स्वरगोष्ठी – 243 में आज      संगीत के शिखर पर – 4 : उस्ताद अब्दुल करीम खाँ      खाँ साहब सम्पूर्ण भारतीय संगीत के प्रतिनिधि संगीतज्ञ थे                रेडियो  प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी  सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र  आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम  भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके  कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय  शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का  उल्लेख और उनकी कृतियों के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की  चौथी कड़ी में हम उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशक और बीसवीं शताब्दी के  आरम्भिक दशकों में अत्यन्त लोकप्रिय संगीतज्ञ उस्ताद अब्दुल करीम खाँ की  गायकी पर चर्चा करेंगे। आज के अंक में हम खाँ साहब का गाया राग बसन्त में  दो खयाल और राग झिंझोटी तथा राग भैरवी की दो ठुमरियाँ प्रस्तुत करेंगे।             आ ज  हम एक ऐसे संगीत-साधक के व्यक...
