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Showing posts matching the search for जयशंकर प्रसाद

आप निराला की कौन सी कविता संगीतबद्ध करवाना चाहेंगे

श्रोताओं के प्यार, प्रोत्साहन और समर्थन की बदौलत हम मई माह से प्रत्येक माह महान कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करने की गीतकास्ट प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं। इस आयोजन की शुरूआती कड़ियों में हम छायावादी युग के स्तम्भ कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले महीने हमने जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को संगीतबद्ध करवाया, जिसे आप लोगों ने बहुत सराहा भी। इस माह की गीतकास्ट प्रतियोगिता में हम सुमित्रा नंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' को संगीतबद्ध/सुरबद्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं। 30 जून 2009 तक प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई हैं। लेकिन आज हम आपके सुझाव और आपकी फरमाइश लेने के लिए यह पोस्ट लिख रहे हैं। हम जुलाई महीने की गीतकास्ट प्रतियोगिता में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता संगीतबद्ध करवाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि कृपया आप बतायें कि हम कौन सी कविता को कम्पोज करवायें। नीचे दिये गये फॉर्म में निराला की अपनी पसंद की अधिकतम चार कविताएँ बतायें (केवल शीर्षक या पहली पंक्ति) और सुझाव फील्ड में इन कविताओं के संगीतबद्ध करव

विनय के. जोशी की कथा ईमानदार

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको हिन्दी में मौलिक और अनूदित, नई और पुरानी, प्रसिद्ध कहानियाँ और छिपी हुई रोचक खोजें सुनवाते रहे हैं। पिछली बार आपने अर्चना चावजी के स्वर में प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की काव्यात्मक लघुकथा " कला " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं विनय के. जोशी की कथा ईमानदार जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "ईमानदार" का गद्य कथा कलश पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 46 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। श्रम मंत्रालय राजस्थान सरकार, भास्कर रचनापर्व, दैनिक भास्कर तथा जवाहर कला केन्द्र द्वारा पुरस्कृत लेखक विनय के. जोशी उदयपुर में रहते हैं। उनकी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपती रही

अनुराग शर्मा की लघुकथा खान फ़िनॉमिनन

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको हिन्दी में मौलिक व अनूदित नई पुरानी, रोचक कहानियाँ सुनवा रहे हैं। पिछली बार आपने हिन्दी के प्राख्यात साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की मर्मस्पर्शी लघुकथा " खंडहर की लिपि " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी के स्वर में सुना था। आज हम लेकर आये हैं अनुराग शर्मा की चुटीली लघुकथा " खान फ़िनॉमिनन ", लेखन और वाचन अनुराग शर्मा द्वारा। कहानी " खान फ़िनॉमिनन " का आलेख बर्ग वार्ता ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस प्रस्तुति का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 34 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो देर न करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें। तानाशाहों की वैचारिकी उनके हथियारबंद गिरोहों द्वारा ज़बरदस्ती मनवा ली जाती है, विचारकों की तानाशाही को तो उनकी अपनी संतति भी घास नहीं डालती। ~ अनुराग शर्मा "बोलती कहानियाँ"

उदय प्रकाश का कहानीपाठ और आलाकमान की बातें

९ जनवरी २००९ को हिन्दी अकादमी की ओर से आयोजित कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग ९ जनवरी २००९ को मैं पहली दफ़ा किसी कथापाठ सरीखे कार्यक्रम में गया था। कार्यक्रम रवीन्द्र सभागार, साहित्य अकादमी, दिल्ली में था जिसमें फिल्मकार, कवि, कथाकार उदय प्रकाश का कथापाठ और उनपर प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह का वक्तव्य होना था। जाने की कई वज़हें थीं। हिन्द-युग्म पिछले १ साल से कालजयी कहानियों का पॉडकास्ट प्रसारित कर रहा है। पहले इस आयोजन में हम निरंतर नहीं थे, लेकिन जुलाई से पिट्वबर्गी अनुराग शर्मा के जुड़ने के बाद हम हर शनिवार को प्रेमचंद की कहानियाँ प्रसारित करने लगे। कई लोग शिकायत करते रहे थे (खुले तौर पर न सही) कि कहानियों के वाचन में और प्रोफेशनलिज्म की ज़रूरत है। तो पहली बात तो ये कि मैं उदय प्रकाश जैसे वरिष्ठ कथाकारों को सुनकर यह जानना चाहता था कि असरकारी कहानीपाठ आखिर क्या बला है? हालाँकि इसमें मुझे निराशा हाथ लगी। मुझे लगा कि हिन्द-युग्म के अनुराग शर्मा, शन्नो अग्रवाल और शोभा महेन्द्रू इस मामले में बहुत आगे हैं। लेकिन फिर भी कहानीकार से कहानी सुनने का अपना अलग आनंद है। दूसरी वजह थी कि यह भी सीखें कि यदि

