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संगीत दिलों का उत्सव है - संगीत के नए सत्र की पहली सौगात

मित्रों, आज से आवाज़ पर शुरू हो रहा है, संगीत का एक नया उत्सव," पहला सुर " के कामियाब प्रयोग के बाद संगीत का ये नया सत्र शुरू करते हुए, हिंद युग्म उम्मीद करता है कि इस सत्र में प्रस्तुत होने वाले सभी गीत आपको और अधिक पसंद आयेंगे, जो संगीतकार हमारे साथ पहली एल्बम में जुड़े थे उनके भी संगीत में आप गजब की परिपक्वता देंखेंगे और उससे भी ज्यादा खुशी की बात यह है कि जो नए संगीतकार इस बार जुड़े हैं, सभी नौजवान हैं और बेहद गुणी हैं अपने फन में. संयोगवश जिस गीत को हमने इस सत्र की शुरुवात करने के लिए चुना है, वो भी दस्तक है एक नए युवा संगीतकार जोड़ी की, जो दूर केरल के दो प्रान्तों में रहते हैं और कोयम्बतूर के करुणया महाविद्यालय से b-tech की पढ़ाई कर रहे हैं, इनके नाम है निखिल और चार्ल्स , निखिल के संगीत में जहाँ बारिश में भीगी मिटटी की सौंधी सौंधी महक मिलेगी आपको, तो चार्ल्स के गायन में किसी निर्झर सा प्रवाह, एक और आवाज़ है इस गीत में, गायिका मिथिला की, जिन्होंने बाखूबी साथ दिया है इस जोड़ी का, इस गीत को और खूबसूरत बनाने में, सजीव सारथी के लिखे, इस गीत को अपने एक दोस्त के होम स्टूडियो में

वो नर्म सी ( Wo Narm see)

हिन्द-युग्म ने अपना दूसरा संगीतबद्ध गीत भी ज़ारी कर दिया गया है। १९ नवम्बर २००७ को हिन्द-युग्म की उसी पुरानी टीम ने नया गीत श्रोताओं के हवाले कर दिया। पूरा विवरण यहाँ है। कवि- सजीव सारथी स्वर- सुबोध साठे संगीत- ऋषि एस॰ बालाजी अक्षर- वो नर्म सी... स्रोत- हिन्द-युग्म नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

सुबह की ताज़गी हो (Subah ki Tazagi ho)

हिन्द-युग्म दिसम्बर के अंत तक ८ गीतों का एक संगीत अल्बम पूरा कर लेना चाहता है। इस दिशा में युग्म ने पहला प्रयास किया है। हिन्द-युग्म का पहला संगीतबद्ध गीत 'सुबह की ताज़गी हो' ( सुबोध साठे द्वारा गाया हुआ, ऋषि एस॰ बालाजी द्वारा संगीतबद्ध तथा सजीव सारथी द्वारा रचित) २७ अक्टूबर को लॉन्च किया गया था। पूरा विवरण और टिप्पणियाँ यहाँ प्रकाशित हैं। नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) कवि- सजीव सारथी स्वर- सुबोध साठे संगीत- ऋषि एस॰ बालाजी अक्षर- सुबह की ताज़गी स्रोत- हिन्द-युग्म