Skip to main content

Posts

राग पीलू : SWARGOSHTHI – 447 : RAG PILU

स्वरगोष्ठी – 447 में आज नौशाद की जन्मशती पर उनके राग – 3 : राग पीलू लता मंगेशकर के स्वर में सुनिए; “मोरे सइयाँ जी उतरेंगे पार हो नदिया धीरे बहो...” नौशाद और लता मंगेशकर विदुषी गिरजा देवी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला – “नौशाद की जन्मशती पर उनके राग” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान रहे नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा करेंगे। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद अली का जन्म हुआ था। इस तिथि के अनुसार दिसम्बर, 2019 को नौशाद का एक सौवाँ जन्मदिन पड़ता है। इस उपलक्ष्य में हम “स्वरगोष्ठी” के दिसम्बर मास के प्रत्येक अंक में नौशाद के कुछ राग आध

ऑडियो: एक मुलाकात प्याज़ से (अमित श्रीवास्तव)

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने पूजा अनिल के स्वर में प्रियंका गुप्ता की हृदयस्पर्शी कथा " चांद " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अमित कुमार श्रीवास्तव का व्यंग्य " एक मुलाकात प्याज़ से ", जिसको स्वर दिया है शीतल माहेश्वरी ने। इस प्रस्तुति का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 3 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। अमित श्रीवास्तव: मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज, इलाहाबाद से बीई; सम्प्रति: विद्युत विभाग, लखनऊ में अधीक्षण अभियंता; अनेक लेख समाचार पत्रों में प्रकाशित, एक कविता संकलन प्रकाशित। हर सप्ताह "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी "हम बचपन से एक दूसरे के बहुत करीब रहे थे,कभी हम दोनों के बीच कुछ छुपा नह

राग मुल्तानी : SWARGOSHTHI – 446 : RAG MULTANI

स्वरगोष्ठी – 446 में आज नौशाद की जन्मशती पर उनके राग – 2 : राग मुल्तानी उस्ताद अमीर खाँ के स्वर में सुनिए; “दया कर हे गिरिधर गोपाल...” ‘ नौशाद पण्डित रविशंकर रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला – “नौशाद की जन्मशती पर उनके राग” की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान रहे नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा करेंगे। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद अली का जन्म हुआ था। इस तिथि के अनुसार दिसम्बर, 2019 को नौशाद का एक सौवाँ जन्मदिन पड़ता है। इस उपलक्ष्य में हम “स्वरगोष्ठी” के दिसम्बर मास के प्रत्येक अंक में नौशाद के कुछ राग आधारित ऐतिहासिक गीत प्रस्तुत

ऑडियो: चांद (प्रियंका गुप्ता)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने पूजा अनिल , और अनुराग शर्मा की आवाज़ में रवींद्र कालिया की कथा तीस साल बाद का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रियंका गुप्ता की हृदयस्पर्शी कथा "चांद" , जिसे स्वर दिया है, स्पेन से पूजा अनिल ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 18 मिनट 11 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। प्रियंका गुप्ता   कानपुर निवासी युवा लेखिका की रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। छह संग्रहों में से दो पुरस्कृत। हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "पर खिड़की के पास भी उसके मन जितना ही अंधेरा था।" ( प्रियंका गुप्ता की "चांद" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले

राग मालकौंस : SWARGOSHTHI – 445 : RAG MALKAUNS

स्वरगोष्ठी – 445 में आज नौशाद की जन्मशती पर उनके राग – 1 : राग मालकौंस “मन तड़पत हरिदर्शन को आज...” नौशाद और मोहम्मद रफी पण्डित दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से शुरू हो रही हमारी नई श्रृंखला – “नौशाद की जन्मशती पर उनके राग” में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान रहे नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा करेंगे। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद अली का जन्म हुआ था। इस तिथि के अनुसार दिसम्बर, 2019 को नौशाद का एक सौवाँ जन्मदिन पड़ता है। इस उपलक्ष्य में हम “स्वरगोष्ठी” के दिसम्बर मास के प्रत्येक अंक में नौशाद के कुछ राग आधारित ऐतिहासिक गीत प्रस्तुत करेंगे।

राग श्री : SWARGOSHTHI – 444 : RAG SHRI

स्वरगोष्ठी – 444 में आज पूर्वी थाट के राग – 4 : राग श्री विदुषी श्रुति सडोलिकर से राग श्री में दो खयाल और पारुल घोष से फिल्मी गीत सुनिए विदुषी श्रुति सड़ोलिकर पारुल घोष “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “पूर्वी थाट के राग” की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट-व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट, रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया थ

ऑडियो: तीस साल बाद (रवींद्र कालिया)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में बसंत त्रिपाठी की कथा अंतिम चित्र का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं रवींद्र कालिया  की कथा "तीस साल बाद" , जिसे स्वर दिया है, स्पेन से पूजा अनिल , और अमेरिका से  अनुराग शर्मा ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 52 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। रवींद्र कालिया   (11 नवंबर 1939 :: 9 जनवरी 2016) हिंदी के सर्वप्रिय लेखक और सम्पादक हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "इस एक कागज के टुकड़े के कारण तुम मेरे बहुत करीब रहे, हमेशा। मगर इसे गलत मत समझना।" ( रवींद्र कालिया की "तीस साल बाद" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें