुके हैं और 'शिन शिना की बबला बू' फ़िल्म के गीत "तुम क्या जानो तुम्हारी याद में हम कितना रोये" सुनवाते वक़्त संतोषी साहब और रेहाना से संबंधित एक क़िस्सा भी बताया था। अगर आप ने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल में हाल ही में क़दम रखा है तो उस आलेख को यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं। इस गीत के अलावा पी. एल. संतोषी, सी. रामचन्द्र और लता जी की तिकड़ी का जो एक और गीत हमने आप को यहाँ सुनवाया है व