कलम, आज उनकी जय बोल कविता की संगीतमयी प्रस्तुति

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-5: कलम, आज उनकी जय बोल मई 2009 में जब गीतकास्ट प्रतियोगिता की शुरूआत हुई थी, तब हमने आदित्य प्रकाश के साथ मिलकर इतना ही तय किया था कि हम छायावादी युगीन कवियों की कविताओं को संगीतबद्ध करने की प्रतियोगिता रखेंगे। आरम्भ की दो कड़ियों की सफलता के बाद हमने यह तय किया कि गीतकास्ट प्रतियोगिता में प्रमुख राष्ट्रकवियों की कविताओं को भी शामिल किया जाय। कमल किशोर सिंह जैसे सहयोगियों की मदद से हमने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'कलम, आज उनकी जय बोल' से गीतकास्ट प्रतियोगिता की 'राष्ट्रकवि शृंखला' की शुरूआत भी कर दी। आज हम पाँचवीं गीतकास्ट प्रतियोगिता के परिणाम लेकर उपस्थित हैं। पिछले महीने राष्ट्रकवि दिनकर की जयंती थी, इसलिए हमने उनके सम्मान में उनकी कविता को स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता में कुल सात प्रतिभागियों ने भाग लिया। संख्या के हिसाब से यह प्रतिभागिता तो कम है, लेकिन गुणवत्ता के हिसाब से यह बहुत बढ़िया है। सजीव सारथी, अनुराग पाण्डेय, शैलेश भारतवासी और आदित्य प्रकाश ने निर्णायक की भूमिका निभाई और तीसरी बार श्रीनिवा

इस बार स्वरबद्ध कीजिए निराला की एक कविता को

गीतकास्ट प्रतियोगिता के दो अंकों का सफल आयोजन हो चुका है। जहाँ जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' को 12 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, वहीं सुमित्रानंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' के लिए 19 स्वरबद्ध/सुरबद्ध प्रविष्टियाँ मिलीं। आलम यह रहा कि 'प्रथम रश्मि'' की 8 संगीतमय प्रस्तुतियाँ प्रसारित करनी पड़ीं। जब पहली बार इस प्रतियोगिता के आयोजन की उद‍्‍घोषणा हुई थी, तब तय किया गया था कि कुल रु 2000 का नग़द पुरस्कार दिया जायेगा, लेकिन इसे पहली बार ही बढ़ाकर रु 2500 करना पड़ा। 'प्रथम रश्मि' को संगीतबद्ध करने की उद्‍घोषणा के समय यह राशी बढ़ाकर रु 3000 की गई, लेकिन परिणाम प्रकाशित करते वक़्त प्रायोजक इतने खुश थे कि राशि बढ़कर रु 4000 हो गई। अब से यह राशि हमेशा के लिए रु 4000 की जा रही है। आज छायावादी कविताओं को स्वरबद्ध/सुरबद्ध की कड़ी में बारी है महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता की। निराला की कौन सी कविता स्वरबद्ध करायी जाये , इस संदर्भ में हमने अपने श्रोताओं से भी राय ली थी। 'राम की शक्तिपूजा' को स्वरबद्ध करने का सुझाव अधिकाधि

अनुराग शर्मा की कहानी "लागले बोलबेन"

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने जयशंकर प्रसाद की कहानी " कला " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की एक सामयिक कहानी " लागले बोलबेन ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "लागले बोलबेन" का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 19 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट बर्ग वार्ता ब्लॉग पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। पतझड़ में पत्ते गिरैं, मन आकुल हो जाय। गिरा हुआ पत्ता कभी, फ़िर वापस ना आय।। ~ अनुराग शर्मा हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी उन महाशय ने पहले तो आँखें तरेर कर देखा फ़िर वापस अपने अखबार में मुंह छिपाकर बड़ी बेरुखी से बोले, "लागले बोलबेन" ( अनुराग शर्मा की "लागले बो

सुनो कहानी: रामचन्द्र भावे की वारिस

रामचन्द्र भावे की कन्नड कहानी वारिस 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में जयशंकर प्रसाद की अमर कहानी ' पुरस्कार ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं रामचन्द्र भावे की कन्नड कहानी " वारिस ", जिसको स्वर दिया है कविता वर्मा ने। कहानी का हिन्दी अनुवाद डी.एन.श्रीनाथ ने किया है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 18 मिनट 39 सेकंड। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। कन्नड साहित्यकार रामचन्द्र भावे की सभी कहानियाँ अंत में सोचने पर विवश करती हैं। हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी पिताजी का व्यवहार न जाने क्यों विचित्र सा लगा। ( रामचन्द्र भावे की "वारिस" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्

