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चुनिए प्रदर्शित 27 गीतों में से अपनी पसंद

हि न्द-युग्म ने इंटरनेटीय जुगलबंदी से बने पहले एल्बम 'पहला सुर' को जब ३ फरवरी २००८ को विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में रीलिज किया था, तभी से यह तय कर लिया था कि इसे नई प्रतिभाओं को उभारने का कुशल माध्यम बनायेगा। सजीव सारथी के अनुभवी संयोजन में ४ जुलाई २००८ से प्रत्येक शुक्रवार इसी इंटरनेट जैमिंग से बने स्वरबद्ध गीत का विश्वव्यापी प्रदर्शन इसी वेबसाइट पर किया जाने लगा। उद्देश्य था कि हिन्दी को विश्वव्यापी पहुँच मिले और गायक, संगीतकार और गीतकार को एक मंच। ३१ दिसम्बर २००८ तक एक-एक करके गीत रीलिज किये गये। इस तरह से कुल २७ गीत वर्ष २००८ (सत्र २००८-०९) में प्रदर्शित हुए। प्रदर्शित सभी 27 गीतों की सूची 01-संगीत दिलों का उत्सव है 02-बढ़े चलों 03-आवारादिल 04-तेरे चेहरे पे 05-मैं नदी 06-बे-इंतहा 07-जीत के गीत 08-चले जाना 09-मेरे सरकार 10-खुशमिज़ाज मिट्टी 11-राहतें सारीं 12-ओ मुनिया 13-सच बोलता है 14-डरना झुकना छोड़ दे 15-चाँद नहीं, विश्वास चाहिए 16-सूरज, चांद और सितारे 17-आखिरी बार तेरा दीदार 18-ओ साहिबा 19-उड़ता परिंदा 20-हुस्न 21-माहिया (पाकिस्तानी बैंड) 22-तू रूबरू 23-One Earth- हम

यार बादशाह...यार दिलरुबा...कातिल आँखों वाले....

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 10 ओ पी नय्यर. एक अनोखे संगीतकार. आशा भोसले को आशा भोंसले बनाने में ओ पी नय्यर के संगीत का एक बडा हाथ रहा है, इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता, और यह बात तो आशाजी भी खुद मानती हैं. आशा और नय्यर की जोडी ने फिल्म संगीत को एक से एक नायाब नग्में दिए हैं जो आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने कि उस समय थे. यहाँ तक कि नय्यर साहब के अनुसार वो ऐसे संगीतकार रहे जिन्हे ता-उम्र सबसे ज़्यादा 'रायल्टी' के पैसे मिले. आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में आशा भोंसले और ओ पी नय्यर के सुरीले संगम से उत्पन्न एक दिलकश नग्मा आपके लिए लेकर आए हैं. सन 1967 में बनी फिल्म सी आइ डी 909 का यह गीत हेलेन पर फिल्माया गया था. जब जोडी का ज़िक्र हमने किया तो एक और जोडी हमें याद आ रही है, हेलेन और आशा भोसले की. जी हाँ दोस्तों, हेलेन पर फिल्माए गये आशाजी के कई गाने हैं जो मुख्य रूप से 'क्लब सॉंग्स', 'कैबरे सॉंग्स', 'डिस्को', या फिर मुज़रे हैं. फिल्म सी आइ डी 909 का यह गीत भी एक 'क्लब सॉंग' है. सी आइ डी 909 में कई गीतकारों ने गीत लिखे, जैसे कि अज़ीज़ कश्मीरी, एस एच बि

कैटरीना कैफ को हिंदी सिखायेंगे क्या ?

सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (12) चमकते सितारों ने मनाया हिंदी फिल्मों का सबसे बड़ा उत्सव ऑस्कर के चर्चे पुराने हुए, अब बारी है हमारी अपनी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े पुरस्कार समारोह की. YRF स्टूडियो अँधेरी (मुंबई) में संपन्न हुए ५४ वें फिल्म फेयर समारोह में कल सितारे जमीं पर उतरे. "कहने को जश्ने बहारां है.." लिखने वाले जावेद अख्तर साहब ने सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए तो संगीतकार ए आर रहमान ने "जाने तू या जाने न" के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का खिताब जीता. श्रेया घोषाल "तेरी ओर..." (सिंग इस किंग) गाने से सर्वश्रेष्ठ गायिका चुनी गयी, ओर वहीँ "हौले हौले..." से दिलों पर राज़ करने वाले सुखविंदर ने सर्वश्रेष्ठ गायक के लिए फिल्म फेयर ट्रोफी जिसे "ब्लैक लेडी" भी कहा जाता है, हासिल किया. फिल्म "जोधा अकबर" के लिए ए आर आर ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत का सम्मान जीता ओर सर्वश्रेष्ठ ध्वनि रिकॉर्डिंग के लिए बेयलोन फोन्सेका और विनोद सुब्रमनियन ने फिल्म "रॉक ऑन" के लिए इसे प्राप्त किया. उभरते हुए संगीत कर्मी को दिए जाने वाला आर डी बर्मन स