Skip to main content

Posts

आधे सत्र के गीतों ने पार किया समीक्षा का पहला चरण

सितम्बर के सिकंदरों की पहले चरण की अन्तिम समीक्षा, और तीन महीनों में प्रकाशित १३ गीतों की पहले चरण की समीक्षा के बाद का स्कोरकार्ड समीक्षक की व्यस्तता के चलते हम सितम्बर के गीतों की पहले चरण की अन्तिम समीक्षा को प्रस्तुत करने में कुछ विलंब हुआ. तो लीजिये पहले इस समीक्षा का ही अवलोकन कर लें. खुशमिजाज़ मिटटी बढ़िया गीत होते हुए पर भी पता नहीं क्या कमी है, गीत दिल को छू नहीं पाता। ठीक संगीत, गीत बढ़िया और गायकी भी ठीकठाक। गायक को अभिजीत की शैली अपनाने की बजाय खुद की शैली विकसित करनी चाहिये। गीत: ३, संगीत 3, गायकी ३, प्रस्तुति ३, कुल १२/२०, पहले चरण में कुल अंक २५ / ३०. राहतें सारी एक बार सुन लेने लायक गीत, बोल सुंदर परन्तु संगीत ठीक है। वैसे संगीतकार की उम्र बहुत कम है उस हिसाब से बढ़िया कहा जायेगा, क्यों कि बड़े बड़े संगीतकार भी इस उम्र में इतने बढ़िया संगीत नहीं रच पाये हैं। गीत ३.५, संगीत ३.५ गायकी ३ प्रस्तुति 3 कुल १३/२०, पहले चरण में कुल अंक १८ / ३०. ओ मुनिया बढ़िया गीत को संगीत और प्रस्तुति के जरिये कैसे बिगाड़ा जाता है उसका बेहद शानदार नमूना, एक पंक्ति भी सुनने लायक नहीं, जबरन एक दो लाइनें

आपके पीछे चलेंगी आपकी परछाईयाँ....

निर्देशक बी आर चोपडा पर विशेष व्यावसायिक दृष्टि से कहानियाँ चुनकर फिल्में बनाने वाले निर्देशकों से अलग सामाजिक सरोकारों को संबोधित करती हुई फिल्मों के माध्यम से समाज को एक संदेश मनोरंजनात्मक तरीके से कहने की कला बहुत कम निर्देशकों में देखने को मिली है. वी शांताराम ने अपनी फिल्मों से सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत की थी, आज के दौर में मधुर भंडारकर को हम इस श्रेणी में रख सकते हैं, पर एक नाम ऐसा भी है जिन्होंने जितनी भी फिल्में बनाई, उनकी हर फ़िल्म समाज में व्याप्त किसी समस्या पर न सिर्फ़ एक प्रश्न उठाती है, बल्कि उस समस्या का कोई न कोई समाधान भी पेश करती है. निर्देशक बी आर चोपडा ने अपनी हर फ़िल्म को भरपूर रिसर्च के बाद बनाया और कहानी को इतने दिलचस्प अंदाज़ में बयां किया हर बार, कि एक पल के लिए देखने वालों के लिए फ़िल्म का कसाव नही टूटता. चाहे बात हो अवैध रिश्तों की (गुमराह), या बलात्कार की शिकार हुई औरत की (इन्साफ का तराजू), मुस्लिम वैवाहिक नियमों पर टिपण्णी हो (निकाह), या वैश्यावृति में फंसी औरतों का मानसिक चित्रण (साधना), या हो एक विधवा के पुनर्विवाह जैसा संवेदनशील विषय (एक ही रास्ता),अपन

अच्छा कलाकार एक प्रकार का चोर होता है

भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी पर विशेष "I accept this honour on behalf of all Hindustani vocalists who have dedicated their life to music" ये कथन थे पंडित भीमसेन जोशी जी के जब उन्हें उनके बेटे श्रीनिवास जोशी ने फ़ोन कर बताया कि भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" के लिए चुना है. पिछले ७ दशकों से भारतीय संगीत को समृद्ध कर रहे शास्त्रीय गायन में किवदंती बन चुके पंडितजी को यह सम्मान देकर दरअसल भारत सरकार ने संगीत का ही सम्मान किया है, यह मात्र पुरस्कार नही, करोड़ों संगीत प्रेमियों का प्रेम है, जिन्हें पंडित जी ने अपनी गायकी से भाव विभोर किया है. उस्ताद अब्दुल करीम खान साहब के शिष्य रहे सवाई गन्धर्व ने जो पंडित जी के गुरु रहे, अब्दुल वहीद खान साहब के साथ मिलकर जिस "किराना घराने" की नींव डाली, उसे पंडित जी ने पहचान दी. १९ वर्ष की आयु में अपनी पहली प्रस्तुति देने वाले भीम सेन जोशी जी संगीत का एक लंबा सफर तय किया. हम अपने आवाज़ के श्रोताओं के लिए लाये हैं भारती अचरेकर द्वारा लिया गया उनका एक दुर्लभ इंटरव्यू जिसमें पंडित जी ने अपने इसी सफर के कुछ