धीरे-धीरे हिन्द-युग्म की आवाज़ें रेडियो के श्रोताओं तक भी पहुँचने लगी हैं। रेडियो सलाम नमस्ते से जुड़े श्री आदित्य प्रकाश जी ने जब युग्म के युवा कवि निखिल आनंद गिरि का काव्य-पाठ बजाया तो बहुत से श्रोताओं ने उन्हें बधाइयाँ दी। इसी का परिणाम है कि कल यानी 28 अप्रैल 2008 की सुबह डैलास, अमेरिका के एफ॰एम॰ रेडियो चैनल 'रेडियो सलाम नमस्ते' पर कवितांजलि कार्यक्रम के दरम्यान श्री आदित्य प्रकाश ने हिन्द-युग्म की युवा कवयित्री अनुपमा चौहान से भी बात की, उनके विचार जाने। अनुपमा जी ने अपने एक गीत 'नाता' को पूरे सुर में गाकर भी सुनाया। इंटरनेट कनैक्शन में आये क्षणिक व्यवधान के कारण पूरे साक्षात्कार में लगभग १५ सेकेण्ड की रिकार्डिंग छूट गई है। आप सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा?
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बहुत दिनों से अपनी व्यस्तताओं की वजह से मीनू आंटी ने हमारे लिए कोई उपहार नहीं लाया था। लेकिन बहुत व्यस्त होने के बावजूद भी वो अपने आपको रोक नहीं पाईं और आज एक रिकॉर्डिंग लेकर चली ही आईं। इस बार इन्होंने सीमा सचदेव की कविता 'चाँद पे होता घर जो मेरा' का पॉडकास्ट तैयार किया है। चलिए सुनते हैं।
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हिन्द-युग्म की टीम विश्व पुस्तक मेला २००८ से मधुरतम समय निकाले तो शायद अभिनव शुक्ल से जुड़ी बातें उनमें से एक होंगी। मेले के पहले ही दिन से उनका स्टैंड पर आना, हिन्द-युग्म के वाहकों से इनके हाल-चाल लेना, नाश्ते-पानी का प्रबंध करके जाना आदि भावविभोर कर देते थे। कई कार्यकर्ता तो इसलिए हैरान थे कि उन्हें यह ही नहीं पता चल पाता था कि भला ये महानुभाव कौन हैं? अभिनव शुक्ल जी इतनी आत्मीयता से मिलते थे कि किसी की भी यह पूछने की हिम्मत नहीं होती थी कि भाईसाहब आपका नाम क्या है? अभिनव जी बहुत कम ही समय के लिए हिन्द-युग्म के स्टैंड पर आते थे मगर पूरे माहौल को खुशनुमा कर जाते थे।
मेले के समापन से एक दिन पहले स्टैंड को बंद करने के वक़्त इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी साथियों का इंटरव्यू लिया और काव्य-पाठ रिकार्ड किया ताकि रेडियो सलाम नमस्ते के श्रोताओं को सुनवाया जा सके।
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अभिनव जी ने शैलेश भारतवासी के भी विचार जानें। पूरी बातचीत सुनें। यह मेरेकविमित्र से हिन्द-युग्म होने की कहानी है।
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