ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 432/2010/132 न मस्कार दोस्तों। आज ५ जुलाई, गीतकार भरत व्यास जी का स्मृति दिवस है। भरत व्यास जी ने अपने करीयर में केवल अच्छे गानें ही लिखे हैं। विशुद्ध हिंदी भाषा का फ़िल्मी गीतों में उन्होने व्यापक रूप से इस्तेमाल किया और अच्छे गीतों के कद्रदानों के दिलों में जगह बनाई। आज जब कि हम इस 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में बरसात के गीतों पर आधारित शृंखला 'रिमझिम के तराने' प्रस्तुत कर रहे हैं, ऐसे में यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि आज के दिन हम व्यास की लिखी हुई कोई ऐसी रचना सुनवाएँ जो सावन से जुड़ी हो, बारिश से जुड़ी हो। इसी उद्देश्य से हमने खोज बीन शुरु की और ऐसे गीतों की याद हमें आने लगी जिनमें भरत व्यास जी ने बारिश का उल्लेख किया हो। तीन गीतों का उल्लेख करते हैं, एक "ऐ बादलों, रिमझिम के रंग लिए कहाँ चले" (चाँद), दूसरा, "डर लागे, गरजे बदरिया, सावन की रुत कजरारे कारी" (राम राज्य), और तीसरा गीत फ़िल्म गज गौरी का है "आज गरज घन उठी"। ये और इन जैसे बहुत से और भी गीत हैं जिनमें भरत व्यास ने सावन के, बादलों के, रिमझिम बरसते फुहारों का रंग भरा