मन के बंद कमरों को लौट चलने की सलाह देता एक रॉक गीत कृष्ण राजकुमार की आवाज़ में

Season 3 of new Music, Song # 04 दो स्तों, आवाज़ संगीत महोत्सव, सत्र ३ के चौथे गीत की है आज बारी. बतौर संगीतकार- गीतकार जोड़ी में ऋषि एस और सजीव सारथी ने गुजरे पिछले दो सत्रों में सुबह की ताजगी , मैं नदी , जीत के गीत , और वन वर्ल्ड , जैसे बेहद चर्चित और लोकप्रिय गीत आपकी नज़र किये हैं. इस सत्र में ये पहली बार आज साथ आ रहे हैं संगीत का एक नया (कम से कम युग्म के लिए) जॉनर लेकर, जी हाँ रॉक संगीत है आज का मीनू, रॉक संगीत में मुख्यता लीड और बेस गिटार का इस्तेमाल होता है जिसके साथ ताल के लिए ड्रम का प्रयोग होता है, अमूमन इस तरह के गीतों में एक लीड गायक/गायिका को सहयोग देने को एक या अधिक बैक अप आवाजें भी होती हैं. रॉक हार्ड और सोफ्ट हो सकता है. सोफ्ट रॉक अक्सर एक खास थीम को लेकर रचा जाता है. फिल्म "रॉक ऑन" के गीत इसके उदाहरण हैं. इसी तरह के एक थीम को लेकर रचा गया आज का ये सोफ्ट रॉक गीत है कृष्ण राज कुमार की आवाज़ में, जिन्हें ऋषि ने खुद अपनी आवाज़ में बैक अप दिया है. कृष्ण राज कुमार बतौर संगीत/गायक युग्म में पधारे थे " राहतें सारी " गीत के साथ. काव्यनाद के लिए आयोजित प्रति

ओल्ड इज़ गोल्ड - 500 : जब रिवाइव किया गया पहले हिंदी फ़िल्मी गीत "दे दे खुदा के नाम पर" को

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 500/2010/200 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार और बहुत बहुत स्वागत है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के इस माइलस्टोन एपिसोड में। एक सुरीला सफ़र जो हमने शुरु किया था २० फ़रवरी २००९ की शाम, वह सफ़र बहुत सारे सुमधुर पड़ावों से होता हुआ आज, ७ अक्तुबर को आ पहुँच रहा है अपने ५००-वें मंज़िल पर। दोस्तों, आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के इस यादगार मौक़े पर हम सब से पहले आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। जिस तरह का प्यार आपने इस स्तंभ को दिया है, जिस तरह से आपने इस स्तंभ का साथ दिया है और इसे सफल बनाया है, उसी का यह नतीजा है कि आज हम इस मुक़ाम तक पहुँच पाये हैं। दोस्तों, इस यादगार शाम को कुछ ख़ास तरीक़े से मनाने के लिए हमने सोचा कि क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए कि जिससे 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का यह ५००-वाँ एपिसोड वाक़ई एक यादगार एपिसोड बन जाए। १४ मार्च, १९३१ भारतीय सिनेमा के लिए एक यादगार दिन था, क्योंकि इसी दिन बम्बई के मजेस्टिक सिनेमा में प्रदर्शित हुई थी इस देश की पहली बोलती फ़िल्म 'आलम आरा'। 'आलम आरा' से ना केवल बोलती फ़िल्मों का दौर शु

चित्रकथा - 64: हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार (भाग-2)

अंक - 64 हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार (भाग-2) "प्यार है अमृत कलश अंबर तले..."  ’रेडियो प्लेबैक इंडिया’ के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! फ़िल्म जगत एक ऐसा उद्योग है जो पुरुष-प्रधान है। अभिनेत्रियों और पार्श्वगायिकाओं को कुछ देर के लिए अगर भूल जाएँ तो पायेंगे कि फ़िल्म निर्माण के हर विभाग में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ना के बराबर रही हैं। जहाँ तक फ़िल्मी गीतकारों और संगीतकारों का सवाल है, इन विधाओं में तो महिला कलाकारों की संख्या की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है। आज ’चित्रकथा’ में हम एक शोधालेख लेकर आए हैं जिसमें हम बातें करेंगे हिन्दी फ़िल्म जगत के महिला गीतकारों की, और उनके द्वारा लिखे गए यादगार गीतों की। पिछले अंक में इस लेख का पहला भाग प्रस्तुत किया गया था, आज प्रस्तुत है इसका दूसरा भाग। त्रुटि सुधार ’हिन्दी फ़िल्मों के महिला गीतकार’ लेख के पहले भाग में हमने जद्दन बाई को प्रथम महिला संगीतकार होने की बात कही थी, जो सही नहीं है। सही नाम है इशरत जहाँ। इशरत जहाँ ने 1934 की फ़िल्म ’अद्ल-ए-जहांगीर’ में संगीत दिया था और जद्द