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मैं पैयम्बर तो नहीं, मेरा कहा कैसे हो

दूसरे सत्र के २७ वें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज अपनी पहली दो ग़ज़लों से श्रोताओं और समीक्षकों सभी पर अपना जादू चलाने के बाद रफ़ीक़ शेख लौटे हैं अपनी तीसरी और इस सत्र के लिए अपनी अन्तिम प्रस्तुति के साथ. शायर है इस बार मुंबई के दौर सैफी साहब, जिनके खूबसूरत बोलों को अपनी मखमली आवाज़ और संगीत से सजाया है रफ़ीक़ ने. तो दोस्तों आनंद लें हमारी इस नई प्रस्तुति का और हमें अपनी राय से अवश्य अवगत करवायें. सुनने के लिए नीचे के प्लयेर पर क्लिक करें - Rafique Sheikh is back again for the last time in this season with his new ghazal, "jo shajhar..." written by a shayar from Mumbai Daur Saifii Sahab, hope you enjoy this presentaion also as most of his ghazals so far has been loved by audiences and critics as well. to listen, please click on the player below - Lyrics - ग़ज़ल के बोल - जो शज़र सूख गया है वो हरा कैसे हो, मैं पैयम्बर तो नहीं, मेरा कहा कैसे हो. जिसको जाना ही नही, उसको खुदा क्यों माने, और जिसे जान चुके हैं वो खुदा कैसे हो, दूर से देख के मैंने उसे पहचान लिया, उसने इतना भी नही मुझसे

वार्षिक गीतमाला (पायदान ५० से ४१ तक)

वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या ५० से ४१ तक ५० वीं पायदान नम्बर ५० पर है फ़िल्म "किड्नाप" का दर्द भरा गीत जिसे गाया है संदीप व्यास ने और वही इस गीत की सबसे बड़ी खासियत भी हैं. संगीत भी ख़ुद संदीप और उनके भाई संजीव का बनाया हुआ है, बोल भी ख़ुद संदीप और संजीव ने ही रचे हैं. संजय गाधवी की इस फ़िल्म को दर्शकों का प्यार नही मिला, इस साल के हॉट शॉट हीरो इमरान खान की खलनायकी भी इसे डूबने से नही बचा पायी. पर संगीत प्रेमियों के इस बेहद प्रभाशाली संगीत जोड़ी का काम अनदेखा नही होने दिया. " मिट जाए " मिट कर भी नही मिटा, तभी कोई इसे पचासवीं पायदान से नही पाया हटा. ४९ वीं पायदान ४९ वीं पायदान पर है अज़ीज़ मिर्जा के निर्देशन में बनी रोमांटिक फ़िल्म किस्मत कनेक्शन का गीत "कहीं न लागे मन", पहला नशा की तर्ज पर बने इस गीत में वही सवाल है जो हर नया नया प्रेमी ख़ुद से पूछता है यानी - क्या यही प्यार है. थीम वही पुराना है पर गीत फ़िर भी सुनने में मधुर लगता है. शब्बीर अहमद के बोलों को सुरों से सजाया है प्रीतम ने और

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन - दिसम्बर २००८

डॉक्टर मृदुल कीर्ति कविता प्रेमी श्रोताओं के लिए प्रत्येक मास के अन्तिम रविवार का अर्थ है पॉडकास्ट कवि सम्मेलन । देखते ही देखते पूरा वर्ष कब गुज़र गया, पता ही न लगा. श्रोताओं के प्रेम के बीच हमें यह भी पता न लगा कि आज का कवि सम्मलेन वर्ष २००८ का अन्तिम कवि सम्मलेन है। आवाज़ के सभी श्रोताओं और पाठकों को नव वर्ष की शुभ-कामनाओं के साथ प्रस्तुत है दिसम्बर २००८ का पॉडकास्ट कवि सम्मलेन। इस बार भी इस ऑनलाइन आयोजन का संयोजन किया है हैरिसबर्ग, अमेरिका से डॉक्टर मृदुल कीर्ति ने। आवाज़ की ओर से हर महीने प्रस्तुत किए जा रहे इस प्रयास में गहरी दिलचस्पी, सहयोग और आपके प्रेम के लिए हम आपके आभारी हैं। हमें अत्यधिक संख्या में कवितायें प्राप्त हुईं और हमें आशा है कि आप अपना सहयोग इसी प्रकार बनाए रखेंगे। इस बार भी हम बहुत सी कविताओं को उनकी उत्कृष्टता के बावजूद इस माह के कार्यक्रम में शामिल नहीं कर सके हैं और इसके लिए क्षमाप्रार्थी है। कुछ कवितायें तो बहुत ही अच्छी थीं मगर वे हमें अन्तिम तिथि के बाद तब प्राप्त हुईं जब हम कार्यक्रम को अन्तिम रूप दे रहे थे। उनके छूट जाने से हमें भी दुःख हुआ है इसलिए हम एक ब